राजसमंद. जिले के देवगढ़ और भीम उपखंड क्षेत्र की विशिष्ट पहचान पिछले दो दशक से भूमि पुत्रों के कारण बनी हुई है. क्षेत्र के किसान अपने खेतों में खरीफ और रबी की फसलों का अधिक मात्रा में उत्पादन कर अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. इसी कारण राजस्थान सहित दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पंजाब और अन्य राज्यों में यहां की एक अलग पहचान बनी हुई है.
किसानों की ओर से हर साल फूल गोभी, हरी मिर्ची, लहसुन, कपास सहित अन्य फसलों की पैदावार की जाती है. इस बार क्षेत्र में हुई अच्छी बारिश होने पर किसानों ने अपने खेतों में रबी की फसलों गेहूं, जौ, सरसों, चने के साथ गुलाबी लहसुन की भी अधिक मात्रा में बुवाई की थी. बारिश होने से पिछले साल के मुकाबले प्रति हेक्टेयर लहसुन के उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है. जिसका फायदा किसानों को लॉकडाउन में मिल रहा है.
वैसे लहसुन की पैदावार तो अन्य जगहों पर भी होती है. लेकिन गुलाबी लहसुन की पैदावार मुख्य रूप से राजसमंद जिले की इन दो तहसीलों में होती है. अन्य स्थानों पर सफेद रंग के लहसुन की पैदावार होती है. लेकिन इस वर्ष 215 हेक्टेयर क्षेत्र में गुलाबी लहसुन की बुवाई की गई थी. बारिश अच्छी होने के कारण फसलों को पानी की कमी नहीं हुई और प्रति हेक्टेयर उत्पादन 70 से 80 क्विंटल का उत्पादन हुआ, जो औसत उत्पादन के बराबर है.
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इस वर्ष बुवाई में भी किसानों को अधिक मात्रा में खर्च आया है. प्रति हेक्टेयर 30 हजार से 40 हजार रुपये खर्च हुए हैं. इस बार लहसुन होलसेल में 60 से 70 रुपये किलो तक बिका था. अब लॉकडाउन लगा हुआ है, तो मध्यप्रदेश से भी सफेद लहसुन की आवक कम हो गई है. जिससे कुछ किसान अधिक भाव मिलने की उम्मीद लगाए हुए हैं. लहसुन को बेचने के लिए किसानों को ज्यादा समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है.
ज्यादा उत्पादन होने से व्यापारी खुद ही पैदावार के समय खेत की पाली पर फसल का मोलभाव कर हाथों हाथ नकद पैसा दे जाता हैं. जिससे किसानों को बड़ी मंडी में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. वहीं, कई व्यापारी तो खुदरा भाव पहले ही तय कर देते हैं.
देवगढ़ कृषि विभाग के सहायक अधिकारी राजेश ने बताया कि कई साल बाद इस वर्ष बारिश अच्छी होने से गुलाबी लहसुन की बंपर पैदावार हुई है. क्षेत्र के किसान नकदी फसलों की बुवाई ज्यादा करते हैं. क्षेत्र की अनुकूल जलवायु लहसुन की उपज में काफी सहायक है.
इस वर्ष औसत प्रति हेक्टेयर 70 से 100 क्विंटल की पैदावार हो रही है. प्रति हेक्टेयर खर्च 30 से 40 हजार रुपये होता है. देवगढ़ तहसील में ताल, लसानी, इशरमंड, काकरोद, आंजणा, सोपरि, दौलपुरा, पारडी, कुंदवा, मदारिया समेत अन्य स्थानों पर अधिक मात्रा में फसल का उत्पादन किया जाता है. यहां से लहसुन अच्छी गुणवत्ता में होता है. जिससे उदयपुर, पाली, ब्यावर और जोधपुर की मंडियों के अलावा गुजरात के लुनावाड़ा, मेसाणा, नडियाद, बड़ौदा, सूरत और अहमदाबाद में इसकी मांग रहती है.