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शिवरात्री स्पेशल: यहां खंडित शिवलिंग की होती है पूजा, कुंड में स्नान के बाद मिलता है पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. भोले के भक्त इस इन महादेव की उपासना करते हैं. पौराणिक मान्यता है कि शिवरात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था. मान्यता यह भी है कि भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह इस दिन हुआ था. महाशिवरात्रि पर रात्रि में चार बार शिव पूजन की परंपरा है. वहीं महाशिव रात्रि के पर्व के मौके पर आपको ईटीवी भारत ऐसे महादेव मंदिर के बारे में बताने जा रहा है. जहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है, साथ ही मंदिर मे स्तिथ कुंड में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है, देखिए प्रतापगढ़ से स्पेशल रिपोर्ट...

gautameshwar mahadev, गौतमेश्वर महादेव
ऐसा मंदिर जहां खंडित शिवलिंग की होती है पूजा
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Published : Feb 19, 2020, 12:01 PM IST

Updated : Feb 20, 2020, 7:49 AM IST

प्रतापगढ़. हिन्दू धर्म शास्त्रों में खंडित देवी देवताओं की प्रतिमाओं, खंडित शिवलिंगों और तस्वीरों के पूजन को शुभ नहीं माना जाता है. लेकिन अरनोद उपखण्ड मुख्यालय का गौतमेश्वर संभवतः विश्व का एकमात्र ऐसा शिवालय हैं, जहां गौतमेश्वर महादेव दो भागों में विभाजित हैं. पूरी तरह से खंडित शिवलिंग होने के बाद भी पूजनीय है. इस मंदिर में दूर दूर से भक्तों का आना जाना लगा रहता है.

ऐसा मंदिर जहां खंडित शिवलिंग की होती है पूजा

पढ़ें: स्पेशल स्टोरीः बिजासन माता मंदिर में आते ही ठीक हो जाता है 'लकवा' रोग...जानें क्या है विधि

माना जाता है कि गौतमेश्वर महादेव के मंदिर में गौहत्या के साथ अन्य जीव हत्या का पाप लगने पर यदि समाज द्वारा किसी व्यक्ति को समाज या जाति से अलग कर दिया जाता है तो, यहां स्थित मोक्षदायिनी कुंड में स्नान करने के पश्चात उस व्यक्ति को मंदिर का पुजारी पाप मुक्ति का प्रमाण पत्र देता है. कहा जाता है कि सप्तऋषियों में से एक गौतम ऋषी पर लगा गौहत्या का कलंक भी यही स्नान करने के बाद मिटा था.

gautameshwar mahadev, गौतमेश्वर महादेव
गौतमेश्वर महादेव

पढ़ें: सिरोही के इस मंदिर में कालिदास ने की थी तपस्या...मार्कंडेय ऋषि ने पाई थी 'मृत्यु' पर विजय

खंडित शिवलिंग के पीछे की क्या है मान्यता, जानिएमोहम्मद गजनवी जब सभी हिन्दू मंदिरों पर आक्रमण करते हुए यहां पहुंचा तो उसने गौतमेश्वर महादेव शिवलिंग को भी खंडित करने का प्रयास किया. प्राचीन कथाओं के अनुसार शिवलिंग पर प्रहार करने पर भोलेनाथ ने अपना चमत्कार दिखाने के लिए पहले तो शिवलिंग से दूध की धारा छोड़ी, दूसरे प्रहार पर उसमें से दही की धारा निकली और जब गजनवी ने तीसरा प्रहार किया तो भोलेनाथ क्रोधित हो गये. इसके बाद शिवलिंग से एक आंधी की तरह मधुमक्खियों का झुंड निकला जिसने गजनवी सहित उसकी पुरी सेना को परास्त किया. यहां पर गजनवी ने भोले की शक्ति को मानते हुए शीश नवाया मंदिर का दोबारा निर्माण करवाया और एक शिलालेख भी लगाया. जो आज भी यह शिलालेख मंदिर में लगे हुए है.

पढ़ें: यहां चर्म रोगों का इलाज करती हैं माता जोगणी, इस गुफा में समाए हैं कई रहस्य

कुंड में स्नान करने से मिलती हैं हर पाप से मुक्ति अरनोद के गौतमेश्वर महादेव मंदिर में स्तिथ मंदाकनी कुंड में स्नान करने से पापों को क्लीन चिट मिल जाती है. यहां पाप मुक्ति का प्रमाण पत्र भी दिया जाता है. गौतमेश्वर में सालों से पाप मुक्ति प्रमाण-पत्र मिलने की परंपरा आज भी कायम है. यहां जीवों की हत्या के पापों का निवारण करने पर पापमुक्ति प्रमाण-पत्र मिलता है.
gautameshwar mahadev, गौतमेश्वर महादेव
पापमोचनी गंगाकुंड के बाहर बोर्ड

श्रृंग बोध से ली गई सूचना अंकित

यहां पापमोचनी गंगाकुंड के बाहर बोर्ड लगा हुआ है. इस पर श्रृंग बोध से ली गई सूचना अंकित है. यह स्थान त्रेता युग में महर्षि श्रृंग की तप स्थली रही है. उनके तप से यहां गंगा प्रकट हुई थी. इस पवित्र कुंड में स्नान करने से न्याय शास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम को गो-हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी. मान्‍यताओं के अनुसार गौतम ऋषि पर एक बार गौहत्‍या का कलंक लग गया था. उस समय वह प्रतापगढ़ के इसी मंदिर में स्थित सरोवर में स्‍नान करने आए थे. इसके बाद ही उन्‍हें गौहत्‍या के कलंक के मुक्ति मिली थी.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: संत शिरोमणि फूलाबाई ने महज 36 साल की उम्र में ली थी समाधि, लोगों से सुनिए उनके चमत्कार

कहा जाता है इसके बाद से गौतमेश्‍वर स्थित मंदिर के इस सरोवर में जो भी स्‍नान करता है. उसे पाप से मुक्ति मिल जाती है. यहां स्तिथि कचरी से 11 रुपए में यह पाप मुक्ति प्रमाण पत्र दिया जाता है. इस मंदिर से दिए गए इस प्रमाण पत्र से किसी व्यक्ति को यदि समाज से बहिस्कृत कर रखा है तो उसे पुनः समाज में ले लिया जाता है.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान का 'शापित' गांव, यहां दो मंजिला मकान बनाने में डरते हैं लोग

आदिवासियों का हरिद्वार गौतमेश्वर महादेव मंदिर

गौतमेश्वर महादेव मंदिर को आदिवासियों का हरिद्वार भी कहा जाता है. वहीं शिवरात्री के पावन मौके पर यहां भारी संख्या में राजस्थान सहित अन्य राज्यों से दर्शन के लिए आते है. मान्यता है कि यहां महादेव के दर्शन के बाद मांगी गई मुराद पूरी होती है.

प्रतापगढ़. हिन्दू धर्म शास्त्रों में खंडित देवी देवताओं की प्रतिमाओं, खंडित शिवलिंगों और तस्वीरों के पूजन को शुभ नहीं माना जाता है. लेकिन अरनोद उपखण्ड मुख्यालय का गौतमेश्वर संभवतः विश्व का एकमात्र ऐसा शिवालय हैं, जहां गौतमेश्वर महादेव दो भागों में विभाजित हैं. पूरी तरह से खंडित शिवलिंग होने के बाद भी पूजनीय है. इस मंदिर में दूर दूर से भक्तों का आना जाना लगा रहता है.

ऐसा मंदिर जहां खंडित शिवलिंग की होती है पूजा

पढ़ें: स्पेशल स्टोरीः बिजासन माता मंदिर में आते ही ठीक हो जाता है 'लकवा' रोग...जानें क्या है विधि

माना जाता है कि गौतमेश्वर महादेव के मंदिर में गौहत्या के साथ अन्य जीव हत्या का पाप लगने पर यदि समाज द्वारा किसी व्यक्ति को समाज या जाति से अलग कर दिया जाता है तो, यहां स्थित मोक्षदायिनी कुंड में स्नान करने के पश्चात उस व्यक्ति को मंदिर का पुजारी पाप मुक्ति का प्रमाण पत्र देता है. कहा जाता है कि सप्तऋषियों में से एक गौतम ऋषी पर लगा गौहत्या का कलंक भी यही स्नान करने के बाद मिटा था.

gautameshwar mahadev, गौतमेश्वर महादेव
गौतमेश्वर महादेव

पढ़ें: सिरोही के इस मंदिर में कालिदास ने की थी तपस्या...मार्कंडेय ऋषि ने पाई थी 'मृत्यु' पर विजय

खंडित शिवलिंग के पीछे की क्या है मान्यता, जानिएमोहम्मद गजनवी जब सभी हिन्दू मंदिरों पर आक्रमण करते हुए यहां पहुंचा तो उसने गौतमेश्वर महादेव शिवलिंग को भी खंडित करने का प्रयास किया. प्राचीन कथाओं के अनुसार शिवलिंग पर प्रहार करने पर भोलेनाथ ने अपना चमत्कार दिखाने के लिए पहले तो शिवलिंग से दूध की धारा छोड़ी, दूसरे प्रहार पर उसमें से दही की धारा निकली और जब गजनवी ने तीसरा प्रहार किया तो भोलेनाथ क्रोधित हो गये. इसके बाद शिवलिंग से एक आंधी की तरह मधुमक्खियों का झुंड निकला जिसने गजनवी सहित उसकी पुरी सेना को परास्त किया. यहां पर गजनवी ने भोले की शक्ति को मानते हुए शीश नवाया मंदिर का दोबारा निर्माण करवाया और एक शिलालेख भी लगाया. जो आज भी यह शिलालेख मंदिर में लगे हुए है.

पढ़ें: यहां चर्म रोगों का इलाज करती हैं माता जोगणी, इस गुफा में समाए हैं कई रहस्य

कुंड में स्नान करने से मिलती हैं हर पाप से मुक्ति अरनोद के गौतमेश्वर महादेव मंदिर में स्तिथ मंदाकनी कुंड में स्नान करने से पापों को क्लीन चिट मिल जाती है. यहां पाप मुक्ति का प्रमाण पत्र भी दिया जाता है. गौतमेश्वर में सालों से पाप मुक्ति प्रमाण-पत्र मिलने की परंपरा आज भी कायम है. यहां जीवों की हत्या के पापों का निवारण करने पर पापमुक्ति प्रमाण-पत्र मिलता है.
gautameshwar mahadev, गौतमेश्वर महादेव
पापमोचनी गंगाकुंड के बाहर बोर्ड

श्रृंग बोध से ली गई सूचना अंकित

यहां पापमोचनी गंगाकुंड के बाहर बोर्ड लगा हुआ है. इस पर श्रृंग बोध से ली गई सूचना अंकित है. यह स्थान त्रेता युग में महर्षि श्रृंग की तप स्थली रही है. उनके तप से यहां गंगा प्रकट हुई थी. इस पवित्र कुंड में स्नान करने से न्याय शास्त्र के प्रणेता महर्षि गौतम को गो-हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी. मान्‍यताओं के अनुसार गौतम ऋषि पर एक बार गौहत्‍या का कलंक लग गया था. उस समय वह प्रतापगढ़ के इसी मंदिर में स्थित सरोवर में स्‍नान करने आए थे. इसके बाद ही उन्‍हें गौहत्‍या के कलंक के मुक्ति मिली थी.

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कहा जाता है इसके बाद से गौतमेश्‍वर स्थित मंदिर के इस सरोवर में जो भी स्‍नान करता है. उसे पाप से मुक्ति मिल जाती है. यहां स्तिथि कचरी से 11 रुपए में यह पाप मुक्ति प्रमाण पत्र दिया जाता है. इस मंदिर से दिए गए इस प्रमाण पत्र से किसी व्यक्ति को यदि समाज से बहिस्कृत कर रखा है तो उसे पुनः समाज में ले लिया जाता है.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान का 'शापित' गांव, यहां दो मंजिला मकान बनाने में डरते हैं लोग

आदिवासियों का हरिद्वार गौतमेश्वर महादेव मंदिर

गौतमेश्वर महादेव मंदिर को आदिवासियों का हरिद्वार भी कहा जाता है. वहीं शिवरात्री के पावन मौके पर यहां भारी संख्या में राजस्थान सहित अन्य राज्यों से दर्शन के लिए आते है. मान्यता है कि यहां महादेव के दर्शन के बाद मांगी गई मुराद पूरी होती है.

Last Updated : Feb 20, 2020, 7:49 AM IST
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