पाली. 18 साल का वक्त गुजर गया महिला को अपनों से मिले हुए, पति का साथ छूटा तो अपनों ने मुंह मोड़ा और एक लाइलाज बीमारी ने उनके जीवन को तोड़ा, लेकिन हौसले नहीं हारी और आज पाली में महिला एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उभरी है. इस समाजसेवी की कहानी और कहानियों से थोड़ी अलग है, लेकिन ना ही इस महिला की हम पहचान बता सकते है और ना ही आपको इनका चेहरा.
दरअसल, ये समाजेसवी 18 साल पहले एचआईवी पॉजिटिव से ग्रस्त हो गई थी. इस बीमारी का उन्हें पता चलता, उससे पहले उनके पति का निधन हो चुका था, जब पति ने दुनिया छोड़ी तो उस वक्त वो गर्भवती थी. ऐसे में उनके अपनों ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया. अपने पेट में पल रहे बच्चे की किलकारी को वह सुनना चाहती थी. ऐसे में लंबे वक्त तक उसने चिकित्सकों पर सभी सावधानियों को बरता और जब उनका पुत्र हुआ, तो वह एचआईवी ग्रस्त नहीं था.
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अपने पुत्र को इस लाइलाज बीमारी से दूर पाकर इस महिला के हौसले इतने बुलंद हुए कि उसने अपना पूरा जीवन ऐसी ही महिलाओं का सहयोग करने में गुजार दिया. आज उनका पुत्र 18 वर्ष का हो चुका है. और वह भी बेहतर पढ़ाई कर रहा है. ऐसे में अपने पुत्र को देख वह लाइलाज बीमारी से टूटी हुई महिलाओं का साथ देने में जुड़ चुकी है और पिछले 18 साल में ऐसे कई बच्चों की उसने जिंदगियां बचाई है. जिनकी माताओं को गर्भवती होने के बाद ही पता चला कि एचआईवी पॉजिटिव हैं.
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18 साल पहले इन्होंने पाली मारवाड़ नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी संस्थान से जुड़ गई. महिलाओं के साथ पाली रहने वाले हजारों एचआईवी पीड़ित लोगों को फिर से समाज की मझधार में लाने और उनकी सेहत को लेकर निरन्तर काउंसलिंग करने का कार्य शुरू कर दिया. इसी संस्था के साथ मिलकर इन्होंने गर्भवती होने वाली महिलाओं को उनके प्रसव होने तक उचित उपचार के लिए प्रेरित करती हैं और प्रसव के समय उसके साथ ही रहती हैं. ऐसे अबतक इस नारी शक्ति ने 300 से अधिक महिलाओं के बच्चों को बचा लिया. इसके साथ कई ऐसे बच्चों को भी अपने पास रख कर उनका पालन पोषण कर रही है. जिनके माता पिता का ऐसी बीमारी से निधन हो चुका ओर वह बच्चे भी स्वयं एचआईवी ग्रस्त हैं.
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अगर मारवाड़ नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी संस्थान पाली की रिपोर्ट को माने तो लोगों में अशिक्षा के चलते एचआईवी बढ़ रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में पाली में 4139 एचआईवी पॉजिटिव मरीज हैं. वहीं इस एनजीओ द्वारा 2854 लोगों से लगातार काउंसलिंग की जा रही है. एचआईवी पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए नया जीवन बनकर आई इस नारीशक्ति की माने तो समाज मे काफी हद तक एचआईवी फैलने का मुख्य कारण दोबारा विवाह भी हैं. उनका कहना है कि दोबारा विवाह होने के दौरान पति पत्नी का मेडिकल नहीं करवाया जाता और इस रोग एक से दूसरे में फैल जाता हैं. यह खुद भी ऐसी ही स्थितियों में इस लाइलाज बीमारी का शिकार हुई थी.