राजसमंद. 'जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं, हृदय नहीं वो पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं'. इस बार हम 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने राजसमंद के दो वीर सपूतों से बात की, जिन्होंने भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराने में अपना सर्वोच्च योगदान दिया है.
देश 15 अगस्त को आजादी का जश्न मना रहा है, लेकिन ये आजादी का जश्न वीर स्वतंत्रता सेनानियों और उन जांबाज वीर सपूतों के बिना पूरा नहीं हो सकता, जिन्होंने बिना खड़ग और ढाल के देश को अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद कराकर देश को एक नई सुबह प्रदान की. स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के सामने बिना युद्ध किए अपनी एकता और अखंडता के बल पर भारत को मुक्ति दिलाई. राजसमंद जिले के नाथद्वारा ईटीवी भारत की टीम पहुंची, जहां उनकी मुलाकात 94 साल के स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन सोमटिया और स्वतंत्रता सेनानी लीलाधर गुर्जर से मुलाकात हुई. ये दोनों स्वतंत्रता सेनानी उस दौर के साक्षी रहे, जब अंग्रेज हिंदुस्तान पर अपनी दमनकारी नीति थोप रहे थे.
अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोलने पर किया गया नजरबंद...
स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन सोमटिया आजादी की लड़ाई को याद करते हुए बताते हैं कि आजादी का वो दौर उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोलने पर उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद रखा गया था. महात्मा गांधी के नेतृत्व में उन्होंने 'अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन' के तहत काम किया था.
उन्होंने चीन और भारत के बीच टकराव के विषय पर कहा कि भारत और चीन का युद्ध कभी नहीं होगा. इसका उन्होंने हवाला दिया कि अमेरिका एक ऐसा देश है, जो भारत और चीन दोनों से दोस्ती रखना चाहता है. अमेरिका कभी भी युद्ध होने की स्थिति पैदा नहीं होने देगा, क्योंकि अमेरिका का दोनों देशों के साथ व्यवसाय जुड़ा हुआ है.
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मदन मोहन सोमाटिया देश की वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कहते हैं कि आजादी के पहले ऐसा वातावरण नहीं था. आज छोटी-छोटी बातों को लेकर हम लोग एक दूसरे से टकराव का वातावरण पैदा कर रहे हैं, लेकिन पहले सभी लोग एक साथ मिल बैठकर अपना दुख-सुख बयां करते थे. उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी का जो स्वदेशी अभियान का सपना था, उसे हमें साकार करना होगा.
राष्ट्रपति अवॉर्ड से भी हुए सम्मानित...
स्वतंत्रता सेनानी सोमटिया को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मोहन सोमटिया के अजीज संबंध रहे हैं. मुख्यमंत्री गहलोत जब भी नाथद्वारा आते हैं, तब इनके निवास पर आ कर इनसे मुलाकात करते हैं.
वर्तमान परिस्थितियों को लेकर जताई निराशा...
नाथद्वारा के स्वतंत्रता सेनानी लीलाधर गुर्जर स्वत्रंता संग्राम के बारे में बताते हैं कि उस समय देश में आजादी को लेकर एक लहर सवार थी. हमें भी अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर नजरबंद किया. उन्होंने कहा कि पहले और आज की परिस्थितियों में जमीन आसमान का अंतर है. पहले लोग देशभक्ति को अपना फर्ज समझते थे, लेकिन अब पद की लालसा के लिए लालायित नजर आते हैं. वर्तमान स्थितियों में सैद्धांतिक लड़ाइयां खत्म हो गई हैं. उन्होंने कहा कि आजादी के दौर से लेकर अब तक 'गरीबी मिटाओ' का सिर्फ नारा गूंज रहा है. अभी तक गरीबी मिट नहीं पाई. राजनेता अपनी सियासत की रोटियां सेक रहे हैं.
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वहीं, कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में जिला स्तरीय सम्मान से इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों को घर पर ही सम्मानित किया गया है. ईटीवी भारत देश को स्वतंत्रता दिलानेवाले सभी सेनानियों को नमन करता है.