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स्पेशल स्टोरी: राजसमंद के श्री द्वारकाधीश मंदिर में कुछ इस तरह से मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी - द्वारिकाधीश मंदिर राजसमंद न्यूज

पूरे देश भर में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं. वहीं कांकरोली स्थित श्री द्वारकाधीश मंदिर में भी हर्षोल्लास के साथ भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस उत्सव में हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु शामिल होंगे. कृष्ण जन्माष्टमी पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

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Published : Aug 23, 2019, 2:29 PM IST

राजसंमद. कल यानि 24 अगस्त को देशभर में जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. श्री द्वारकाधीश मंदिर कांकरोली में भी इस महोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस महोत्सव को लेकर मंदिर में कई तरह के विशेष आयोजन होते हैं. जन्माष्टमी के दिन सुबह मंगला दर्शन के पश्चात प्रभु द्वारकाधीश का पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शक्कर और जल से नहलाया जाता है. उसके बाद भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है.

ग्रहों की गणना के आधार पर होता है जन्म का समय निर्धारित

दोपहर तक सभी नियमित दर्शनों के पश्चात शाम को प्रभु द्वारकाधीश के जागरण के दर्शन खुलते हैं. रात साढ़े ग्यारह बजे दर्शन बंद होता है. तत्पश्चात पुरोहित द्वारा ग्रहों की गणना कर स्थिति के आधार पर प्रभु जन्म का समय निर्धारित होता है.

द्वारिकाधीश मंदिर में धूमधाम से मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी

यह भी पढ़ेंः जन्माष्टमी स्पेशल: वृंदावन से जयपुर आए थे आराध्य गोविंद देव जी

द्वारकेश गार्ड देते हैं बंदूकों की सलामी

वहीं, द्वारकेश गार्ड द्वारा बंदूकों की सलामी के साथ प्रभु के जन्म की उद्घोषणा होती है.उसके बाद ही मंदिर के फाटक खुलते हैं और प्रभु के दर्शन श्रद्धालुओं को होते हैं. इसके बाद प्रभु के छोटे स्वरुप शालिग्राम जी का पंचामृत स्नान किया जाता है.

जन्माष्टमी के दूसरे दिन नंदोत्सव मनाने की है परंपरा

इस नंद महोत्सव में प्रभु द्वारकाधीश को सोने के पलने में विराजित कर झूला-झुलाया जाता है. प्रभु के सम्मुख कई तरह के सोने-चांदी और लकड़ी से बने खिलौने चलाए जाते हैं. वहीं ग्वाल बाल दूध दही की होली खेलते हैं. पूरा मंदिर परिसर नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जयकारों से गूंज उठता है. दूर-दूर से लोग इस अद्भुत नजारे के दर्शन करने के लिए द्वारकाधीश मंदिर की तरफ दौड़े चले आते हैं. इन दर्शनों के पश्चात नगर वासियों की ओर से मंदिर स्थित गोवर्धन चौक में मटकी फोड़ का आयोजन होता है. जिसमें ग्वाल बाल बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. 2 दिन के इस अद्भुत महोत्सव में हजारों श्रद्धालु कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद से सरोकार होते हैं और प्रभु की जय-जयकार करते हैं.

प्रभु द्वारिकाधीश के दो दिवसीय जन्माष्टमी महोत्सव में प्रभु के दर्शन का समय

  • दिनांक 24 2019 शनिवार को भाद्रपद कृष्ण पक्ष- अष्टमी जन्माष्टमी व्रत, श्री जन्मोत्सव
  • दर्शन का समय- मंगला सुबह 5 बजे
  • मंगला दर्शन के पश्चात- पंचामृत सुबह साढ़े पांच बजे लगभग
  • श्रृंगार सुबह सवा दस बजे, राजभोग- दिन में डेढ़ बजे
  • भोग और आरती- रात 8 बजे
  • शयन- रात 9 बजकर 40 बजे
  • जागरण- रात 10 बजे
  • जन्म के दर्शन- रात 12 बजकर 39 बजे तक

नंद महोत्सव की समय-सारणी

  • नंद महोत्सव के दर्शन- सुबह 10:30 बजे
  • मंगला के दर्शन- दिन में 2:30 से 3:00 बजे के बीच
  • राजभोग के दर्शन- शाम 4:30 से 5 बजे तक
  • शयन के दर्शन- रात 8:30 बजे

राजसंमद. कल यानि 24 अगस्त को देशभर में जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. श्री द्वारकाधीश मंदिर कांकरोली में भी इस महोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस महोत्सव को लेकर मंदिर में कई तरह के विशेष आयोजन होते हैं. जन्माष्टमी के दिन सुबह मंगला दर्शन के पश्चात प्रभु द्वारकाधीश का पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शक्कर और जल से नहलाया जाता है. उसके बाद भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है.

ग्रहों की गणना के आधार पर होता है जन्म का समय निर्धारित

दोपहर तक सभी नियमित दर्शनों के पश्चात शाम को प्रभु द्वारकाधीश के जागरण के दर्शन खुलते हैं. रात साढ़े ग्यारह बजे दर्शन बंद होता है. तत्पश्चात पुरोहित द्वारा ग्रहों की गणना कर स्थिति के आधार पर प्रभु जन्म का समय निर्धारित होता है.

द्वारिकाधीश मंदिर में धूमधाम से मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी

यह भी पढ़ेंः जन्माष्टमी स्पेशल: वृंदावन से जयपुर आए थे आराध्य गोविंद देव जी

द्वारकेश गार्ड देते हैं बंदूकों की सलामी

वहीं, द्वारकेश गार्ड द्वारा बंदूकों की सलामी के साथ प्रभु के जन्म की उद्घोषणा होती है.उसके बाद ही मंदिर के फाटक खुलते हैं और प्रभु के दर्शन श्रद्धालुओं को होते हैं. इसके बाद प्रभु के छोटे स्वरुप शालिग्राम जी का पंचामृत स्नान किया जाता है.

जन्माष्टमी के दूसरे दिन नंदोत्सव मनाने की है परंपरा

इस नंद महोत्सव में प्रभु द्वारकाधीश को सोने के पलने में विराजित कर झूला-झुलाया जाता है. प्रभु के सम्मुख कई तरह के सोने-चांदी और लकड़ी से बने खिलौने चलाए जाते हैं. वहीं ग्वाल बाल दूध दही की होली खेलते हैं. पूरा मंदिर परिसर नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जयकारों से गूंज उठता है. दूर-दूर से लोग इस अद्भुत नजारे के दर्शन करने के लिए द्वारकाधीश मंदिर की तरफ दौड़े चले आते हैं. इन दर्शनों के पश्चात नगर वासियों की ओर से मंदिर स्थित गोवर्धन चौक में मटकी फोड़ का आयोजन होता है. जिसमें ग्वाल बाल बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. 2 दिन के इस अद्भुत महोत्सव में हजारों श्रद्धालु कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद से सरोकार होते हैं और प्रभु की जय-जयकार करते हैं.

प्रभु द्वारिकाधीश के दो दिवसीय जन्माष्टमी महोत्सव में प्रभु के दर्शन का समय

  • दिनांक 24 2019 शनिवार को भाद्रपद कृष्ण पक्ष- अष्टमी जन्माष्टमी व्रत, श्री जन्मोत्सव
  • दर्शन का समय- मंगला सुबह 5 बजे
  • मंगला दर्शन के पश्चात- पंचामृत सुबह साढ़े पांच बजे लगभग
  • श्रृंगार सुबह सवा दस बजे, राजभोग- दिन में डेढ़ बजे
  • भोग और आरती- रात 8 बजे
  • शयन- रात 9 बजकर 40 बजे
  • जागरण- रात 10 बजे
  • जन्म के दर्शन- रात 12 बजकर 39 बजे तक

नंद महोत्सव की समय-सारणी

  • नंद महोत्सव के दर्शन- सुबह 10:30 बजे
  • मंगला के दर्शन- दिन में 2:30 से 3:00 बजे के बीच
  • राजभोग के दर्शन- शाम 4:30 से 5 बजे तक
  • शयन के दर्शन- रात 8:30 बजे
Intro:अनूठा है प्रभु द्वारिकाधीश का मंदिर कांकरोली मैं जन्माष्टमी का आयोजन 24 अगस्त को देशभर में जन्माष्टमी का पर्व बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा. इस मौके पर कृष्ण के अलग-अलग मंदिरों में इस आयोजन से जुड़े कई तरह के आयोजन होंगे. इन सबके बीच पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर कांकरोली में भी इस महोत्सव को लेकर तैयारियां आरंभ हो गई हैं. इस महोत्सव को लेकर द्वारकाधीश मंदिर में कई तरह के विशेष आयोजन होते हैं. जैसे कि जन्माष्टमी के दिन प्रातः मंगला दर्शन के पश्चात प्रभु द्वारिकाधीश को पंचामृत स्नान होता है. जिसमें प्रभु श्री द्वारकाधीश को दूध दही घी शक्कर और जल से पंचामृत स्नान करवाया जाता है.तत्पश्चात प्रभु द्वारकाधीश को विशेष श्रृंगार किया जाता है.


Body:दोपहर तक सभी नियमित दर्शनों के पश्चात शाम को प्रभु द्वारिकाधीश के जागरण के दर्शन खुलते हैं. रात्रि 11:30 बजे दर्शन बंद होता है.तत्पश्चात मंदिर पुरोहित द्वारा ग्रहों की गणना वह स्थिति के आधार पर प्रभु जन्म का समय निर्धारित होता है. और उस पर प्रभु के जन्म के दर्शन खुलते हैं. वही द्वारकेश गार्ड द्वारा बंदूकों की सलामी के साथ प्रभु के जन्म उद्घोषणा होती है. और प्रभु के दर्शन खुलते हैं. यह दर्शन जन्म के दर्शन के लाते हैं. इन दिनों में प्रभु के छोटे स्वरुप शालिग्राम जी का पंचामृत स्नान किया जाता है.जन्माष्टमी के दूसरे दिन नंद महोत्सव मनाया जाता है.


Conclusion:इस नंद महोत्सव में प्रभु द्वारिकाधीश को सोने के पलने में विराजित कर झूला झुलाया जाता है. प्रभु के सम्मुख कई तरह के सोने-चांदी और लकड़ी से बने खिलौने चलाए जाते हैं. वही ग्वाल बाल दूध दही की होली खेलते हैं.पूरा मंदिर परिसर नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जयकारों से गूंज उठता है. दूर-दूर से लोग इस अद्भुत नजारे के दर्शन करने के लिए द्वारकाधीश मंदिर की तरफ दौड़े चले आते हैं.इन दर्शनों के पश्चात नगर वासियों की ओर से मंदिर स्थित गोवर्धन चौक में मटकी फोड़ का आयोजन होता है.जिसमें ग्वाल बाल बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. 2 दिन के इस अद्भुत महोत्सव में हजारों श्रद्धालु कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद से सरोकार होते हैं.और प्रभु की जय जयकार करते हैं. वास्तव में पुष्टि संप्रदाय की तीसरी पीठ पर कृष्ण जन्म का ये आयोजन बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. गौरतलब है कि वल्लभ संप्रदाय प्रधान पीठ के साथ 7 अलग-अलग पीठ पूरे भारतवर्ष में स्थित है.जिन्हें पुष्टिमार्गीय हवेली के नाम से संबोधित किया जाता है.और यहां पुष्टिमार्ग नियम और सेवा प्रणाली के अनुसार राग भोग श्रंगार के बालस्वरूप में सेवा प्रभु का अंगीकार करवाई जाती है.
इस प्रकार रहेंगे प्रभु द्वारिकाधीश के 24 और 25 दो दिवसीय जन्माष्टमी महोत्सव के प्रभु के दर्शन
दिनांक 24 2019 शनिवार को भाद्रपद कृष्ण पक्ष- अष्टमी जन्माष्टमी व्रत, श्री जन्मोत्सव
,,, दर्शन का समय,,,
मंगला प्रातः 5:00 बजे
मंगला दर्शन के पश्चात
पंचामृत प्रातः 5:30 लगभग
श्रंगार प्रातः 10:15 बजे
ग्वाल - अनिश्चित
राजभोग- दिन में 1:30 बजे
उत्थापन-
भोग और आरती- रात्रि 8:00 बजे
शयन- रात्रि 9:40 बजे
जागरण- रात्रि 10:00 बजे
जन्म के दर्शन- रात्रि 12:39 बजे तक

नंद महोत्सव
दिनांक 25 अगस्त 2019 रविवार को नंद महोत्सव उत्सव श्री बृजभूषण जी 1700 दर्शन का समय
राजभोग रात्रि 2:00 बजे दर्शन नहीं खुलेंगे
नंद महोत्सव के दर्शन प्रातः 10:30 बजे
मंगला के दर्शन दिन में 2:30 बजे और 3:00 के बीच
राजभोग के दर्शन - 4:30 और 5 बजे शाम को
उत्थापन- अनिश्चित
भोग और आरती के दर्शन- अनिश्चित
शयन के दर्शन- रात्रि 8:30 बजे
वही आपको बता दें. कि यह सभी दर्शन सेवा पूजा मंदिर की परंपरा के अनुसार होने के कारण उक्त दर्शनों में ही परिवर्तन भी किया जा सकता है.जहां एक और पूरे देशभर में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर जोर शोर से तैयारियां चल रही है.तो वहीं कांकरोली स्थित प्रभु श्री द्वारिकाधीश मंदिर में भी हर्षोल्लास के साथ भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा. इस उत्सव में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे. जो देश के कोने कोने से भगवान के जन्म उत्सव में शामिल होंगे.
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