राजसमंद. प्रसिद्ध गोरम घाट पर्यटक स्थल कश्मीर के प्रमुख पर्यटक स्थलों को भी वर्षा ऋतु में पीछे छोड़ रहा है. वर्षा ऋतु में गोरम घाट के अद्भुत प्राकृतिक नजारे को देखने देश व प्रदेश से काफी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. जहां पहुंचने के लिए राजसमंद जिले के कामलीघाट रेलवे स्टेशन से गोरम घाट तक ट्रेन का सफर तय करना पड़ता है. जहां के 10 किलोमीटर के सफर तय करने के लिए 1 घंटे का समय लगता है.
अरावली की दुर्गम पहाड़ियों के बीच प्रकृति के मनोरम दृश्य को देखने के लिए काफी संख्या में पर्यटक जो कामलीघाट चौराहे से 10:50 पर ट्रेन रवाना होती है उसमें बैठकर 11:50 पर गोरम घाट पहुंचती है. जहां अंग्रेजों के जमाने की पुल से होकर यह ट्रेन गुजरती है. दुर्गम पहाड़ियों में ट्रेन ऐसे चलती है जैसे धरती पर सांप चल रहा हो। ट्रेन में प्रकृति के मनोरम दृश्य को देखने के लिए काफी संख्या में लोग वर्षा ऋतु मे पंहुचते है.
जहां पर्यटक प्रकृति के मनोरम दृश्य को अपने फोन से सेल्फी व वीडियोग्राफी करते हैं जहां वर्षा ऋतु में काफी संख्या में झरने पशु पक्षी दिखाई देते हैं.ईटीवी भारत की टीम अपने दर्शकों व पाठकों को पूरे भारत में गोरम घाट का नजारा दिखाने के लिए गोरम घाट पहुंची तो वह भी प्रकृति के अद्भुत नजारे को देखकर अचंभित रह गई.
जहां ईटीवी भारत पर वहां आए पर्यटकों ने कहा कि यहां का नजारा अति सुंदर है हम पहली बार यहां आए हैं. लेकिन अगली बार हम पूरे परिवार के साथ यहां घूमने आएंगे. हमारी सरकार से मांग है की राजस्थान में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करना चाहिए. जिससे राजस्थान के पर्यटक को अन्य प्रदेश व अन्य देश में नहीं जाना पड़े. प्रसिद्ध प्राकृतिक स्थल गोरम घाट का वर्षा ऋतु में विंग दृश्य देखने वन विभाग के कर्मचारी व वन विभाग की अधिकारी भी यहां काफी संख्या में पहुंचते हैं.
ब्रिटिश काल के समय का ट्रैक और उस समय से होकर गुजरती मीटर गेज ट्रेन मावली रेलवे स्टेशन से रवाना होकर देवगढ़ क्षेत्र के कामलीघाट रेलवे स्टेशन पर पहुंचती है। यहीं से गोरम घाट पर्यटक स्थल की शुरुआत होती है. यहां से यह ट्रेन घने जंगल और पहाड़ियों के बीच सर्किलाकार रास्तों से होते हुए. ब्रिटिश काल के समय बने ब्रिज के ऊपर से गुजरती है तो ऐसा नजारा पेश करती है कि उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है.यहां के नजारे को कोई अपने-अपने कैमरे में कैद करने से पीछे नहीं रहता.
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कहीं तेज तो कहीं धीमी गति से चलती ट्रेन दो जगह टनल से होकर यानी (गुफा) में से गुजरती है, तो रोमांच और बढ़ जाता है. गोरम घाट की एक बड़ी खासियत यह भी है कि दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र होने के साथ ही यहां तक जाने और वापस आने के लिए 1 मीटर गेज ट्रेन एकमात्र साधन है. यह ट्रेन प्रतिदिन गोरम घाट में ट्रेन उदयपुर और राजसमंद जिले से शुरुआत होती है और 10:50 में कामलीघाट चौराहे से शुरू होती है और 11:50 पर वहां पहुंचती है और उधर पाली जिले के मारवाड़ जंक्शन से वापिस ट्रेन आती है.
गोरम घाट पर पर्यटक दूर-दूर के प्राकृतिक नजारे देख सकते हैं. खासकर बारिश के दिनों में यहां की प्राकृतिक सुंदरता जैसे और भी खिल उड़ती है.साथ ही गोरम घाट के रेलवे स्टेशन के पास में ही पहाड़ी पर एक विशाल मंदिर बना है जहां मंदिर में महाराज की धूनी के दर्शन कर परिवार में सुख शांति और समृद्धि की कामना करते हैं.अजमेर से आए पर्यटक ने कहा कि आज हम पूरे परिवार के साथ यहां घूमने आए हैं.
वहीं जयपुर से आए अमित ने कहा कि सोशल मीडिया पर यहां के बारे में जानकारी मिली थी. इसके बाद यहां का नजारा देखने पहुंचा हूं जो वास्तव में सत्यता है.वहीं नागौर के आए कैलाश ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि राजस्थान के लोगों को बाहर कहीं प्राकृतिक मनोरम दृश्य को देखने नहीं जाना चाहिए, जबकि राजस्थान का सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक सौंदर्य गोरम घाट ही है. सरकार से अपील करना चाहता हूं कि स्थानीय टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए लोगों को प्रेरित करें. जिससे राजस्थान के पर्यटकों को कहीं दूर नहीं जाना पड़े.