पाली. पारम्परिक खेती को पीछे छोड़ 7 वीं पास तोलाराम घांची ने सफलता की नई कहानी (7th pass Farmer earning Lakhs In Pali) लिखी है. मुनाफा भी पहले के मुकाबले तगड़ा है. इनपुट कॉस्ट कम है और आउटपुट फायदे का, अच्छा खासा है. नई तकनीक और सोच के बल पर तोलाराम अब सालाना लाखों कमाते हैं. चेहरे की चमक बताती है कि जिन्दगी की फसल लहलहा रही है. ये प्रगतिशील किसान कईयों को प्रभावित (Farmer from Pali left traditional farming) कर रहे हैं. सोलर प्लांट और फसलों में नवाचार ने जिन्दगी को नए मायने दे दिए हैं.
बागवानी से जीवन हरा भरा: तोलाराम ने परम्परागत फसलों को Bye कह नवाचार से हाथ मिला लिया है. मूंग, ज्वार, तिल और गेहूं की खेती से किनारा कर बागवानी में दिल रमा लिया है. अमरूद, पपीता, गुलाब, केला और अंजीर के पौधे लगाए. इनका सुफल मिला और कम लागत में बड़ा मुनाफा हासिल कर लिया. गुलाब के 3,500 पौधे, अमरुद के 200 पौधे, पपीते के 150 पौधे, केले के 125 पौधे, 7 पौधे अंजीर के और 5 आम के पौधे लगाकर शुरुआत की. पहले मार्केट का सर्वे किया था. इंटरनेट से जुड़ाव है, सोशल मीडिया पर भी हैं सो वहीं से जाना कि गुलाब और पपीते की मांग पूरे सीजन बनी रहती है. थोड़ा और सर्च किया और बाकी फलों के पौधे भी लगा दिए. खुद पर भरोसा और बढ़ा जब एक साल में ही 7 लाख रुपए कमा लिए.
और कारवां बनता गया: तोलाराम ने कहा गुलाब क़ी खेती करने का निश्चय आसान नहीं था. इंटरनेट पर, यू ट्यूब पर बहुत कुछ देखा सुना था लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर देखने की इच्छा थी. एक दिन यूं ही कहीं से घर लौटते समय रास्ते मेे एक किसान को गुलाब के पौधे (Rose Farming In Pali) लगाते देखा तो हौसाल बढ़ा. फिर जानकारी इकट्ठा की, आवश्यक उपजाऊ जमीन, वायु वातावरण अनुसार गुलाब के पौधे लगाना शुरू कर दिया. खेती वाली जमीन की गुड़ाई कर पाली के पास देसूरी नर्सरी से देसी गुलाब के 2000 पौधे लेकर आए उन्हें लगा दिया. अगले 4 महीनों में ही गुलाब की महक चौतरफा फैलने लगी. अच्छी फसल तैयार हो गई. मुनाफा हुआ तो फिर 1500 पौधे और लगाए. फिर सोशल मीडिया से अमरूद की जानकारी प्राप्त की. शुरुआत 10 लाल अमरूद के पौधे लगाकर की. बारह महीने में ही अमरुद से पेड़ लद गए. अच्छी पैदावार हुई फिर 200 पौधे और लगा दिए. लाल अमरुद की बाजार में डिमांड भी है और उचित मूल्य पर बिकते भी हैं. इससे काफ़ी लाभ भी हुआ. पहली बार देसी पपीते के 150 पौधे लगाए. अब अलग किस्म के ताइवानी पपीते लगाए हैं. इनकी भी मांग अच्छी खासी है.
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बिजली अपने बल बूते: थोड़ा अटपटा लग सकता है. भला बिजली के लिए कैसे खुद पर निर्भर रहा जा सकता है! सिंचाई के लिए तो बिजली आपूर्ति जरूरी ही है. लेकिन एक आइडिया ही था जिसने तोलाराम के जीवन को नई दिशा दे दी. इन्होंने डिस्कॉम पर नहीं सोलर प्लांट को अपनी कामयाबी का हमराही बनाया. खेत में पांच किलो वाट का सोलर प्लांट लगाया और इससे ही खेत खुशबू से भर गया. जागरूक इतने कि कृषि विभाग से मिलने वाली सब्सिडी के बारे में पता किया, 70 फीसदी की जो सब्सिडी मिली उससे सोलर प्लांट खड़ा किया. कहते हैं साढ़े पांच साल हो गए लेकिन 5 रुपए तक का अतिरिक्त खर्चा नहीं हुआ. प्लांट लगाए साढे़ 5 वर्ष बीत चुके हैं और इन सालों में एक रुपया भी बिजली पर खर्च नहीं किया है. कम जमीन में लाखों रुपयों का फायदा हासिल कर लिया है. हैरानी होगी जानकर कि 10 बीघे में से महज 3 बीघे का प्रयोग बागवानी के लिए कर रहे हैं और उम्मीद से ज्यादा कमा भी रहे हैं.
सातवीं पास तोलाराम: किसान तोलाराम 4 बच्चों के पिता हैं. दो बेटियों को ब्याह चुके हैं और बेटों को पढ़ा रहे हैं. खुद ज्यादा नहीं पढ़ पाए इसलिए चाहते हैं कि बेटे पढ़ लिखकर पैरों पर खड़े हों. ख्वाहिश है कि छोटा बेटा उच्च शिक्षा प्राप्त कर इंजीनियर बने और सीखी गई तकनीक का इस्तेमाल अपनी जमीन पर करे. यानी चाहते हैं कि बेटे भी वही करें जो वो करते हैं लेकिन शिक्षा से और सबल और सशक्त बनें.
मेहनत तो है: किसान तोलाराम घाची क़ी मेहनत रंग लाई अब तक गुलाब के खेत में 3,500 गुलाब के पौधे लगे हैं. गुलाब की खेती बेहतर होने पर उन्होंने डिप भी लगवाई. खर्चा कम और मुनाफा तो है लेकिन इनका कहना है कि मेहनत और समर्पण के बिना मुमकिन नहीं है. जैसे गुलाब क़ी खेती करना इतना आसान नहीं. इनकी खेती करते समय खास ध्यान रखना पड़ता है. नमी चाहिए इसलिए डिप लगवाई. दीमक यहां बहुत है सो समय समय पर उसका इतंजाम भी करना पड़ता है.
कृषि मंडी नहीं छोटी दुकानों से ज्यादा मुनाफा: तोलाराम कहते हैं कि कृषि मंडी से उन्हें उचित भाव नहीं मिलता था इसलिए उन्होंने मंडी बाजार में देना बंद कर दिया. अब इलाके की छोटी -मोटी दुकानों पर बेचते हैं और वहीं से बड़ा मुनाफा कमा लेते हैं. यहां तक की बच्चे हुए गुलाब भी जाया नहीं जाते वो भी फायदे का सबब बन जाते हैं. चूंकि पाली के इर्द गिर्द लोग जानने लगे हैं सो मिठाई वाले सुखाए हुए गुलाब की पंखुड़ियों को ले जाते हैं. इससे भी कमाई अच्छी हो जाती है.