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सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर आया पाली का कपड़ा उद्योग - rajasthan hindi news

पाली में 282 से ज्यादा कपड़ा इकाई संचालकों ने कपड़ा तैयार करना शुरू कर दिया है. 2 महीने से बंद पड़ी इन फैक्ट्रियों में कपड़ा बनना शुरू हो चुका है, लेकिन इस बार इन सभी फैक्ट्रियों की रौनक बदली-बदली सी है. इस बार पाली का कपड़ा उद्योग सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर उतर चुका है.

पाली न्यूज, कपड़ा उद्योग, pali news, textile industry
सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर आया पाली का कपड़ा उद्योग
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Published : May 22, 2020, 8:01 PM IST

पाली. पाली की जीवन रेखा माना जाने वाला कपड़ा उद्योग एक बार फिर से पटरी पर आ चुका है. पाली में 282 से ज्यादा कपड़ा इकाई संचालकों ने कपड़ा तैयार करना शुरू कर दिया है. 2 महीने से बंद पड़ी इन फैक्ट्रियों में कपड़ा बनना शुरू हो चुका है, लेकिन इस बार इन सभी फैक्ट्रियों की रौनक बदली-बदली सी है. इस बार पाली का कपड़ा उद्योग सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर उतर चुका है. उद्यमियों ने फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिकों को भी अब सोशल डिस्टेंस, मुंह पर मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करना अनिवार्य किया हैं.

सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर आया पाली का कपड़ा उद्योग

बेरोजगारी की मार झेल रहे हजारों श्रमिक कपड़ा इकाई शुरू होने से फिर से खुश हैं. उन्हें रोजगार मिलना शुरू हो चुका है और इसके चलते वह सोशल डिस्टेंस और अपने आप को स्वस्थ रखने के सभी नियमों की पालना करते भी नजर आ रहे हैं. ऐसे में पाली का कपड़ा उद्योग और इनके अंदर काम करने वाले श्रमिकों को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है, कि अब लोग कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करते नजर आ रहे हैं.

पढ़ेंः कांग्रेस ने जानबूझकर बसों के साथ एंबुलेंस रखी, ताकि मेडिकल इमरजेंसी होने पर श्रमिकों को इलाज मिल सकेः जुबैर खान

बता दें, कि संपूर्ण देश में लॉकडाउन के चलते पाली में भी संचालित होने वाली 658 कपड़ा इकाई को बंद करना पड़ा था. पिछले दो माह से पाली का कपड़ा उद्योग पूरी तरह से ठप था. जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव इन कपड़ा इकाइयों में काम करने वाले श्रमिकों पर पड़ा था. इन सभी कपड़ा इकाइयों में लगभग 40, हजार से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं, जिन्हें प्रतिदिन अपना पेट पालने के लिए यहीं से रोजगार मिलता है. 2 माह से बंद पड़ी इन फैक्ट्रियों के कारण हजारों श्रमिक अपने घर की ओर पलायन कर चुके हैं. वहीं, जो श्रमिक स्थानीय थे वह अन्य उद्योगों में लग चुके थे.

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सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर आया पाली का कपड़ा उद्योग

पढ़ेंः श्रमिक बसों का एक रुपया भी नहीं लिया, 36 लाख का बिल भी यूपी परिवहन निगम की ओर से मांगा गया थाः खाचरियावास

पाली के कपड़ा उद्योग पर आते इस संकट को देख पाली के कपड़ा उद्यमियों ने पहल करते हुए प्रशासन के नियमों में कपड़ा इकाइयों को शुरू करने का निर्णय किया. ऐसे में सभी कपड़ा इकाइयों में श्रमिकों के बीच सोशल डिस्टेंस नजर आ रहा है. साथ ही कोरोना जैसे संक्रमण को रोकने के लिए सेनेटाइजर का उपयोग और फैक्ट्री को प्रतिदिन सैनिटाइज करने जैसी प्रक्रिया इन्होंने आम जीवन में शामिल की. कपड़ा उद्यमियों की बात करे तो उनका कहना है, कि पाली का कपड़ा उद्योग श्रमिकों से ही चल सकता है. ऐसे में 2 माह से इन लोगों को रोजगार नहीं मिलने के कारण यह सभी भी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे थे. इसीलिए पाली का कपड़ा उद्योग शुरू करना भी अनिवार्य था.

प्रशासन और उद्यमियों के बीच की बार हुई वार्ता

पाली के कपड़ा उद्योग को शुरू करने के लिए प्रशासन और उद्यमियों के बीच पिछले 2 माह में लगे चार लॉकडाउन के दौरान कई बार वार्ता हुई, लेकिन प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों को उधमी पूरा नहीं कर पाए. ऐसे में कपड़ा उद्योग शुरू नहीं हो पाया, लेकिन अब पाली में 282 कपड़ा इकाई संचालकों ने प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों के साथ अपनी कपड़ा इकाई को संचालित करने का निर्णय किया है.

पाली. पाली की जीवन रेखा माना जाने वाला कपड़ा उद्योग एक बार फिर से पटरी पर आ चुका है. पाली में 282 से ज्यादा कपड़ा इकाई संचालकों ने कपड़ा तैयार करना शुरू कर दिया है. 2 महीने से बंद पड़ी इन फैक्ट्रियों में कपड़ा बनना शुरू हो चुका है, लेकिन इस बार इन सभी फैक्ट्रियों की रौनक बदली-बदली सी है. इस बार पाली का कपड़ा उद्योग सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर उतर चुका है. उद्यमियों ने फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिकों को भी अब सोशल डिस्टेंस, मुंह पर मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करना अनिवार्य किया हैं.

सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर आया पाली का कपड़ा उद्योग

बेरोजगारी की मार झेल रहे हजारों श्रमिक कपड़ा इकाई शुरू होने से फिर से खुश हैं. उन्हें रोजगार मिलना शुरू हो चुका है और इसके चलते वह सोशल डिस्टेंस और अपने आप को स्वस्थ रखने के सभी नियमों की पालना करते भी नजर आ रहे हैं. ऐसे में पाली का कपड़ा उद्योग और इनके अंदर काम करने वाले श्रमिकों को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है, कि अब लोग कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करते नजर आ रहे हैं.

पढ़ेंः कांग्रेस ने जानबूझकर बसों के साथ एंबुलेंस रखी, ताकि मेडिकल इमरजेंसी होने पर श्रमिकों को इलाज मिल सकेः जुबैर खान

बता दें, कि संपूर्ण देश में लॉकडाउन के चलते पाली में भी संचालित होने वाली 658 कपड़ा इकाई को बंद करना पड़ा था. पिछले दो माह से पाली का कपड़ा उद्योग पूरी तरह से ठप था. जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव इन कपड़ा इकाइयों में काम करने वाले श्रमिकों पर पड़ा था. इन सभी कपड़ा इकाइयों में लगभग 40, हजार से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं, जिन्हें प्रतिदिन अपना पेट पालने के लिए यहीं से रोजगार मिलता है. 2 माह से बंद पड़ी इन फैक्ट्रियों के कारण हजारों श्रमिक अपने घर की ओर पलायन कर चुके हैं. वहीं, जो श्रमिक स्थानीय थे वह अन्य उद्योगों में लग चुके थे.

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सोशल डिस्टेंस के साथ पटरी पर आया पाली का कपड़ा उद्योग

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पाली के कपड़ा उद्योग पर आते इस संकट को देख पाली के कपड़ा उद्यमियों ने पहल करते हुए प्रशासन के नियमों में कपड़ा इकाइयों को शुरू करने का निर्णय किया. ऐसे में सभी कपड़ा इकाइयों में श्रमिकों के बीच सोशल डिस्टेंस नजर आ रहा है. साथ ही कोरोना जैसे संक्रमण को रोकने के लिए सेनेटाइजर का उपयोग और फैक्ट्री को प्रतिदिन सैनिटाइज करने जैसी प्रक्रिया इन्होंने आम जीवन में शामिल की. कपड़ा उद्यमियों की बात करे तो उनका कहना है, कि पाली का कपड़ा उद्योग श्रमिकों से ही चल सकता है. ऐसे में 2 माह से इन लोगों को रोजगार नहीं मिलने के कारण यह सभी भी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे थे. इसीलिए पाली का कपड़ा उद्योग शुरू करना भी अनिवार्य था.

प्रशासन और उद्यमियों के बीच की बार हुई वार्ता

पाली के कपड़ा उद्योग को शुरू करने के लिए प्रशासन और उद्यमियों के बीच पिछले 2 माह में लगे चार लॉकडाउन के दौरान कई बार वार्ता हुई, लेकिन प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों को उधमी पूरा नहीं कर पाए. ऐसे में कपड़ा उद्योग शुरू नहीं हो पाया, लेकिन अब पाली में 282 कपड़ा इकाई संचालकों ने प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों के साथ अपनी कपड़ा इकाई को संचालित करने का निर्णय किया है.

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