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नागौर: बारिश शुरू होते ही मिलने लगे टिड्डियों के अंडे

एक ओर जहां टिड्डियां पूरे प्रदेश में लगातार कहर बरपा रही हैं, वहीं दूसरी ओर इनके अंडे भी मिलने शुरू हो गए हैं. नागौर में कुछ जगहों पर इनके अंडे मिले हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस समय टिड्डियों के अंडे देने का काल चल रहा है. डेढ़ से दो महीने में इन अंडों से वयस्क टिड्डी तैयार हो जाएगी. ऐसे में इन्हें अभी नहीं रोका गया तो सितंबर में इनसे ज्यादा नुकसान होगा.

Locust eggs, नागौर न्यूज़
नागौर में मिले टिड्डियों के अंडों ने बढ़ाई चिंता
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Published : Jul 24, 2020, 1:14 AM IST

नागौर. सीमापार से आई टिड्डियां प्रदेश के दूसरे हिस्सों के साथ ही नागौर में भी लगातार कहर बरपा रही हैं. वहीं, आने वाले 2-3 महीनों में ये समस्या गंभीर होती दिख रही है, क्योंकि नागौर में कुछ जगहों पर इनके अंडे मिले हैं. ऐसे में सितंबर और उसके बाद जिले में टिड्डियों के ज्यादा बड़े हमलों की आशंका बनी हुई है.

गौरतलब है कि जिले में बीते ढाई महीने से लगातार टिड्डियों के हमले हो रहे हैं. कृषि विभाग और टिड्डी नियंत्रण मंडल किसानों की मदद से लगातार टिड्डियों को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है. लेकिन, इस कवायद में पूरी तरह सफलता नहीं मिल पा रही है. अब बारिश का मौसम शुरू होने के बाद ये समस्या विकराल रूप ले सकती है, क्योंकि बारिश में टिड्डियों का प्रजनन काल होता है और नागौर जिले में कुछ जगहों पर टिड्डियों के अंडे मिले हैं. नागौर जिले के झोरड़ा, डेह, सोमणा और गेलोली गांवों के आस-पास के रेतीले इलाकों के साथ ही डीडवाना के नवरंगपुरा के रेतीले इलाकों में भी टिड्डियों के अंडे मिलने लगे हैं.

पढ़ें: विधानसभा के विशेष सत्र की चर्चा के बीच CM की राज्यपाल से मुलाकात, माकन भी दे चुके हैं Floor Test के संकेत

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि एक टिड्डी 80 से 120 अंडे दे रही है और ये 3 बार अंडे देती हैं. ऐसे में अभी जितनी टिड्डियां जिलेभर में हमला कर रही हैं, उससे कई गुना ज्यादा नई टिड्डियां नई पैदा होने का खतरा है. कृषि विभाग अब तक 81607 हेक्टेयर प्रभावित क्षेत्र में से 18813 हेक्टेयर में ही टिड्डियों को नियंत्रित कर पाया है. बाकी बचे इलाके में किसान टिड्डियों को भगाने के लिए थाली या बर्तन बजाने पर मजबूर हैं.

नागौर में मिले टिड्डियों के अंडों ने बढ़ाई चिंता

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय टिड्डियों के अंडे देने का काल चल रहा है. डेढ़ से दो महीने में इन अंडों से वयस्क टिड्डी तैयार हो जाएगी. ऐसे में इन्हें अभी नहीं रोका गया तो सितंबर में इनसे ज्यादा नुकसान होगा. उस समय खेतों में फसल पकने के कगार पर होगी. जानकारों का यह भी कहना है कि समय रहते अगर टिड्डियों के दलों पर काबू नहीं पाया गया तो कोरोना संकट के समय अनाज की कमी भी पैदा हो सकती है.

पढ़ें: क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाला: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ जांच के आदेश

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी टिड्डियों का प्रजनन काल चल रहा है. ऐसे में किसानों को जहां भी खेत में इनके अंडे दिखे, उसके चारों तरफ गहरी खाई खोदकर इन अंडों को या इनसे निकली छोटी टिड्डियों को खाई की तरफ ले जाएं और उन पर मिट्टी डाल दें या जला दें.

बताया जा रहा है कि इस समय नागौर सहित पूरे प्रदेश में रेगिस्तानी टिड्डी दल सक्रिय हैं. इसकी रफ्तार 12 से 16 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. ये टिड्डी कितनी खतरनाक है, इसका अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि इनका एक छोटा दल एक दिन में एक हाथी, 25 ऊंट या 2500 आदमियों के बराबर अनाज चट कर सकता है.

नागौर. सीमापार से आई टिड्डियां प्रदेश के दूसरे हिस्सों के साथ ही नागौर में भी लगातार कहर बरपा रही हैं. वहीं, आने वाले 2-3 महीनों में ये समस्या गंभीर होती दिख रही है, क्योंकि नागौर में कुछ जगहों पर इनके अंडे मिले हैं. ऐसे में सितंबर और उसके बाद जिले में टिड्डियों के ज्यादा बड़े हमलों की आशंका बनी हुई है.

गौरतलब है कि जिले में बीते ढाई महीने से लगातार टिड्डियों के हमले हो रहे हैं. कृषि विभाग और टिड्डी नियंत्रण मंडल किसानों की मदद से लगातार टिड्डियों को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है. लेकिन, इस कवायद में पूरी तरह सफलता नहीं मिल पा रही है. अब बारिश का मौसम शुरू होने के बाद ये समस्या विकराल रूप ले सकती है, क्योंकि बारिश में टिड्डियों का प्रजनन काल होता है और नागौर जिले में कुछ जगहों पर टिड्डियों के अंडे मिले हैं. नागौर जिले के झोरड़ा, डेह, सोमणा और गेलोली गांवों के आस-पास के रेतीले इलाकों के साथ ही डीडवाना के नवरंगपुरा के रेतीले इलाकों में भी टिड्डियों के अंडे मिलने लगे हैं.

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कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि एक टिड्डी 80 से 120 अंडे दे रही है और ये 3 बार अंडे देती हैं. ऐसे में अभी जितनी टिड्डियां जिलेभर में हमला कर रही हैं, उससे कई गुना ज्यादा नई टिड्डियां नई पैदा होने का खतरा है. कृषि विभाग अब तक 81607 हेक्टेयर प्रभावित क्षेत्र में से 18813 हेक्टेयर में ही टिड्डियों को नियंत्रित कर पाया है. बाकी बचे इलाके में किसान टिड्डियों को भगाने के लिए थाली या बर्तन बजाने पर मजबूर हैं.

नागौर में मिले टिड्डियों के अंडों ने बढ़ाई चिंता

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय टिड्डियों के अंडे देने का काल चल रहा है. डेढ़ से दो महीने में इन अंडों से वयस्क टिड्डी तैयार हो जाएगी. ऐसे में इन्हें अभी नहीं रोका गया तो सितंबर में इनसे ज्यादा नुकसान होगा. उस समय खेतों में फसल पकने के कगार पर होगी. जानकारों का यह भी कहना है कि समय रहते अगर टिड्डियों के दलों पर काबू नहीं पाया गया तो कोरोना संकट के समय अनाज की कमी भी पैदा हो सकती है.

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कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी टिड्डियों का प्रजनन काल चल रहा है. ऐसे में किसानों को जहां भी खेत में इनके अंडे दिखे, उसके चारों तरफ गहरी खाई खोदकर इन अंडों को या इनसे निकली छोटी टिड्डियों को खाई की तरफ ले जाएं और उन पर मिट्टी डाल दें या जला दें.

बताया जा रहा है कि इस समय नागौर सहित पूरे प्रदेश में रेगिस्तानी टिड्डी दल सक्रिय हैं. इसकी रफ्तार 12 से 16 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. ये टिड्डी कितनी खतरनाक है, इसका अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि इनका एक छोटा दल एक दिन में एक हाथी, 25 ऊंट या 2500 आदमियों के बराबर अनाज चट कर सकता है.

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