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नागौर में खुद के अस्तित्व से जूझ रहा वन्य जीवों की जान बचाने वाला 'रेस्क्यू सेंटर' - Gogelav Wildlife Protected Area

गोगेलाव वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में बने रेस्क्यू सेंटर में कुछ दिन पूर्व वन विभाग के कर्मचारियों और उनके साथियों की ओर से शराब और मीट पार्टी करने का मामला सामने आया था. जिसके बाद ईटीवी भारत ने जब रेस्क्यू सेंटर का हाल जाना तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आई. बता दें कि घायल और बीमार वन्य जीवों के लिए बनाया गया रेस्क्यू सेंटर इन दिनों खुद बीमार है.

गोगेलाव वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर, Gogelav Wildlife Rescue Center
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Published : Nov 2, 2019, 7:44 PM IST

Updated : Nov 2, 2019, 8:55 PM IST

नागौर. जिले के गोगेलाव वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में बने रेस्क्यू सेंटर में आसपास के इलाकों से घायल और बीमार हिरणों सहित अन्य जानवरों को इस उम्मीद से लाया जाता है कि उनकी जान बच जाए. लेकिन घायल वन्य जीवों का उपचार करने के लिए बनाया गया रेस्क्यू सेंटर फिलहाल खुद ही बीमार है. यहां घायल और बीमार वन्य जीवों का उपचार करने के लिए ना तो डॉक्टर की व्यवस्था है और ना ही कंपाउंडर की.

गोगेलाव वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में बना रेस्क्यू सेंटर बदहाल

आलम यह है कि यहां किसी वन्य जीव को लाने पर वन विभाग के कर्मचारी ही उनकी मरहम पट्टी करते हैं. वहीं, अगर कोई गंभीर मामला होता है तो पशु पालन विभाग से पशु चिकित्सकों या कंपाउंडर को लाया जाता है. पिछले दिनों रेस्क्यू सेंटर में वन विभाग के दो कैटल गार्ड सहित चार लोगों की ओर से सेंटर में शराब और मीट पार्टी करने का मामला सामने आया था. जिसके बाद ईटीवी भारत ने जब रेस्क्यू सेंटर का हाल जाना तो यह चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है.

पढ़ेंः जांच आयोग की रिपोर्ट पर सरकार कार्रवाई करने को बाध्य नहींः महाधिवक्ता

बता दें कि सेंटर की गाड़ियों में डीजल भरने वाले पेट्रोल पंप के भी करीब तीन लाख रुपए उधार हैं. ऐसे में कुछ पेट्रोल पंप संचालकों ने तो गाड़ियों में डीजल भरने से भी मना कर दिया है. फिलहाल, वन विभाग के अधिकारी एक पेट्रोल पंप से इन गाड़ियों में डीजल भरवा रहे हैं. वहीं, बिश्नोई समाज के लोगों और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी यह मांग प्रमुखता से उठाई है कि रेस्क्यू सेंटर में डॉक्टर्स की तैनाती हो, जिससे घायल और बीमार वन्य जीवों को समय पर उचित उपचार मिल सके.

रेस्क्यू सेंटर की बदहाली पर कार्यवाहक डीएफओ सुनील गौड़ का कहना है कि वन्य जीवों के उपचार के लिए डॉक्टर्स की तैनाती सरकार के स्तर का मामला है. विभाग ने रेस्क्यू सेंटर में नियमित डॉक्टर्स की व्यवस्था करने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है. पेट्रोल पंप की उधारी के सवाल पर उनका कहना है कि बजट के अभाव में पेट्रोल पंप का भुगतान अटका हुआ था, जिसे धीरे-धीरे चुकाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बजट के लिए भी उच्चाधिकारियों से नियमित पत्र व्यवहार किया जा रहा है.

नागौर. जिले के गोगेलाव वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में बने रेस्क्यू सेंटर में आसपास के इलाकों से घायल और बीमार हिरणों सहित अन्य जानवरों को इस उम्मीद से लाया जाता है कि उनकी जान बच जाए. लेकिन घायल वन्य जीवों का उपचार करने के लिए बनाया गया रेस्क्यू सेंटर फिलहाल खुद ही बीमार है. यहां घायल और बीमार वन्य जीवों का उपचार करने के लिए ना तो डॉक्टर की व्यवस्था है और ना ही कंपाउंडर की.

गोगेलाव वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में बना रेस्क्यू सेंटर बदहाल

आलम यह है कि यहां किसी वन्य जीव को लाने पर वन विभाग के कर्मचारी ही उनकी मरहम पट्टी करते हैं. वहीं, अगर कोई गंभीर मामला होता है तो पशु पालन विभाग से पशु चिकित्सकों या कंपाउंडर को लाया जाता है. पिछले दिनों रेस्क्यू सेंटर में वन विभाग के दो कैटल गार्ड सहित चार लोगों की ओर से सेंटर में शराब और मीट पार्टी करने का मामला सामने आया था. जिसके बाद ईटीवी भारत ने जब रेस्क्यू सेंटर का हाल जाना तो यह चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है.

पढ़ेंः जांच आयोग की रिपोर्ट पर सरकार कार्रवाई करने को बाध्य नहींः महाधिवक्ता

बता दें कि सेंटर की गाड़ियों में डीजल भरने वाले पेट्रोल पंप के भी करीब तीन लाख रुपए उधार हैं. ऐसे में कुछ पेट्रोल पंप संचालकों ने तो गाड़ियों में डीजल भरने से भी मना कर दिया है. फिलहाल, वन विभाग के अधिकारी एक पेट्रोल पंप से इन गाड़ियों में डीजल भरवा रहे हैं. वहीं, बिश्नोई समाज के लोगों और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी यह मांग प्रमुखता से उठाई है कि रेस्क्यू सेंटर में डॉक्टर्स की तैनाती हो, जिससे घायल और बीमार वन्य जीवों को समय पर उचित उपचार मिल सके.

रेस्क्यू सेंटर की बदहाली पर कार्यवाहक डीएफओ सुनील गौड़ का कहना है कि वन्य जीवों के उपचार के लिए डॉक्टर्स की तैनाती सरकार के स्तर का मामला है. विभाग ने रेस्क्यू सेंटर में नियमित डॉक्टर्स की व्यवस्था करने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है. पेट्रोल पंप की उधारी के सवाल पर उनका कहना है कि बजट के अभाव में पेट्रोल पंप का भुगतान अटका हुआ था, जिसे धीरे-धीरे चुकाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बजट के लिए भी उच्चाधिकारियों से नियमित पत्र व्यवहार किया जा रहा है.

Intro:वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा शराब-मीट पार्टी की करतूत के बाद सुर्खियों में आए नागौर के गोगेलाव रेस्क्यू सेंटर के हाल बेहाल हैं। बीमार और घायल वन्य जीवों के उपचार के लिए बनाया गया रेस्क्यू सेंटर खुद बीमार है। रेस्क्यू सेंटर की व्यवस्थाओं का हाल जानने के लिए की गई पड़ताल में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।


Body:नागौर. नागौर के गोगेलाव वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में बने रेस्क्यू सेंटर में आसपास के इलाकों से घायल और बीमार हिरणों सहित अन्य जानवरों को इस उम्मीद से लाया जाता है कि उनके प्राण बच जाए। लेकिन घायल वन्य जीवों का उपचार करने के लिए बनाया गया रेस्क्यू सेंटर फिलहाल खुद ही बीमार है। यहां न तो घायल वन्य और बीमार वन्य जीवों का उपचार करने के लिए डॉक्टर की व्यवस्था है और न ही कंपाउंडर की। हालत यह है कि यहां घायल हिरण, नीलगाय या अन्य कोई वन्य जीव आने पर वन विभाग के कर्मचारी ही उनकी मरहम पट्टी करते हैं। कोई गंभीर मामला होने पर पशु पालन विभाग से पशु चिकित्सकों या कम्पाउन्डर को ले जाया जाता है। पिछले दिनों रेस्क्यू सेंटर में वन विभाग के दो कैटल गार्ड सहित चार लोगों द्वारा यहां शराब-मीट पार्टी करने का मामला सामने आने के बाद ई टीवी भारत ने रेस्क्यू सेंटर का हाल जाना तो यह चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। हालात यह है कि सेंटर की गाड़ियों में डीजल भरने वाले तीन पेट्रोल पम्प के भी करीब तीन लाख रुपए उधार हैं। ऐसे में कुछ पेट्रोल पंप संचालकों ने तो इन गाड़ियों में डीजल भरने से भी मना कर दिया है। फिलहाल, वन विभाग के अधिकारी एक पेट्रोल पंप इन गाड़ियों में डीजल भरवा रहे हैं।
बिश्नोई समाज के लोगों और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी यह मांग प्रमुखता से उठाई है कि रेस्क्यू सेंटर में डॉक्टर्स की तैनाती हो ताकि घायल और बीमार वन्य जीवों को समय पर समुचित उपचार मिल सके।


Conclusion:रेस्क्यू सेंटर की बदहाली पर कार्यवाहक डीएफओ सुनील गौड़ का कहना है कि वन्य जीवों के उपचार के लिए डॉक्टर्स की तैनाती सरकार के स्तर का मामला है। विभाग ने रेस्क्यू सेंटर में नियमित डॉक्टर्स की व्यवस्था करने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है। पेट्रोल पंप की उधारी के सवाल पर उनका कहना है कि बजट के अभाव में पेट्रोल पंप का भुगतान अटका हुआ था। जिसे धीरे-धीरे चुकाया जा रहा है। बजट के लिए भी उच्चाधिकारियों से नियमित पत्र व्यवहार किया जा रहा है।
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बाईट 1- सुनील गौड़, कार्यवाहक डीएफओ, नागौर।
बाईट 2- हनुमान बेनीवाल, सांसद, नागौर।
बाईट 3- रामरतन बिश्नोई, पर्यावरण प्रेमी।
बाईट 4- सुनील गौड़, कार्यवाहक डीएफओ, नागौर।
Last Updated : Nov 2, 2019, 8:55 PM IST
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