राजसमंद. हर साल 15 अक्टूबर को विश्व हाथ धुलाई दिवस यानी वर्ल्ड हैंडवॉश डे मनाया जाता है. सफाई ही बीमारी से लड़ने का पहला और आखरी हथियार है. हर साल इस दिन स्कूल-कॉलेजों में बच्चों को स्वच्छ रहने और सफाई के प्रति जागरूक किया जाता है. हाथ धुलाई दिवस पर बताया जाता है कि साबुन से हाथ धोने से डायरिया, दस्त और पीलिया जैसे रोगों से बचा जा सकता है.
15 अक्टूबर को जिला और स्कूल स्तर पर स्वच्छता, हाथ धोने की प्रक्रिया और उसके महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए बच्चों की ओर से रैली निकाली जाती है, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से स्कूल और कॉलेज बंद हैं. वहीं इस बार कोरोना महामारी की वजह से लोगों ने हाथों को स्वच्छ रखना सीख भी लिया है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि बाजार में एकाएक साबुन और हैंड वॉश की बिक्री में भी बढ़ोतरी हो गई है. कोरोना महामारी के दौर में तो हाथों को साफ रखना सबसे अधिक जरुरी है.
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बात करें राजसमंद की तो यहां लोगों ने 'जिंदगी है प्यारी तो रखें साफ-सफाई' जैसी बातों का खास ध्यान रख रहे हैं. इस साफ-सफाई में भी ज्यादा जोर हाथों की स्वच्छता को लेकर दिया जा रहा है. आजकल हमारी दिनचर्या का हिस्सा कुछ ऐसे शब्द बन गए जिन्हें बीते समय में आम जनमानस ने सुना तक नहीं था. इनमें सैनिटाइजर, मास्क जैसे अनेक शब्द शामिल हैं.
आज बाजार में सैनिटाइजर की मांग काफी बढ़ गई है. जिस सैनिटाइजर के बारे में पहले सिर्फ डॉक्टर या कुछ लोग ही जानते थे वह भी आज आम जनमानस की जुबां पर रट गया है. सुरक्षा और बीमारी से लड़ने के लिहाज से देखें तो हाथ धुलाई पहली प्राथमिकता सभी लोगों की होनी चाहिए. यह कोई बताने या पढ़ाने की बात नहीं फिर भी बीते समय में स्कूल कॉलेजों में 15 अक्टूबर को बच्चों को कैसे बेहतर तरीके से हाथ धोना चाहिए यह बताया जाता रहा है.
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कोरोना काल में रेडियो और टीवी हर जगह सरकारी विज्ञापन के माध्यम से समाज को जागरूक किया जा रहा है. इस खास अवसर पर ईटीवी भारत की टीम भी राजसमंद जिला मुख्यालय के साबुन थोक विक्रेताओं और सैनिटाइजर डीलरों के पास पहुंची. उन्होंने बताया कि पहले के मुकाबले में इन दोनों उत्पाद की मांग में वृद्धि हुई है. हमारी मुलाकात साबुन विक्रेता विशाल से हुई. उन्होंने बताया कि पहले के मुकाबले में 40 से 45 फीसदी तक साबुन की बिक्री में एकाएक बढ़ोतरी हुई है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों में स्वच्छता को लेकर एक जागरूकता संदेश पैदा हो रहा है. हाथ धोने की एक नई सोच पैदा हो रही है.
वहीं, दूसरी ओर सैनिटाइजर विक्रेता पवन का कहना था कि कोरोना महामारी से पहले सैनिटाइजर की 50 से अधिक बोतलें मंगवाते थे, लेकिन आज की स्थिति में 500 से 1 हजार बोतले भी कम पड़ रही है. साथ ही उन्होंने बताया कि लोगों में सैनिटाइजर को लेकर भी काफी जागरूकता आई है. हर स्थानों पर एक जगह से दूसरी जगह दूरी करने के बाद लोग अपने हाथों को सैनिटाइज कर रहे हैं. यह समाज की बदलती तस्वीर में एक नया आयाम है.