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Special : 'जिंदगी' देने की कवायद...अमीर से लेकर गरीब तक देहदान के लिए आ रहे सामने - देहदान के लिए जागरूकता

मनुष्य का जीवन अनमोल है और इसे सार्थक बनाने के लिए हर कोई कोशिश करता है. कुछ कर गुजरने की चाहत के कारण कई लोग दूसरों की मदद करने और सामाजिक कार्यों के प्रति अपनी दिलचस्पी दिखाते हैं. कुछ ऐसा ही पाली में हो रहा है, जहां भामाशाह आगे आकर औरों को 'जिंदगी' देने का काम कर रहे हैं. देखिये ये खास रिपोर्ट...

body donation in pali
पाली में देहदान के लिए जागरूकता
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Published : Jan 4, 2021, 8:56 PM IST

पाली. मनुष्य का शरीर अनमोल है और वह इससे बेइंतहा प्यार करता है. कहते हैं कि शरीर है तो सबकुछ है, लेकिन ये भी सत्य है कि इस शरीर को एक दिन मिट्टी में मिल जाना है. इसलिए ये कहा जाता है कि मिट्टी बनने से पहले मनुष्य से जो कुछ अच्छा हो सके उसे वह सब करना चाहिए. इस बात का असर पाली में नजर आ रहा है.

पाली बन रहा भामाशाह...

भामाशाहों की नगरी में के रूप में पहचाने जाने वाला पाली अब देहदान के लिए भी उभर कर आगे आ रहा है. पाली में मेडिकल कॉलेज स्थापित होने के बाद यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों में से आने वाले भविष्य में बेहतर डॉक्टर निकल सकें, इसके चलते जागरूक होकर स्वयं ही अपने देहदान की घोषणा कर रहे हैं. पिछले डेढ़ साल में मेडिकल कॉलेज को चार देहदान भी हुए हैं और वर्तमान में मेडिकल कॉलेज के पास 8 देह पड़े हैं.

pali medical college
कई लोग दिखा चुके हैं देहदान में दिलचस्पी...

गरीब से लेकर बड़े परिवारों के लोग आ रहे सामने...

जिनके शरीर पर यहां पढ़ने वाले 200 विद्यार्थी प्रतिदिन अध्ययन कर रहे हैं, जिनसे उनकी बेहतरीन प्रैक्टिस और उनके बेहतर डॉक्टर बनने का रास्ता खुलता जा रहा है. यह पाली की ही पहल है कि गरीब से लेकर बड़े परिवारों के लोग भी अपने देहदान के लिए स्वयं चल कर आगे आ रहे हैं

दरअसल, मेडिकल की पढ़ाई में शोध करने वाले विद्यार्थियों को सबसे ज्यादा प्रैक्टिकल की जरूरत होती है. यह प्रैक्टिकल किताबों से नहीं हो सकता, इसके लिए मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों को लोगों के शव की आवश्यकता पड़ती है. शरीर के अलग-अलग अंगों पर शोध कर वह एक बेहतरीन डॉक्टर बनकर उभरते हैं. पाली में पिछले 3 सालों में देहदान को लेकर जागरूकता आई है.

body donation in pali
पाली में अंगदान के लिए जागरूकता...

मेडिकल छात्रों के लिए एक 'किताब'...

अंतिम संस्कार की मिथ्या को छोड़ पाली के कई लोग इन विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए अपने शरीर का दान कर चुके हैं. मरणोपरांत इन लोगों का शरीर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए एक किताब बनकर रहेगा. पाली में अब तक 32 लोगों ने स्वेच्छा से मरणोपरांत देहदान की घोषणा कर रखी है. अपने दस्तावेज इन 32 लोगों ने पहले ही मेडिकल कॉलेज को सौंप दिए हैं.

body donation in pali
मेडिकल छात्रों की प्रैक्टिस में अहम भूमिका...

चिकित्सा शिक्षा के लिए बेहतर परिणाम...

पाली शहर के चार लोगों का पाली मेडिकल कॉलेज में देहदान किया है. वहीं, पाली में अब तक 13 लोगों का देहदान हो चुका है. पाली में पहले मेडिकल कॉलेज नहीं होने के चलते देहदान जोधपुर मेडिकल कॉलेज को किया जाता था. लोगों में देहदान को लेकर आ रही जागरूकता चिकित्सा शिक्षा के लिए बेहतर परिणाम सामने लाएगी. पाली मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. निशा भारद्वाज की मानें तो लोग ऐसा कर बहुत ही नेक और सामाज सेवा का कार्य कर रहे हैं.

पाली. मनुष्य का शरीर अनमोल है और वह इससे बेइंतहा प्यार करता है. कहते हैं कि शरीर है तो सबकुछ है, लेकिन ये भी सत्य है कि इस शरीर को एक दिन मिट्टी में मिल जाना है. इसलिए ये कहा जाता है कि मिट्टी बनने से पहले मनुष्य से जो कुछ अच्छा हो सके उसे वह सब करना चाहिए. इस बात का असर पाली में नजर आ रहा है.

पाली बन रहा भामाशाह...

भामाशाहों की नगरी में के रूप में पहचाने जाने वाला पाली अब देहदान के लिए भी उभर कर आगे आ रहा है. पाली में मेडिकल कॉलेज स्थापित होने के बाद यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों में से आने वाले भविष्य में बेहतर डॉक्टर निकल सकें, इसके चलते जागरूक होकर स्वयं ही अपने देहदान की घोषणा कर रहे हैं. पिछले डेढ़ साल में मेडिकल कॉलेज को चार देहदान भी हुए हैं और वर्तमान में मेडिकल कॉलेज के पास 8 देह पड़े हैं.

pali medical college
कई लोग दिखा चुके हैं देहदान में दिलचस्पी...

गरीब से लेकर बड़े परिवारों के लोग आ रहे सामने...

जिनके शरीर पर यहां पढ़ने वाले 200 विद्यार्थी प्रतिदिन अध्ययन कर रहे हैं, जिनसे उनकी बेहतरीन प्रैक्टिस और उनके बेहतर डॉक्टर बनने का रास्ता खुलता जा रहा है. यह पाली की ही पहल है कि गरीब से लेकर बड़े परिवारों के लोग भी अपने देहदान के लिए स्वयं चल कर आगे आ रहे हैं

दरअसल, मेडिकल की पढ़ाई में शोध करने वाले विद्यार्थियों को सबसे ज्यादा प्रैक्टिकल की जरूरत होती है. यह प्रैक्टिकल किताबों से नहीं हो सकता, इसके लिए मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों को लोगों के शव की आवश्यकता पड़ती है. शरीर के अलग-अलग अंगों पर शोध कर वह एक बेहतरीन डॉक्टर बनकर उभरते हैं. पाली में पिछले 3 सालों में देहदान को लेकर जागरूकता आई है.

body donation in pali
पाली में अंगदान के लिए जागरूकता...

मेडिकल छात्रों के लिए एक 'किताब'...

अंतिम संस्कार की मिथ्या को छोड़ पाली के कई लोग इन विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए अपने शरीर का दान कर चुके हैं. मरणोपरांत इन लोगों का शरीर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए एक किताब बनकर रहेगा. पाली में अब तक 32 लोगों ने स्वेच्छा से मरणोपरांत देहदान की घोषणा कर रखी है. अपने दस्तावेज इन 32 लोगों ने पहले ही मेडिकल कॉलेज को सौंप दिए हैं.

body donation in pali
मेडिकल छात्रों की प्रैक्टिस में अहम भूमिका...

चिकित्सा शिक्षा के लिए बेहतर परिणाम...

पाली शहर के चार लोगों का पाली मेडिकल कॉलेज में देहदान किया है. वहीं, पाली में अब तक 13 लोगों का देहदान हो चुका है. पाली में पहले मेडिकल कॉलेज नहीं होने के चलते देहदान जोधपुर मेडिकल कॉलेज को किया जाता था. लोगों में देहदान को लेकर आ रही जागरूकता चिकित्सा शिक्षा के लिए बेहतर परिणाम सामने लाएगी. पाली मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. निशा भारद्वाज की मानें तो लोग ऐसा कर बहुत ही नेक और सामाज सेवा का कार्य कर रहे हैं.

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