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सवाईमाधोपुर: चरवाहे को मौत के घाट उतारने वाले बाघ ने डाबिच में अमरूदों के बाग में जमाया डेरा

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Published : Jan 9, 2021, 7:13 AM IST

Updated : Jan 9, 2021, 9:09 AM IST

सवाईमाधोपुर जिले के उपखंड मुख्यालय खंडार क्षेत्र में आबादी व खेतों में पिछले तीन दिन से विचरण कर रहा रणथंभौर का बाघ शुक्रवार को डाबिच गांव में पहुंच गया. यहां बाघ ने एक अमरूदों के बगीचे में अपना डेरा जमा लिया है. इसके चलते पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है.

डाबिच पहुंचा बाघ, Sawaimadhopur News
सवाईमाधोपुर के डाबिच पहुंचा बाघ

सवाईमाधोपुर. जिले के उपखंड मुख्यालय खंडार क्षेत्र में आबादी व खेतों में पिछले तीन दिन से विचरण कर रहा रणथंभौर का बाघ शुक्रवार को डाबिच गांव में पहुंच गया. यहां बाघ ने तलावड़ा डाबिच सड़क मार्ग के सहारे एक अमरूदों के बगीचे में अपना डेरा जमा लिया है. इसके चलते पूरे ईलाके में दहशत का माहौल है. वहीं, आसपास खेतों में काम कर रहे लोग खेतों से भागकरअपने घरों में दुबक गए है. वन विभाग की विभिन्न टीमें बगीचे के बाहर तैनात रहकर बाघ पर नजर बनाए हुए है.

पढ़ें: डूंगरपुर में 5 जुआरी गिरफ्तार, दांव पर लगे एक लाख रुपये जब्त

वन विभागीय जानकारी के अनुसार डाबिच गांव में अमरूदों के बगीचे में घुसा बाघ वही है, जिसने गुरूवार को कानेटी गांव के बनास नदी के बीहड़ों में वन विभाग की टीम पर हमला करने के बाद चरवाहे को मौत के घाट उतारा था. यह बाघ करीब दो दिन पहले रणथम्भौर अभयारण्य से निकला था तथा नायपुर होते हुए बनास नदी क्षेत्र में विचरण करते हुए गांव बांगड़दा, कानेटी होते हुए बिचपुरी के बीहड़ों में पहुंचा था. इसके बाद यह बाघ अगले दिन गुरुवार को बिचपुरी के श्मशानों से होते हुए बागड़दा व कानेटी गांव में होते हुए खेतों व बीहड़ों में घूमा है. इसी दिन सुबह 10 बजे बाघ ने ट्रेकिंग कर रही वन विभाग की टीम पर हमले का प्रयास किया था और इसके बाद दोपहर 1 बजे कानेटी निवासी चरवाहे पप्पू गुर्जर पर हमला कर उसे मौत के घाट उतारा था. इसके बाद यह बाघ देर रात यहां से निकलकर वापस बनास नदी क्षेत्र से पीलेंडी, खटकड़ गांव होते हुए डाबिच गांव में पहुंचा है. बाघ के यहां पहुंचने के बाद कानेटी के साथ-साथ अब डाबिच क्षेत्र में भी बाघ की दहशत का माहौल पैदा हो गया है.

पढ़ें: जयपुर में पुलिस के हत्थे चढ़ा शातिर साइबर ठग, 500 से ज्यादा लोगों से कर चुका है ठगी

वन विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि कानेटी में घटना के बाद से वन विभाग द्वारा इस बाघ पर पैनी नजर रखकर सघन निगरानी की जा रही है. इसमें वन विभाग के एसीएफ अरविंद झा खंडार क्षेत्रीय वनाधिकारी अमर सिंह बालेर क्षेत्रीय वनाधिकारी कप्तान सिंह यादव, फ्लाइंग टीम, खंडार व बालेर रेंज का पूरा स्टाफ, स्पेशल टाईगर ट्रेकिंग टीम के हनुमान गुर्जर, गिर्राज गुर्जर, निरंजन शर्मा, मांगीलाल, धर्मसिंह आदि शामिल है, जो बाघ के पल पल के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए है. डाबिच में अमरूद के बगीचे के बाहर व इसके आसपास बाघ के ताजा पगमार्क भी टीम को मिले हैं तथा इसी बगीचे में बाघ के छिपे होने की वनाधिकारियों ने पुष्टि की है.

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि चरवाहे की मौत के बाद घटनास्थल व इसके आसपास के क्षेत्र में करीब आधा दर्जन से अधिक विभागीय कैमरे लगाए है. इनमें बाघ का फोटो भी ट्रेप हुआ है लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कैमरे में कैद हुआ बाघ कौनसा है, इसकी जांच चल रही है. हालांकि वन विभाग के कार्मिक दबी जुबान में इस बाघ के टी-60 या टी-69 का शावक होने की संभावना जता रहे है.

रणथंभौर बाघ परियोजना सवाईमाधोपुर के एसीएफ अरविंद झा का कहना है कि वर्तमान में बाघ डाबिच गांव के पास अमरूदों के बगीचे में है. स्टाफ को कहा है कि वह निश्चित एवं सुरक्षित दूरी बनाए रखे और जनता को उस इलाके में नजदीक नहीं जाने दें. बाघ को अभी हमने आंखों से नहीं देखा है. बगीचे में ना तो स्टाफ जा सकता है और ना हीं कोई ग्रामीण. पगमार्क के आधार पर यह पूरा आंकलन हो रहा है. ग्रामीणों को पूरी सावधानी व सतर्कता बरतने की जरूरत है. इसके लिए हमने आसपास के पूरे गांवों में माइक से अनाउंसमेंट भी करवा दिया है. वहीं, करीब 10 पूर्व व वर्तमान सरपंचों को भी फोन पर इस बारे में बताया गया है.

सवाईमाधोपुर. जिले के उपखंड मुख्यालय खंडार क्षेत्र में आबादी व खेतों में पिछले तीन दिन से विचरण कर रहा रणथंभौर का बाघ शुक्रवार को डाबिच गांव में पहुंच गया. यहां बाघ ने तलावड़ा डाबिच सड़क मार्ग के सहारे एक अमरूदों के बगीचे में अपना डेरा जमा लिया है. इसके चलते पूरे ईलाके में दहशत का माहौल है. वहीं, आसपास खेतों में काम कर रहे लोग खेतों से भागकरअपने घरों में दुबक गए है. वन विभाग की विभिन्न टीमें बगीचे के बाहर तैनात रहकर बाघ पर नजर बनाए हुए है.

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वन विभागीय जानकारी के अनुसार डाबिच गांव में अमरूदों के बगीचे में घुसा बाघ वही है, जिसने गुरूवार को कानेटी गांव के बनास नदी के बीहड़ों में वन विभाग की टीम पर हमला करने के बाद चरवाहे को मौत के घाट उतारा था. यह बाघ करीब दो दिन पहले रणथम्भौर अभयारण्य से निकला था तथा नायपुर होते हुए बनास नदी क्षेत्र में विचरण करते हुए गांव बांगड़दा, कानेटी होते हुए बिचपुरी के बीहड़ों में पहुंचा था. इसके बाद यह बाघ अगले दिन गुरुवार को बिचपुरी के श्मशानों से होते हुए बागड़दा व कानेटी गांव में होते हुए खेतों व बीहड़ों में घूमा है. इसी दिन सुबह 10 बजे बाघ ने ट्रेकिंग कर रही वन विभाग की टीम पर हमले का प्रयास किया था और इसके बाद दोपहर 1 बजे कानेटी निवासी चरवाहे पप्पू गुर्जर पर हमला कर उसे मौत के घाट उतारा था. इसके बाद यह बाघ देर रात यहां से निकलकर वापस बनास नदी क्षेत्र से पीलेंडी, खटकड़ गांव होते हुए डाबिच गांव में पहुंचा है. बाघ के यहां पहुंचने के बाद कानेटी के साथ-साथ अब डाबिच क्षेत्र में भी बाघ की दहशत का माहौल पैदा हो गया है.

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वन विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि कानेटी में घटना के बाद से वन विभाग द्वारा इस बाघ पर पैनी नजर रखकर सघन निगरानी की जा रही है. इसमें वन विभाग के एसीएफ अरविंद झा खंडार क्षेत्रीय वनाधिकारी अमर सिंह बालेर क्षेत्रीय वनाधिकारी कप्तान सिंह यादव, फ्लाइंग टीम, खंडार व बालेर रेंज का पूरा स्टाफ, स्पेशल टाईगर ट्रेकिंग टीम के हनुमान गुर्जर, गिर्राज गुर्जर, निरंजन शर्मा, मांगीलाल, धर्मसिंह आदि शामिल है, जो बाघ के पल पल के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए है. डाबिच में अमरूद के बगीचे के बाहर व इसके आसपास बाघ के ताजा पगमार्क भी टीम को मिले हैं तथा इसी बगीचे में बाघ के छिपे होने की वनाधिकारियों ने पुष्टि की है.

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि चरवाहे की मौत के बाद घटनास्थल व इसके आसपास के क्षेत्र में करीब आधा दर्जन से अधिक विभागीय कैमरे लगाए है. इनमें बाघ का फोटो भी ट्रेप हुआ है लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कैमरे में कैद हुआ बाघ कौनसा है, इसकी जांच चल रही है. हालांकि वन विभाग के कार्मिक दबी जुबान में इस बाघ के टी-60 या टी-69 का शावक होने की संभावना जता रहे है.

रणथंभौर बाघ परियोजना सवाईमाधोपुर के एसीएफ अरविंद झा का कहना है कि वर्तमान में बाघ डाबिच गांव के पास अमरूदों के बगीचे में है. स्टाफ को कहा है कि वह निश्चित एवं सुरक्षित दूरी बनाए रखे और जनता को उस इलाके में नजदीक नहीं जाने दें. बाघ को अभी हमने आंखों से नहीं देखा है. बगीचे में ना तो स्टाफ जा सकता है और ना हीं कोई ग्रामीण. पगमार्क के आधार पर यह पूरा आंकलन हो रहा है. ग्रामीणों को पूरी सावधानी व सतर्कता बरतने की जरूरत है. इसके लिए हमने आसपास के पूरे गांवों में माइक से अनाउंसमेंट भी करवा दिया है. वहीं, करीब 10 पूर्व व वर्तमान सरपंचों को भी फोन पर इस बारे में बताया गया है.

Last Updated : Jan 9, 2021, 9:09 AM IST
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