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स्पेशल रिपोर्टः नेहड़ा बांध का पानी साफ रखने के लिए कवायद शुरू, 4 माह के लिए तीन चरणों में रुकेगा पानी

पाली में फैक्ट्रियों से निकलने वाले रंगीन पानी को बांडी नदी में जाने से रोकने के लिए इस बार सीईटीपी पदाधिकारियों ने कमर कस ली है. ऐसे में तीन विभागों के अधिकारियों ने एक रिपोर्ट बनाई है. जिसके तहत प्रदूषित पानी को रोकने के लिए चार स्थानों पर मिट्टी के धोरे लगाए जाएंगे.

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Published : Oct 7, 2019, 8:49 PM IST

पाली में प्रदूषित पानी को रोकेगा अधिकारी, Officer will stop polluted water in Pali

पाली. शहर की फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी बांडी नदी में जाने से रोकने के लिए कलेक्टर के आदेश पर तीन विभागों के अधिकारियों ने एक रिपोर्ट बनाई है और इस रिपोर्ट को कलेक्टर को सौंप दिया है.

नेहड़ा बांध का पानी साफ रखने के लिए कवायद शुरू

वहीं, किसान आंदोलन के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है, जब किसानों को सिंचाई का पानी मिलने तक फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषित पानी की एक भी बूंद बांडी नदी से नेहड़ा बांध में नहीं जाएगी. वहीं प्रदूषित पानी को रोकने के लिए चार स्थानों पर मिट्टी के धोरे लगाए जाएंगे. उसके बाद छोटी नहर बनाकर रंगीन पानी को बाईपास कर छोड़ा जाएगा. ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया पर कुल 30.55 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.

एसडीएम रोहितश्वर सिंह ने सोमवार को सीईटीपी पदाधिकारियों को बुलाकर उक्त कार्यों को हाथों-हाथ शुरू करने के निर्देश दिए. वहीं रंगीन पानी को रोकने के लिए धोरे, आई एस आई मार्क वाले प्लास्टिक कोटेड फिल्म से लगाए जा रहे हैं. तकनीकी अधिकारियों का दावा है कि इस कोटेड फिल्म की मदद से प्रदूषित पानी नेहड़ा बांध में नहीं जा पाएगा.

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शहर में पर्यावरण संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने बरसाती पानी से लबालब नेहड़ा बांध में प्रदूषित पानी जाने से रोकने के लिए दो दिनों तक आंदोलन किया था. किसानों ने ट्रीटमेंट प्लांट के नालों में मिट्टी समेत अन्य अवरोधक डाल पानी ही बंद कर दिया था. ऐसे में जिला कलेक्टर दिनेश चंद्र जैन ने एसडीएम की अगुवाई में राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा, जल संसाधन विभाग के एक्सईएन नंदकिशोर बालोतरा और नगर परिषद के एक्सईएन केपी व्यास की कमेटी बनाकर नेहड़ा बांध में रंगीन पानी रोकने का प्रोजेक्ट बनाने के निर्देश दिए थे.

इस कमेटी के सदस्यों ने बीते 17 सितंबर के बाद बांडी नदी ट्रीटमेंट प्लांट और नेहड़ा बांध की भौगोलिक स्थिति के बारे में जानकारी लेकर ऐसे स्थानों को चिन्हित किया, जहां से पानी को बांध से जाने से रोका जा सकता है.

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बता दें कि नेहड़ा बांध में जमा बरसाती पानी को शुद्ध रखने के लिए इससे पहले भी प्रशासन ने कई बार ऐसे धोरे बनाए हैं. इस कड़ी में तीन साल पहले भी किसानों के आंदोलन के बाद प्रशासन की ओर से बांडी नदी में बह रहे फैक्ट्रियों के रंगीन पानी को रोकने के लिए इसी तरह के दौरे बनाए थे. लेकिन अत्यधिक मात्रा में पानी प्रभावित होने से यह धोरे पानी की क्षमता को झेल नहीं पाए और अचानक से सभी धोरे टूट गए. वहीं धोरे के टूटने से रातों-रात नेहड़ा बांध का बरसाती शुद्ध पानी पूरी तरह से रंगीन हो गया और किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया था. ऐसे में प्रशासन इस बार उन गलतियों को नहीं दोहराने के खासा ध्यान दे रहीं हैं.

पाली. शहर की फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी बांडी नदी में जाने से रोकने के लिए कलेक्टर के आदेश पर तीन विभागों के अधिकारियों ने एक रिपोर्ट बनाई है और इस रिपोर्ट को कलेक्टर को सौंप दिया है.

नेहड़ा बांध का पानी साफ रखने के लिए कवायद शुरू

वहीं, किसान आंदोलन के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है, जब किसानों को सिंचाई का पानी मिलने तक फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषित पानी की एक भी बूंद बांडी नदी से नेहड़ा बांध में नहीं जाएगी. वहीं प्रदूषित पानी को रोकने के लिए चार स्थानों पर मिट्टी के धोरे लगाए जाएंगे. उसके बाद छोटी नहर बनाकर रंगीन पानी को बाईपास कर छोड़ा जाएगा. ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया पर कुल 30.55 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.

एसडीएम रोहितश्वर सिंह ने सोमवार को सीईटीपी पदाधिकारियों को बुलाकर उक्त कार्यों को हाथों-हाथ शुरू करने के निर्देश दिए. वहीं रंगीन पानी को रोकने के लिए धोरे, आई एस आई मार्क वाले प्लास्टिक कोटेड फिल्म से लगाए जा रहे हैं. तकनीकी अधिकारियों का दावा है कि इस कोटेड फिल्म की मदद से प्रदूषित पानी नेहड़ा बांध में नहीं जा पाएगा.

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शहर में पर्यावरण संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने बरसाती पानी से लबालब नेहड़ा बांध में प्रदूषित पानी जाने से रोकने के लिए दो दिनों तक आंदोलन किया था. किसानों ने ट्रीटमेंट प्लांट के नालों में मिट्टी समेत अन्य अवरोधक डाल पानी ही बंद कर दिया था. ऐसे में जिला कलेक्टर दिनेश चंद्र जैन ने एसडीएम की अगुवाई में राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा, जल संसाधन विभाग के एक्सईएन नंदकिशोर बालोतरा और नगर परिषद के एक्सईएन केपी व्यास की कमेटी बनाकर नेहड़ा बांध में रंगीन पानी रोकने का प्रोजेक्ट बनाने के निर्देश दिए थे.

इस कमेटी के सदस्यों ने बीते 17 सितंबर के बाद बांडी नदी ट्रीटमेंट प्लांट और नेहड़ा बांध की भौगोलिक स्थिति के बारे में जानकारी लेकर ऐसे स्थानों को चिन्हित किया, जहां से पानी को बांध से जाने से रोका जा सकता है.

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बता दें कि नेहड़ा बांध में जमा बरसाती पानी को शुद्ध रखने के लिए इससे पहले भी प्रशासन ने कई बार ऐसे धोरे बनाए हैं. इस कड़ी में तीन साल पहले भी किसानों के आंदोलन के बाद प्रशासन की ओर से बांडी नदी में बह रहे फैक्ट्रियों के रंगीन पानी को रोकने के लिए इसी तरह के दौरे बनाए थे. लेकिन अत्यधिक मात्रा में पानी प्रभावित होने से यह धोरे पानी की क्षमता को झेल नहीं पाए और अचानक से सभी धोरे टूट गए. वहीं धोरे के टूटने से रातों-रात नेहड़ा बांध का बरसाती शुद्ध पानी पूरी तरह से रंगीन हो गया और किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया था. ऐसे में प्रशासन इस बार उन गलतियों को नहीं दोहराने के खासा ध्यान दे रहीं हैं.

Intro:स्पेशल स्टोरी...

पाली. शहर की फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी जानने से रोकने के लिए कलेक्टर के आदेश पर तीन विभागों के अधिकारियों ने रिपोर्ट बनाकर सौंप दी है। किसान आंदोलन के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसानों को सिंचाई का पानी मिलने तक फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषित पानी की एक भी बूंद बांडी नदी से नेहड़ा बांध में नहीं जाएगी। इसके लिए चार स्थानों पर मिट्टी के धोरे लगाए जाएंगे। छोटी नहर बनाकर रंगीन पानी को बाईपास कर छोड़ा जाएगा। इस पर कुल 30.55 करोड रुपए खर्च होने का अनुमान है। एसडीएम रोहितश्वर सिंह ने दोपहर में सीईटीपी पदाधिकारियों को बुलाकर उक्त कार्यों को हाथों-हाथ शुरू करने के निर्देश दिए हैं। धोरे आई एस आई मार्क वाले प्लास्टिक कोटेड फिल्म से लगाए जा रहे हैं। तकनीकी अधिकारियों का दावा है कि प्रदूषित पानी नेहड़ा बांध में नहीं जा पाएगा।





Body:शहर में पर्यावरण संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने बरसाती पानी से लबालब नेहड़ा बांध में प्रदूषित पानी जाने से रोकने के लिए 2 दिन तक आंदोलन किया था। किसानों ने ट्रीटमेंट प्लांट के नालों में मिट्टी समेत अन्य अवरोधक डाल पानी ही बंद कर दिया था। जिला कलेक्टर दिनेश चंद्र जैन ने एसडीएम की अगुवाई में राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी अमित शर्मा, जल संसाधन विभाग के एक्सईएन नंदकिशोर बालोतरा व नगर परिषद के एक्सईएन केपी व्यास की कमेटी बनाकर नेहड़ा बांध में रंगीन पानी रोकने का प्रोजेक्ट बनाने के निर्देश दिए थे। कमेटी के सदस्यों ने 17 सितंबर के बाद बांडी नदी ट्रीटमेंट प्लांट तथा नेहड़ा बांध की भौगोलिक स्थिति के बारे में जानकारी लेकर ऐसे स्थानों को चिन्हित किया जहां से पानी को बांध से जाने से रोका जा सकता है।


Conclusion:हालांकि नेहड़ा बांध में जमा बरसाती पानी को शुद्ध रखने के लिए इससे पहले भी प्रशासन ने कई बार ऐसे धोरे बनाए हैं। 3 साल पहले भी किसानों के आंदोलन के बाद प्रशासन की ओर से एक बांडी नदी में बह रहे फैक्ट्रियों के रंगीन पानी को रोकने के लिए इसी तरह के दौरे बनाए थे। लेकिन अत्यधिक मात्रा में पानी प्रभावित होने से यह धोरे पानी की क्षमता को नहीं झेल पाए और एक रात अचानक से सभी धोरे टूट गए। और रातों-रात नेहड़ा बांध का बरसाती शुद्ध पानी पूरी तरह से रंगीन हो गया और किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया था प्रशासन इस बार उन गलतियों को नहीं दौर आने की बात कर रहा है लेकिन किसानों की नजर अब भी इन तीनों धोरों पर टिकी हुई है।
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