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राजसमंद : आराध्यदेव द्वारकाधीश ने भक्तों के संग खेली होली...मंदिर में मनाया गया डोल महोत्सव - Rajsamand Dwarkadhish Temple Dol Utsav

राजसमंद में रविवार को फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की तृतीय पीठ प्रन्यास श्रीद्वारकाधीश मंदिर में डोल उत्सव मनाया गया. इस अवसर पर आराध्य प्रभुश्री ने भक्तों के साथ जमकर अबीर और गुलाल खेली. यह उत्सव होली के आयोजनों का आखिरी पड़ाव माना जाता है.

Rajsamand Dwarkadhish Temple,  Rajsamand Dwarkadhish Temple Dol Utsav,  Rajsamand Dole Festival
मंदिर में मनाया गया डोल महोत्सव
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Published : Mar 28, 2021, 8:12 PM IST

राजसमंद. फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की तृतीय पीठ प्रन्यास श्रीद्वारकाधीश मंदिर में डोल उत्सव मनाया गया. इस अवसर पर आराध्य प्रभुश्री ने भक्तों के साथ जमकर अबीर और गुलाल खेली. यह उत्सव होली के आयोजनों का आखिरी पड़ाव माना जाता है.

द्वारकाधीश मंदिर में डोल उत्सव

इसी के साथ मंदिर में पिछले 40 दिनों से आयोजित हो रहे होली के विभिन्न कार्यक्रमों पर विराम लग गया. माना जाता है कि अब अगले साल फाल्गुन मास में प्रभु को फिर से गुलाल की सेवा अंगीकार कराई जाएगी. इससे पहले पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के द्वारिकाधीश मंदिर में रविवार को डोल महोत्सव का उल्लास छाया रहा. डोल की झांकी के दर्शन करीब 2:00 बजे शुरू हुए, जो करीब 4:30 बजे तक चले.

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मंदिर में डोल उत्सव

इस दौरान प्रभुश्री ने अबीर गुलाल और रंगों से भक्तों के साथ जमकर होली खेली. इस दौरान मंदिर में माहौल सतरंगी हो गया. गुलाल और अबीर में सराबोर श्रद्धालु प्रभु की भक्ति में भाव विभोर नजर आए. इस दौरान मंदिर में बृजवासी बालकों ने रसिया गायन कर माहौल को और भक्तिमय बना दिया. द्वारिकाधीश मंदिर के गोस्वामी वेदांत कुमार ने श्रद्धालुओं पर रंगों की बौछार की. तो श्रद्धालु भक्ति भाव में विह्वल हो उठे.

पढ़ें- यहां अनूठी होली ने खूनी संघर्ष को बदल दिया प्रेम में....बीकानेर में 350 साल से खेली जा रही डोलची होली

इसके बाद गुलाल और अबीर प्रभु अर्पित कराई गई जो बाद में श्रद्धालु पर भी उड़ाई गई. द्वारिकाधीश मंदिर के गोस्वामी वेदांत कुमार ने बताया कि डोल महोत्सव ब्रज वासियों का प्रमुख त्यौहार होता है. जैसे गुजरात में नवरात्र, पंजाब में बैसाखी होती है. वैसे ही भगवान श्री कृष्ण के बृजवासियों के लिए डोल महोत्सव उतना ही पवित्र माना जाता है.
40 दिनों तक भगवान को चंदन चौहा, अबीर और गुलाल की सेवा अंगिकार कराई जाती है. जो जीवन के चार प्रमुख रंग होते हैं.

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मंदिर में भक्तों की भीड़

डोल महोत्सव के बाद प्रभु को अगले साल फाल्गुन मास में ही फिर रंगों की सेवा अंगीकार कराई जाएगी. तब तक के लिए प्रभु के यहां गुलाल वर्जित हो जाती है.

राजसमंद. फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर पुष्टिमार्गीय संप्रदाय की तृतीय पीठ प्रन्यास श्रीद्वारकाधीश मंदिर में डोल उत्सव मनाया गया. इस अवसर पर आराध्य प्रभुश्री ने भक्तों के साथ जमकर अबीर और गुलाल खेली. यह उत्सव होली के आयोजनों का आखिरी पड़ाव माना जाता है.

द्वारकाधीश मंदिर में डोल उत्सव

इसी के साथ मंदिर में पिछले 40 दिनों से आयोजित हो रहे होली के विभिन्न कार्यक्रमों पर विराम लग गया. माना जाता है कि अब अगले साल फाल्गुन मास में प्रभु को फिर से गुलाल की सेवा अंगीकार कराई जाएगी. इससे पहले पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के द्वारिकाधीश मंदिर में रविवार को डोल महोत्सव का उल्लास छाया रहा. डोल की झांकी के दर्शन करीब 2:00 बजे शुरू हुए, जो करीब 4:30 बजे तक चले.

Rajsamand Dwarkadhish Temple,  Rajsamand Dwarkadhish Temple Dol Utsav,  Rajsamand Dole Festival
मंदिर में डोल उत्सव

इस दौरान प्रभुश्री ने अबीर गुलाल और रंगों से भक्तों के साथ जमकर होली खेली. इस दौरान मंदिर में माहौल सतरंगी हो गया. गुलाल और अबीर में सराबोर श्रद्धालु प्रभु की भक्ति में भाव विभोर नजर आए. इस दौरान मंदिर में बृजवासी बालकों ने रसिया गायन कर माहौल को और भक्तिमय बना दिया. द्वारिकाधीश मंदिर के गोस्वामी वेदांत कुमार ने श्रद्धालुओं पर रंगों की बौछार की. तो श्रद्धालु भक्ति भाव में विह्वल हो उठे.

पढ़ें- यहां अनूठी होली ने खूनी संघर्ष को बदल दिया प्रेम में....बीकानेर में 350 साल से खेली जा रही डोलची होली

इसके बाद गुलाल और अबीर प्रभु अर्पित कराई गई जो बाद में श्रद्धालु पर भी उड़ाई गई. द्वारिकाधीश मंदिर के गोस्वामी वेदांत कुमार ने बताया कि डोल महोत्सव ब्रज वासियों का प्रमुख त्यौहार होता है. जैसे गुजरात में नवरात्र, पंजाब में बैसाखी होती है. वैसे ही भगवान श्री कृष्ण के बृजवासियों के लिए डोल महोत्सव उतना ही पवित्र माना जाता है.
40 दिनों तक भगवान को चंदन चौहा, अबीर और गुलाल की सेवा अंगिकार कराई जाती है. जो जीवन के चार प्रमुख रंग होते हैं.

Rajsamand Dwarkadhish Temple,  Rajsamand Dwarkadhish Temple Dol Utsav,  Rajsamand Dole Festival
मंदिर में भक्तों की भीड़

डोल महोत्सव के बाद प्रभु को अगले साल फाल्गुन मास में ही फिर रंगों की सेवा अंगीकार कराई जाएगी. तब तक के लिए प्रभु के यहां गुलाल वर्जित हो जाती है.

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