राजसमंद. कोरोना का कहर जारी है, और इसकी वजह से लॉकडाउन भी बढ़ता जा रहा है. इसका असर इंसानों पर ही नहीं, भगवान पर भी पड़ा है. कहते हैं, भक्त भगवान के दर्शनों के लिए तरसते हैं, उतना ही भगवान भी भक्तों को देखने को लालायित रहते हैं. लेकिन भक्त और भगवान के बीच की ये दूरी अभी कम होती नजर नहीं आ रही है.
राजसमंद में जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित सिसोदा भैरुनाथ का मंदिर, इन दिनों लॉकडाउन के कारण पूरी तरह से वीरान और सुनसान नजर आ रहा है. पुजारी के अलावा कोई भी मंदिर में प्रवेश नहीं कर रहा है. पुजारी अकेले ही मंदिर की नित्यसेवा कर्म करने में लगे हुए हैं. लेकिन इस लॉक डाउन में भी प्रभु की सेवा पर कोई असर नहीं पड़ा है.
जानकारी के अनुसार सिसोदा भैरुनाथ का यह मंदिर लगभग 700 वर्ष से अधिक पुराना है और पहली बार यहां पर भक्तों के बिना भैरू नाथ की पूजा की जा रही है.यह मंदिर अरावली पर्वतमाला के बीच स्थित है. मंदिर के पुजारी को स्थानीय भाषा में भोपाजी कहा जाता है. उन्होंने बताया कि प्रभु की सेवा जैसे लॉकडाउन से पहले होती थी, अब भी वैसे ही होती है. उसी ठाट बाट से प्रभु को अब भी सेवाएं धराई जा रही हैं.
ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में कम नहीं हुए भगवान द्वारिकाधीश के ठाठ!
इस मंदिर में रविवार के दिन खासकर हजारों लोगों का तांता लगा रहता था. लेकिन अब वर्तमान में प्रभु की भक्तों के बिना ही पूजा आराधना की जा रही है. जहां प्रभु की रविवार के दिन पांच बार आरती होती थी, वो निरंतर अब भी जारी है.
मंदिर के मुख्य पुजारी विजय सिंह जी ने जानकारी देते हुए बताया कि एक राजा के पुत्र होने के अवसर पर स्वयं भैरूनाथ ने सपने में प्रकट होकर यह कहा था कि मैं यहां हूं और मेरी पूजा की जाए. तभी से यह परंपरा अब तक जारी है. उन्होंने बताया कि मंदिर पहली बार इतिहास में भक्तों के बिना वीरान है. उन्होंने बताया प्रभु की पूजा के दौरान निरंतर अरदास लगाई जा रही है कि इस कोरोना काल से प्रभु सबको मुक्ति दिलाए.
यह भी पढ़ें- उदयपुर में टूटी 500 साल पुरानी परंपरा, बोहरा गणेश जी मंदिर से भक्तों ने बनाई दूरी
जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर सिसोदा भेरु नाथ का मंदिर अपने आप में अकल्पनीय है. लॉकडाउन के पहले हजारों लोग प्रतिदिन दर्शनों का आनंद लेने और अपने प्रभु का आशीर्वाद पाने लिए देश दुनिया से श्रद्धालु पहुंचते थे. इन दिनों लॉक डाउन के कारण मंदिर भले ही पूरी तरह से वीरान और सुनसान नजर आ रहा है लेकिन भैरू बाबा के ठाठ-बाट ज्यों के त्यों हैं.