नागौर. जिले के गोगेलाव वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र में बने रेस्क्यू सेंटर में आसपास के इलाकों से घायल और बीमार हिरणों सहित अन्य जानवरों को इस उम्मीद से लाया जाता है कि उनकी जान बच जाए. लेकिन घायल वन्य जीवों का उपचार करने के लिए बनाया गया रेस्क्यू सेंटर फिलहाल खुद ही बीमार है. यहां घायल और बीमार वन्य जीवों का उपचार करने के लिए ना तो डॉक्टर की व्यवस्था है और ना ही कंपाउंडर की.
आलम यह है कि यहां किसी वन्य जीव को लाने पर वन विभाग के कर्मचारी ही उनकी मरहम पट्टी करते हैं. वहीं, अगर कोई गंभीर मामला होता है तो पशु पालन विभाग से पशु चिकित्सकों या कंपाउंडर को लाया जाता है. पिछले दिनों रेस्क्यू सेंटर में वन विभाग के दो कैटल गार्ड सहित चार लोगों की ओर से सेंटर में शराब और मीट पार्टी करने का मामला सामने आया था. जिसके बाद ईटीवी भारत ने जब रेस्क्यू सेंटर का हाल जाना तो यह चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है.
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बता दें कि सेंटर की गाड़ियों में डीजल भरने वाले पेट्रोल पंप के भी करीब तीन लाख रुपए उधार हैं. ऐसे में कुछ पेट्रोल पंप संचालकों ने तो गाड़ियों में डीजल भरने से भी मना कर दिया है. फिलहाल, वन विभाग के अधिकारी एक पेट्रोल पंप से इन गाड़ियों में डीजल भरवा रहे हैं. वहीं, बिश्नोई समाज के लोगों और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी यह मांग प्रमुखता से उठाई है कि रेस्क्यू सेंटर में डॉक्टर्स की तैनाती हो, जिससे घायल और बीमार वन्य जीवों को समय पर उचित उपचार मिल सके.
रेस्क्यू सेंटर की बदहाली पर कार्यवाहक डीएफओ सुनील गौड़ का कहना है कि वन्य जीवों के उपचार के लिए डॉक्टर्स की तैनाती सरकार के स्तर का मामला है. विभाग ने रेस्क्यू सेंटर में नियमित डॉक्टर्स की व्यवस्था करने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है. पेट्रोल पंप की उधारी के सवाल पर उनका कहना है कि बजट के अभाव में पेट्रोल पंप का भुगतान अटका हुआ था, जिसे धीरे-धीरे चुकाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बजट के लिए भी उच्चाधिकारियों से नियमित पत्र व्यवहार किया जा रहा है.