राजसंमद. कल यानि 24 अगस्त को देशभर में जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. श्री द्वारकाधीश मंदिर कांकरोली में भी इस महोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस महोत्सव को लेकर मंदिर में कई तरह के विशेष आयोजन होते हैं. जन्माष्टमी के दिन सुबह मंगला दर्शन के पश्चात प्रभु द्वारकाधीश का पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शक्कर और जल से नहलाया जाता है. उसके बाद भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है.
ग्रहों की गणना के आधार पर होता है जन्म का समय निर्धारित
दोपहर तक सभी नियमित दर्शनों के पश्चात शाम को प्रभु द्वारकाधीश के जागरण के दर्शन खुलते हैं. रात साढ़े ग्यारह बजे दर्शन बंद होता है. तत्पश्चात पुरोहित द्वारा ग्रहों की गणना कर स्थिति के आधार पर प्रभु जन्म का समय निर्धारित होता है.
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द्वारकेश गार्ड देते हैं बंदूकों की सलामी
वहीं, द्वारकेश गार्ड द्वारा बंदूकों की सलामी के साथ प्रभु के जन्म की उद्घोषणा होती है.उसके बाद ही मंदिर के फाटक खुलते हैं और प्रभु के दर्शन श्रद्धालुओं को होते हैं. इसके बाद प्रभु के छोटे स्वरुप शालिग्राम जी का पंचामृत स्नान किया जाता है.
जन्माष्टमी के दूसरे दिन नंदोत्सव मनाने की है परंपरा
इस नंद महोत्सव में प्रभु द्वारकाधीश को सोने के पलने में विराजित कर झूला-झुलाया जाता है. प्रभु के सम्मुख कई तरह के सोने-चांदी और लकड़ी से बने खिलौने चलाए जाते हैं. वहीं ग्वाल बाल दूध दही की होली खेलते हैं. पूरा मंदिर परिसर नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जयकारों से गूंज उठता है. दूर-दूर से लोग इस अद्भुत नजारे के दर्शन करने के लिए द्वारकाधीश मंदिर की तरफ दौड़े चले आते हैं. इन दर्शनों के पश्चात नगर वासियों की ओर से मंदिर स्थित गोवर्धन चौक में मटकी फोड़ का आयोजन होता है. जिसमें ग्वाल बाल बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. 2 दिन के इस अद्भुत महोत्सव में हजारों श्रद्धालु कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद से सरोकार होते हैं और प्रभु की जय-जयकार करते हैं.
प्रभु द्वारिकाधीश के दो दिवसीय जन्माष्टमी महोत्सव में प्रभु के दर्शन का समय
- दिनांक 24 2019 शनिवार को भाद्रपद कृष्ण पक्ष- अष्टमी जन्माष्टमी व्रत, श्री जन्मोत्सव
- दर्शन का समय- मंगला सुबह 5 बजे
- मंगला दर्शन के पश्चात- पंचामृत सुबह साढ़े पांच बजे लगभग
- श्रृंगार सुबह सवा दस बजे, राजभोग- दिन में डेढ़ बजे
- भोग और आरती- रात 8 बजे
- शयन- रात 9 बजकर 40 बजे
- जागरण- रात 10 बजे
- जन्म के दर्शन- रात 12 बजकर 39 बजे तक
नंद महोत्सव की समय-सारणी
- नंद महोत्सव के दर्शन- सुबह 10:30 बजे
- मंगला के दर्शन- दिन में 2:30 से 3:00 बजे के बीच
- राजभोग के दर्शन- शाम 4:30 से 5 बजे तक
- शयन के दर्शन- रात 8:30 बजे