नागौर. भूणी गांव के मूर्तिकार बीते कई सालों से सरकारी सुविधाएं मिलने की राह देख रहे थे. अब उनका यह इंतजार खत्म होने और इन मूर्तिकारों को सरकारी योजनाओं का फायदा मिलने की राह खुल गई है.
जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक सुशील छाबड़ा के नेतृत्व में एक टीम भूणी गांव पहुंची और गांव के मूर्तिकारों के आर्टिजन कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू की है. भूणी गांव के ग्राम पंचायत भवन में मूर्तिकारों के आर्टिजन कार्ड बनाने के लिए जिला उद्योग केंद्र की ओर से विशेष शिविर लगाया गया है. जहां आर्टिजन कार्ड बनाने के लिए मूर्तिकारों की कतार लगी दिखी. यह कार्ड बनने के बाद इन मूर्तिकारों को सरकारी योजनाओं का फायदा मिलने की राह खुल जाएगी.
मूर्तिकार कानाराम प्रजापत का कहना है कि वे करीब 20 साल से गांव में ही मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. लेकिन आज तक सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिल पाई. यहां तक कि उनका आर्टिजन कार्ड भी नहीं बन पाया था. ईटीवी भारत ने उनकी इस पीड़ा को प्रमुखता से उठाया. इसके बाद जिला उद्योग केंद्र की ओर से आर्टिजन कार्ड बनाने के लिए शिविर लगाया गया. उन्होंने ई टीवी भारत का आभार जताया है.
सोहनलाल का कहना है कि वे करीब 30 साल से मूर्तियां बना रहे हैं. गांव में मूर्तिकारों की सुविधा के लिहाज से अब तक कुछ खास काम हुआ नहीं है. यहां तक कि आर्टिजन कार्ड बनाने के लिए वे नावां से लेकर नागौर तक कई बार चक्कर लगा चुके हैं. इस मांग को लेकर उन्होंने कई बार अधिकारियों से मुलाकात की.
उनका कहना है कि कई बार विभाग की ओर से तारीख तय करने के बाद भी शिविर नहीं लगाया गया. लेकिन अब उनके आर्टिजन्स कार्ड बनने के बाद उन्हें मूर्तिकारों को सरकार की ओर से सुविधाओं का फायदा मिलने लगेगा. हालांकि, उनका कहना है कि मूर्तिकारों के लिए गांव के बाहर अलग जमीन मुहैया करवाई जाए और गांव को हाईवे के रास्ते बड़े शहरों से जोड़ा जाए तो यहां के मूर्ति उद्योग को संजीवनी मिल सकती है.
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बड़ी समस्या का हुआ समाधान
युवा मूर्तिकारों का कहना है कि आर्टिजन कार्ड बनने से उनकी एक बड़ी समस्या का समाधान हुआ है, और उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का फायदा मिलने की राह भी खुली है. लेकिन गांव में सड़क और बिजली की सुविधाओं में इजाफा करने की दरकार है, ताकि गांव में बनी मूर्तियों को देश के कोने-कोने में भिजवाया जा सके.
बता दें कि नागौर जिले में नावां पंचायत समिति के भूणी गांव में कई लोग पीढ़ियों से कारीगरी का काम कर रहे हैं. पहले यहां के कारीगर पत्थर की चक्कियां बनाते थे. लेकिन बिजली से चलने वाली चक्कियां आने के बाद इनका चलन कम हो गया. इसके बाद भूणी के कारीगरों ने पत्थरों की मूर्तियां बनाने का काम शुरू किया. रविवार को गांव में मूर्तियां बनाने के 25-30 कारखाने हैं. जहां 250-300 लोग मूर्तियां बनाने के काम में लगे हैं. लेकिन अभी तक इनका आर्टिजन कार्ड नहीं बन पाया था. इसके अलावा गांव में सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं की सुचारू व्यवस्था नहीं होने से भी परेशानी हो रही थी.
भूणी गांव के मूर्तिकारों की इन्हीं समस्याओं को लेकर ई टीवी भारत ने 19 अगस्त को प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी. इसके बाद कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी के ध्यान में यह मामला आने के बाद उन्होंने संवेदनशीलता दिखाते हुए भूणी गांव में विशेष शिविर लगाकर गांव के मूर्तिकारों के आर्टिजन्स कार्ड बनवाने के निर्देश दिए थे.
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ई-मित्र पर करवाए गए आवेदन
जिला उद्योग अधिकारी सुशील छाबड़ा ने बताया कि कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी के निर्देश पर भूणी गांव में यह खास शिविर लगाया गया है. इसमें मूर्तिकारों के आर्टिजन कार्ड के लिए ई-मित्र पर आवेदन करवाए गए हैं. इसके साथ ही मूर्तिकारों के कारखानों का भौतिक सत्यापन भी किया गया है. शिविर में रविवार को 35 मूर्तिकारों ने आर्टिजन्स कार्ड बनवाने के लिए आवेदन किया है. इनमें से 18 को कार्ड जारी कर दिए गए हैं. बाकि लोगों को कल कार्ड जारी किए जाएंगे. यह कार्ड बनने के बाद ये मूर्तिकार अपनी तैयार की गई मूर्तियों की देशभर में मार्केटिंग कर सकते हैं.
इसके साथ ही विभिन्न स्थानों पर लगने वाली हस्तशिल्प प्रदर्शनियों में आने-जाने के लिए इन मूर्तिकारों को यात्रा भत्ता भी मिलने लगेगा. यहीं नहीं, अपना काम बढ़ाने के लिए इन मूर्तिकारों को बैंक से रियायती दर पर लोन दिलवाने की सुविधा भी मिलेगी.