प्रतापगढ़. जिले के निनोर गांव में आस्था का अनोखा नजारा देखने को मिला. माता पद्मावती का नाम लेकर लोग अग्निकुंड के अंगारों पर नंगे पांव चले, लेकिन किसी को आंच तक नहीं आई. निनार में पद्मावती माता का मंदिर है. यहां रंगपंचमी के दिन हजारों श्रद्धालु नंगे पांव जलते अंगारों पर चलकर मनोकामना मांगते हैं.
रंगपंचमी के मौके पर भारी संख्या में श्रद्दालु माता पद्मावती के मंदिर पहुंचे. जिसके बाद बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और पुरुष सभी अंगारों पर नंगे पैर चले. वहीं अंगारों पर चलने से ना ही श्रद्धालु के पैर जले और ना ही श्रद्धालुओं में जलने का कोई डर दिखा. हजारों श्रद्धालु दहकते अंगारों पर नंगे पांव इस तरह चले, जैसे किसी मखमली गलीचे या फूलों की चादर पर चल रहे हो. बता दें कि प्रतापगढ़ के एक छोटे से कस्बे निनोर में पद्मावती माता का मंदिर है. जिसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है. यह मंदिर 3 हजार साल से भी ज्यादा पुराना बताया जा रहा है.
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कहा जाता है कि यह मंदिर राजा नल और दमयंती के समय का है. शास्त्रों में नैनावती नगरी, नैनसुख तालाब, पद्मावती मंदिर आदि का उल्लेख मिलता है. यह गांव कभी नैनावती नगरी के नाम से विख्यात था. मान्यता है कि नंगे पांव अंगारों पर चलने से मनोकामना पूरी होती है. साथ ही श्रद्धालुओं के ना ही पांव जलते हैं और ना ही कोई जलन होती है. गांव के लोग बताते हैं कि सालों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है. यहां हर साल अंगारों पर चलने वाले श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ती जा रही है.
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माता पर ऐसी आस्था की दहकते अंगारों पर चलने के बाद भी किसी को कोई आंच नहीं आती है ना तो श्रद्धालुओं के वस्त्र जलते हैं और ना ही पांव झुलसते हैं. हर साल यहां रंग पंचमी की रात को हजारों की तादाद में लोग अंगारों पर चलते हैं. इस दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद रहते हैं लेकिन आस्था के सैलाब पर किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं करते.