प्रतापगढ़. जिला मुख्यालय के मानपुरा में रहने वाले एक शिक्षक और लाइब्रेरियन लोकेश पालीवाल पिछले एक साल से अपने घर की छत पर बागवानी कर रहे हैं. बचपन से ही पेड़-पौधों से एक विशेष लगाव रहा है. अपने इसी जुनून को पूरा करने के लिए उन्होंने बागवानी शुरू की. इस बागबानी को मूल स्वरूप वह लॉकडाउन में दे पाए हैं. लोकेश पालीवाल ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान कहा कि मैं सरकारी लाइब्रेरी में पिछले कई सालों से काम कर रहा हूं और मैंने लाइब्रेरी में रहते हुए प्रकृति के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है. इसी से प्रेरित होकर मैंने भी बागवानी करने का फैसला किया.
लोकेश बताते हैं कि मेरा 20 से 25 फुट का एक टेरेस गार्डन है, जहां 100 से अधिक गमलों में एडिनियम, लिली, गुलाब, अपराजिता जैसे कई सजावटी पौधे और फूल लगे हुए हैं. इसके अलावा मैंने अपने घर की छत पर केसर, कश्मीरी टूलीफ फुल, डेफोडिल, अमेरिलिली सहित कई फूल और आयुर्वेद से जुड़े मीठी तुलसी सहित कई गुणकारी पौधे मैंने अपने घर की छत पर लगाए हुए हैं.
कला का अद्भुत नमूना है लोकेश का टेरेस गार्डन
महज 5 पौधे से बागवानी की शुरुआत करने वाले संदीप के पास आज 100 से अधिक पेड़-पौधे हैं. संदीप के घर के पास कोई नर्सरी नहीं होने के कारण उन्हें पेड़-पौधों को अपने घर से काफी दूरी और कई पौधे तो लोकेश ने हजारों किलोमीटर दूर से अपने बागबानी के सपने को पूरा करने के लिए मंगवाए हैं. लोकेश अपनी सरकारी नौकरी के व्यस्त काम में से पौधों के लिए जरूर समय निकालते हैं. बिना किसी की चिंता किए अपने बागवानी के दायरे को लगातार बढ़ाते जा रहे हैं, लोकेश ने अपने घर में किचन गार्डन भी बनाया हुआ है.
छत पर तैयार करें अपनी बगिया
टेरेस गार्डन बनाने के लिए सबसे पहले घर के रूफ स्लैप यानी छत की मजबूती पर ध्यान दिया जाता है. छत की मजबूती को देखकर ही बगीचे का डिजाइन तैयार किया जाता है. इसके बाद दूसरी ध्यान देने वाली बात होती है. वॉटर प्रूफिंग टेरिस गार्डन के पौधों में पानी डालने के बाद कहीं भी लीकेज न हो और बगीचे की सीलन सीलिंग की तरफ न जाए, इसके लिए वॉटर प्रूफिंग की जाती है. इसमें पौधों में पानी डालने के बाद अतिरिक्त पानी के निकास की सुविधा पर भी ध्यान दिया जाता है, ताकि गार्डन के नीचे बने कमरे सुरक्षित रहें.
आसान है बगीचे की देखभाल
टेरेस गार्डन तैयार करने में इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी और पेड़-पौधों के चयन में भी विशेष सावधानी बरती जाती है. बगीचे में असली घास लगाने के लिए ऐसी मिट्टी का प्रयोग किया जाता है, जो पानी को ज्यादा देर तक न रोके और कम से कम पानी में घास को नमी पहुंचाती रहे. इसके अलावा टेरेस गार्डन में टैप रूट की बजाय फाइबर रूट यानी छोटी-छोटी जड़ों वाले पेड़-पौधों को प्रमुखता दी जाती है. टैप रूट काफी गहराई तक फैलती है. इनमें सतह को भेदने की क्षमता भी होती है, जिससे इनके कारण छत में दरार पड़ने का डर रहता है.
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टेरेस गार्डन में बांस का पेड़, मनी प्लांट, ताड़ का पेड़, फूलों और जड़ी बूटियों के पौधे लगाना अच्छा होता है. ये पौधे बगीचे को खूबसूरती भी बनाते हैं और इनकी जड़ें भी काफी हल्की होती हैं. इनसे छत को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचने का डर नहीं होता. बगीचे की देखभाल के लिए वक्त-वक्त पर पौधों में कीटनाशक का छिड़काव और सामान्य देख-रेख ही मुख्य है. सच तो यह है कि टेरेस गार्डन को साधारण बगीचे से कम ही देखभाल की जरूरत होती है. आप चाहें, तो टेरेस गार्डन में ही अपनी मनपसंद सब्जियां बो कर इसे किचन गार्डन भी बना सकते हैं.
सेहत और स्वाद की हरियाली
किचन गार्डन घर में तैयार किया जानेवाला ऐसा बगीचा है, जिसमें आप अपनी मनपसंद सब्जियां उगा सकते हैं. किचन गार्डन तैयार करने के लिए बड़े से लॉन या बगीचे की जरूरत नहीं होती. आप अपने छोटे से घर या अपार्टमेंट की बालकनी, गैलरी, खिड़की या कोई भी ऐसी जगह जहां सूरजकी धूप आती हो, इसे तैयार कर सकते हैं.