राजसमंद. कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी जद में ले लिया है. इस वैश्विक महामारी के कारण पूरी दुनिया की मानव जाति परेशान नजर आ रही है. भारत में भी लॉकडाउन के कारण लोगों का व्यवसाय ठप पड़ा हुआ है, लेकिन इस लॉकडाउन के वजह से कुछ सकारात्मक प्रभाव भी निकल कर सामने आए हैं.
दरअसल, 15 मई यानि आज के दिन विश्व परिवार दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत आपको उन परिवारों की कहानियां बता रहा है जो लंबे समय बाद एक साथ मिलकर अपनों में समय व्यतीत कर रहे हैं. हम जानते हैं, कि हजारों प्रवासी अभी भी अपने परिवार में जाने के लिए परेशानियों से गुजर रहे हैं. हर रोज ऐसी हजारों तस्वीरें हमारे सामने आ रही है, जिसमें देशभर से लोग अपने-अपने घरों की तरफ कूच कर रहे है. कुछ लोग पैदल तो कुछ रेल बस और अन्य वाहनों से अपने परिवार में पहुंच रहे हैं.
विश्व परिवार दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत की टीम शहर के विनायक वाटिका पहुंची. जहां, टीम की मुलाकात सीए देवेंद्र हिंगड़ से हुई. उन्होंने बताया, कि लॉकडाउन की वजह से आर्थिक नुकसान तो हुआ है, लेकिन इससे सामाजिक और दूसरे बहुत सारे फायदे भी निकलकर आए हैं. वे बताते हैं, कि इस वक्त उनका परिवार एक साथ लंबे समय बाद लॉकडाउन के कारण इतना लंबा समय व्यतीत कर पाया है. उन्होंने बताया, कि जीवन में सबसे ज्यादा जरूरी होता है ठहराव. इतने सालों से हम लोग भागदौड़ कर रहे हैं पता नहीं क्यों, लेकिन पिछले 2 महीने से जो ठहराव हमें मिला है. इससे हमें एक नई ऊर्जा और नई दिशा मिली है.
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सीए देवेंद्र हिंगड़ का बेटा बाहर रहता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह भी घर आया हुआ हैं. बेटे ने बताया, कि वे सुबह शाम अलग-अलग गेम खेलते हैं. साथ खाना खाते हैं. उनकी बेटी मीना ने बताया, कि शादी के बाद पहली बार इतना लंबा समय पापा-मम्मी और पूरे परिवार के साथ गुजारने का मौका मिला है. बेटी ने कहा, कि लॉकडाउन ने फिर से बचपन की यादें ताजा कर दी.
मां के हाथों का खा रहे खाना...
इसके साथ ही ईटीवी भारत की टीम ने एक और परिवार से मुलाकात की. जिसमें उस परिवार में पेशे से वकील कैलाश ने बताया, कि लॉकडाउन की वजह से उनके बेटा-बेटी दोनों घर आए हुए हैं. उनकी बेटी अहमदाबाद में इंजीनियर है. वहीं बेटा सीए आर्टिकलशिप की पढ़ाई अहमदाबाद में कर रहा है. बेटी मीनल ने बताया, कि पिछले 7 साल बाद परिवार में इतना लंबा समय व्यतीत करने का मौका मिला है. हम लोग परिवार के साथ आनंद ले रहे हैं और मां के हाथों का खाना खा रहे है.