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EXCLUSIVE: मंजू फरडोदा बनीं सबसे युवा महिला सरपंच, महिलाओं-युवाओं के लिए काम करना है लक्ष्य

नागौर की जायल पंचायत समिति के फरडोद ग्राम पंचायत में 21 साल की मंजू फरडोदा सरपंच चुनी गई हैं. उन्होंने अपने से अनुभवी 2 प्रत्याशियों को न केवल कड़ी टक्कर दी, बल्कि 39 वोट से जीत भी हासिल की है. इस युवा सरपंच से ईटीवी भारत से खास बातचीत...

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21 साल की महिला युवा सरपंच
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Published : Jan 25, 2020, 7:47 PM IST

नागौर. पंचायत चुनाव के तहत दो चरण में जिले की 194 ग्राम पंचायतों में चुनाव हो चुके हैं. इनमें जितनी भी महिला प्रत्याशी जीती हैं. उनमें सबसे कम उम्र की सरपंच हैं, फरडोद गांव की मंजू फरडोदा. खास बात यह है कि वह गैर राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं.

एमए कर रही मंजू का कहना है कि गांवों की समस्याओं का निस्तारण करना तो उनकी प्राथमिकता है ही. साथ ही युवाओं और महिलाओं के लिए भी वह काम करना चाहती हैं.

21 साल की महिला युवा सरपंच

मंजू का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान ग्राम पंचायत के लोगों ने कई समस्याएं बताई हैं. जिनमें सड़क, पानी और बिजली की समस्याएं प्रमुख हैं, उनका निस्तारण करना तो प्राथमिकता है ही. साथ ही ग्रामीण परिवेश की महिलाओं और युवाओं के हित के लिए भी वह काम करना चाहती हैं.

यह भी पढ़ें- सीमावर्ती जैसलमेर में राष्ट्रीय पर्व को लेकर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद, BSF भी अलर्ट मोड पर

गांव की स्कूलों में हो ज्यादा संकाय

उनका कहना है कि गांव की स्कूलों में ज्यादा संकाय खुले तो गांव की बेटियों को वहीं रहकर पढ़ाई करने में आसानी होगी. इसके साथ ही स्कूलों में खाली पड़े पदों की समस्या के निस्तारण के लिए भी वह अपनी आवाज मुखर करेंगी. ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को आने वाली परेशानियों के निराकरण के लिए प्रयास करेंगी और महिला अत्याचार के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए भी गांव के लोगों खासकर महिलाओं को जागरूक करेंगी.

गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं मंजू

गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने के बावजूद अपने से अनुभवी दो प्रत्याशियों को हराने पर कैसा महसूस करती हैं. इस सवाल पर मंजू का कहना है कि उनके परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि भले ही नहीं रही हो, लेकिन सामाजिक सरोकारों में उनके परिवार के लोगों ने हमेशा बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई है.

यह भी पढ़ें- खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने के लिए छह साल में भी क्यों नहीं बनाए नियम: हाईकोर्ट

इसी का परिणाम है कि जब उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया, तो ग्राम पंचायत के 26 कौम के और हर आयु वर्ग के लोगों ने उनका समर्थन किया. अब मंजू का कहना है कि ग्राम पंचायत के लोगों ने जिस उम्मीद के साथ उन पर भरोसा जताया है. वह उन सभी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेगी.

नागौर. पंचायत चुनाव के तहत दो चरण में जिले की 194 ग्राम पंचायतों में चुनाव हो चुके हैं. इनमें जितनी भी महिला प्रत्याशी जीती हैं. उनमें सबसे कम उम्र की सरपंच हैं, फरडोद गांव की मंजू फरडोदा. खास बात यह है कि वह गैर राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं.

एमए कर रही मंजू का कहना है कि गांवों की समस्याओं का निस्तारण करना तो उनकी प्राथमिकता है ही. साथ ही युवाओं और महिलाओं के लिए भी वह काम करना चाहती हैं.

21 साल की महिला युवा सरपंच

मंजू का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान ग्राम पंचायत के लोगों ने कई समस्याएं बताई हैं. जिनमें सड़क, पानी और बिजली की समस्याएं प्रमुख हैं, उनका निस्तारण करना तो प्राथमिकता है ही. साथ ही ग्रामीण परिवेश की महिलाओं और युवाओं के हित के लिए भी वह काम करना चाहती हैं.

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गांव की स्कूलों में हो ज्यादा संकाय

उनका कहना है कि गांव की स्कूलों में ज्यादा संकाय खुले तो गांव की बेटियों को वहीं रहकर पढ़ाई करने में आसानी होगी. इसके साथ ही स्कूलों में खाली पड़े पदों की समस्या के निस्तारण के लिए भी वह अपनी आवाज मुखर करेंगी. ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को आने वाली परेशानियों के निराकरण के लिए प्रयास करेंगी और महिला अत्याचार के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए भी गांव के लोगों खासकर महिलाओं को जागरूक करेंगी.

गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं मंजू

गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने के बावजूद अपने से अनुभवी दो प्रत्याशियों को हराने पर कैसा महसूस करती हैं. इस सवाल पर मंजू का कहना है कि उनके परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि भले ही नहीं रही हो, लेकिन सामाजिक सरोकारों में उनके परिवार के लोगों ने हमेशा बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई है.

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इसी का परिणाम है कि जब उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया, तो ग्राम पंचायत के 26 कौम के और हर आयु वर्ग के लोगों ने उनका समर्थन किया. अब मंजू का कहना है कि ग्राम पंचायत के लोगों ने जिस उम्मीद के साथ उन पर भरोसा जताया है. वह उन सभी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेगी.

Intro:नागौर जिले की जायल पंचायत समिति के फरडोद ग्राम पंचायत में 21 साल की मंजू फरडोदा सरपंच चुनी गई हैं। उन्होंने अपने से अनुभवी 2 प्रत्याशियों को न केवल कड़ी टक्कर दी। बल्कि 39 वोट से जीत भी हासिल की। ई टीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि गांव के विकास के लिए उनकी क्या प्राथमिकताएं हैं।


Body:नागौर. पंचायत चुनाव के तहत दो चरण में नागौर जिले की 194 ग्राम पंचायतों में चुनाव हो चुके हैं। इनमें जितनी भी महिला प्रत्याशी जीती हैं। उनमें सबसे कम उम्र की सरपंच है फरडोद गांव की मंजू फरडोदा। खास बात यह है कि वह गैर राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं। एमए कर रही मंजू का कहना है कि गांवों की समस्याओं का निस्तारण करना तो उनकी प्राथमिकता है ही। साथ ही युवाओं और महिलाओं के लिए भी वह काम करना चाहती हैं।
मंजू का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान ग्राम पंचायत के लोगों ने कई समस्याएं बताई हैं। जिनमें सड़क, पानी और बिजली की समस्याएं प्रमुख हैं। उनका निस्तारण करना तो प्राथमिकता है ही। साथ ही ग्रामीण परिवेश की महिलाओं और युवाओं के हित के लिए भी वह काम करना चाहती हैं। उनका कहना है कि गांव की स्कूलों में ज्यादा संकाय खुले तो गांव की बेटियों को वहीं रहकर पढ़ाई करने में आसानी होगी। इसके साथ ही स्कूलों में खाली पड़े पदों की समस्या के निस्तारण के लिए भी वह अपनी आवाज मुखर करेंगी। ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को आने वाली परेशानियों के निराकरण के लिए प्रयास करेंगी और महिला अत्याचार के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए भी गांव के लोगों खासकर महिलाओं को जागरूक करेंगी।


Conclusion:गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से आने के बावजूद अपने से अनुभवी दो प्रत्याशियों को हराने पर कैसा महसूस करती हैं। इस सवाल पर मंजू का कहना है कि उनके परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि भले ही नहीं रही हो। लेकिन सामाजिक सरोकारों में उनके परिवार के लोगों ने हमेशा बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई है। इसी का परिणाम है कि जब उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया तो ग्राम पंचायत के 26 कौम के और हर आयु वर्ग के लोगों ने उनका समर्थन किया। अब मंजू का कहना है कि ग्राम पंचायत के लोगों ने जिस उम्मीद के साथ उन पर भरोसा जताया है। वह उन सभी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेगी।
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1-2-1- मंजू फरडोदा, नवनिर्वाचित सरपंच, फरडोद।
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