जयपुर: हेरिटेज नगर निगम को 2024 में नई महापौर के रूप में कुसुम यादव मिलीं और बोर्ड मीटिंग में अब तक जो कांग्रेस के पार्षद पक्ष में बैठा करते थे, वो विपक्ष में बैठे. हालांकि, 2024 में जो कुछ हुआ, उसकी नींव 2023 में ही रख दी गई थी. 4 अगस्त 2023 को एसीबी की कार्रवाई के बाद मुनेश गुर्जर को महापौर पद से पहली बार निलंबित करने से ये घटनाक्रम शुरू हुआ और 2024 में नए चेहरे को महापौर की कुर्सी पर देखने तक बरकरार रहा.
साल 2024 हेरिटेज नगर निगम में उठापटक वाला रहा. हेरिटेज निगम की दूसरी बोर्ड बैठक और स्वच्छ सर्वेक्षण में अपनी खोई हुई साख को लौटाने की जुगत में 60 दिन का विशेष अभियान चलाने से साल 2024 का आगाज हुआ, लेकिन जून आते-आते कांग्रेस के पार्षदों का बीजेपी की ओर रुझान ने हेरिटेज नगर निगम के समीकरण बदलने शुरू कर दिए और फिर सितंबर में वो दिन भी आ गया, जब 13 महीने में तीसरी बार मुनेश गुर्जर को महापौर पद से सस्पेंड किया गया. हालांकि, इस बार सीट को खाली नहीं छोड़ते हुए, यहां महापौर पद की प्रत्याशी रही निर्दलीय पार्षद कुसुम यादव को कार्यवाहक महापौर पद की जिम्मेदारी सौंपी गई.
नई महापौर मिलने के साथ यहां सत्ता परिवर्तन भी हुआ. इस पूरे घटनाक्रम पर ईटीवी भारत से खास बातचीत में महापौर कुसुम यादव ने बताया कि हेरिटेज नगर निगम में कांग्रेस के पास बहुमत नहीं होने के बावजूद भी जोड़-तोड़ करके यहां महापौर बनाई गई, लेकिन उस बोर्ड को वो चला नहीं पाए. क्योंकि उनकी महापौर और कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए. उनके भ्रष्टाचार के चलते भाजपा ही नहीं कांग्रेस के पार्षदों को भी कई बार धरना प्रदर्शन करना पड़ा.
पार्षद कई रातों तक न्याय की तलाश में धरने पर बैठे रहे. भ्रष्टाचार के विरुद्ध लगातार संघर्ष चलता रहा और अंत में जीत मिली. जब बीजेपी की सरकार आई उसके बाद निष्पक्ष जांच में मेयर मुनेश गुर्जर और उनके कई साथी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए. उन्हें हटाया गया. हालांकि, बीजेपी की सभी ओबीसी महिला पार्षद महापौर पद के लायक थीं, लेकिन मुख्यमंत्री, यूडीएच मंत्री और पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें चुना.
यूं चला घटनाक्रम :
- 4 अगस्त 2023 को एसीबी की कार्रवाई के बाद 5 अगस्त को स्वायत्त शासन विभाग ने मुनेश गुर्जर को मेयर और पार्षद पद से निलंबित किया था.
- 23 अगस्त 2023 को मुनेश को कोर्ट से राहत मिली और मुनेश महापौर की कुर्सी पर फिर बैठ गईं.
- 1 सितंबर 2023 को राज्य सरकार ने मुनेश गुर्जर को निलंबित करने का फैसला वापस ले लिया.
- 22 सितंबर 2023 को फिर निलंबित किया गया था.
- निलंबन के आदेश के खिलाफ मुनेश गुर्जर ने 26 सितंबर 2023 को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
- याचिका में मुनेश ने कोर्ट से कहा था कि सरकार ने एक बार फिर उन्हें कानून से विपरीत और तथ्यों से परे जाकर निलंबित किया है.
- दिसंबर 2023 में मुनेश गुर्जर फिर मेयर बन गई थीं.
- 23 सितंबर 2024 को तीसरी बार मुनेश गुर्जर को निलंबित किया गया.
- 24 सितंबर को हेरिटेज नगर निगम को कुसुम यादव के रूप में नई महापौर मिली.
बीजेपी बोर्ड बनने की इस जर्नी में कांग्रेस के पार्षदों का भी साथ मिला. इस पर महापौर ने कहा कि कांग्रेस और महापौर के भ्रष्टाचार से कांग्रेस के पार्षद भी त्रस्त थे. हर पार्षद अपने वार्ड का विकास चाहता है. सभी को भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चाहिए. जब कांग्रेस में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा बढ़ गया, तो उनके पार्षद भी उनसे परेशान हो चुके थे, क्योंकि हेरिटेज नगर निगम के 100 वार्डों के विकास का काम रुक गया था तो कांग्रेस पार्षदों ने भी बीजेपी का सहयोग किया.
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राइजिंग राजस्थान और स्वच्छ सर्वेक्षण के चलते स्वच्छता के काम जरूर पटरी पर आए हैं, लेकिन सीवरेज और सड़क के काम अभी भी होना बाकी हैं. इसे लेकर कुसुम यादव ने कहा कि बीते 4 वर्षों में कांग्रेस का बोर्ड रहा. अभी बीजेपी का बोर्ड बने दो ही महीने हुए हैं. उसमें स्वच्छता पर भी काम हुआ, राइजिंग राजस्थान को लेकर के भी काम हुआ और अब कोशिश यही है कि स्वच्छ सर्वेक्षण में अव्वल आएं. अब जल्द समितियों की घोषणा भी होगी, जिसमें नए उभरते राजनीतिज्ञ भी देखने को मिलेंगे. कई ऐसे चेहरे भी होंगे जो बहुत सौम्य हैं. कई ऐसे चेहरे हैं जो संगठन से जुड़े हुए हैं और सब मिलकर हेरिटेज नगर निगम को मजबूत सरकार देंगे.
बहरहाल, अब चर्चा है कि हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम मर्ज होगा. यानी जयपुर में फिर एक निगम होगा. इसे लेकर कुसुम यादव ने कहा कि कांग्रेस ने जयपुर के दो टुकड़े किए, लेकिन जयपुर एक होना चाहिए, क्योंकि जयपुर में सबके प्राण बसते हैं. जयपुर बंटे ये बर्दाश्त नहीं है. उन्होंने कहा कि फिलहाल हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम अलग-अलग काम कर रहा है, तो ग्रेटर निगम की महापौर अपना क्षेत्र चमकाने में लगी हुई है. उसी तरह वो भी अपने जयपुर का निरंतर विकास चाहती हैं. उसी को ध्यान में रखते हुए आगामी 2025 में काम किया जाएगा, ताकि जब निगम एक हो तो ऐसा सुंदर जयपुर मिले कि आगामी बोर्ड को काम करने में मजा आए.