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नागौर में दो लोगों में हुई ब्लैक फंगस की पुष्टि

नागौर में शुक्रवार को ब्लैक फंगस के 2 मामले सामने आए हैं. इनमें से एक पुरुष शहर और दूसरी महिला मकराना की रहने वाली है. दोनों ही डायबिटीज के मरीज हैं. जहां महिला मरीज का जयपुर में तो पुरुष मरीज का जोधपुर में इलाज चल रहा है.

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नागौर में दो लोगों में हुई ब्लैक फंगस की पुष्टि
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Published : May 21, 2021, 8:05 PM IST

नागौर. कोरोना से लड़ रहे नागौर जिले को अब नई महामारी ब्लैक फंगस ने अपना शिकार बना लिया है. यहां भी इस बीमारी से जुड़े दो केस सामने आए हैं. जिसके बाद इस फंगस ने लोगों में खौफ पैदा कर दिया है. वहीं कोरोना का इलाज करा रहे लोगों में उपजे खौफ के बीच अब डॉक्टरों के सामने चुनौती है कि इस नई महामारी से कैसे निपटा जाए, ताकि ये लोगों में पनपे नहीं.

नागौर CMHO मेहराम महिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में ब्लैक फंगस के 2 मामले सामने आए हैं. इनमें से एक पुरुष नागौर शहर और दूसरी महिला मकराना की रहने वाली है. दोनों ही डायबिटीज के मरीज हैं.

बता दें कि महिला मरीज का जयपुर में तो पुरुष मरीज का जोधपुर में इलाज चल रहा है. इस नई महामारी के बारे में डॉक्टरों का मानना है कि यह पोस्ट कोविड इफैक्ट है. इसके तहत स्टेराइड युक्त दवा और ऑक्सीजन सप्लाई में लगे ह्यूमिडिफायर की बोतल का पानी इस फंगस को पनपा रहा है. विशेष रूप से डायबिटीज के मरीजों को इससे ज्यादा खतरा है. डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस का पहला असर नाक में पनपने के साथ नजर आना शुरू हो जाता है.

वहीं, नाक और आंख पर सूजन आ जाती है. साथ ही दर्द भी रहता है, इस स्टेज तक हालांकि सुधार नहीं आता है. ये लक्षण नजर आते ही यदि मरीज डॉक्टर के पास पहुंचा जाता है तो इसके आंख में प्रवेश करने से पहले ठीक किया जा सकता है. यदि एक बार आंख में यह पांव पसार लेता है तो फिर आंख को बचा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. शुरुआत में डायबिटीज मरीजों को खास ध्यान रखना चाहिए कि यदि वो घर या अस्पताल में ऑक्सीजन ले रहे हैं तो हर 24 घंटे के भीतर ही ह्यूमिडिफायर को अच्छे से साफ कर उसका पानी बदले.

ब्लैक फंगस महामारी घोषित

ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के बाद राजस्थान की गहलोत सरकार ने इसके इलाज के लिए निजी अस्पतालों के लिए कुछ प्रोटोकॉल और दरें निर्धारित कर दी है. ताकि इस बीमारी का इलाज करवाने वाले मरीजों से निजी अस्पतालों में ज्यादा पैसा नहीं वसूल किया जा सके. कोरोना महामारी की तर्ज पर सरकार ने इस बीमारी के इलाज के लिए पहले चरण में प्रदेश के 20 अस्पतालों को इसके लिए अधिकृत किया है. अब निजी अस्पताल संचालक ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज से आईसीयू विद वेंटिलेटर बेड के 9900 रुपए से ज्यादा चार्ज नहीं ले सकेंगे. आईसीयू बेड के 8250 रुपए की दर निर्धारित की गई है. हालांकि इन बेड के अलावा अन्य चार्जेज डॉक्टर का परामर्श शुल्क, नर्सिंग चार्ज, मरीज को देने होंगे. साथ ही दवाइयां, जांच सहित तमाम शुल्क अलग से देने होंगे.

नागौर. कोरोना से लड़ रहे नागौर जिले को अब नई महामारी ब्लैक फंगस ने अपना शिकार बना लिया है. यहां भी इस बीमारी से जुड़े दो केस सामने आए हैं. जिसके बाद इस फंगस ने लोगों में खौफ पैदा कर दिया है. वहीं कोरोना का इलाज करा रहे लोगों में उपजे खौफ के बीच अब डॉक्टरों के सामने चुनौती है कि इस नई महामारी से कैसे निपटा जाए, ताकि ये लोगों में पनपे नहीं.

नागौर CMHO मेहराम महिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में ब्लैक फंगस के 2 मामले सामने आए हैं. इनमें से एक पुरुष नागौर शहर और दूसरी महिला मकराना की रहने वाली है. दोनों ही डायबिटीज के मरीज हैं.

बता दें कि महिला मरीज का जयपुर में तो पुरुष मरीज का जोधपुर में इलाज चल रहा है. इस नई महामारी के बारे में डॉक्टरों का मानना है कि यह पोस्ट कोविड इफैक्ट है. इसके तहत स्टेराइड युक्त दवा और ऑक्सीजन सप्लाई में लगे ह्यूमिडिफायर की बोतल का पानी इस फंगस को पनपा रहा है. विशेष रूप से डायबिटीज के मरीजों को इससे ज्यादा खतरा है. डॉक्टरों के अनुसार ब्लैक फंगस का पहला असर नाक में पनपने के साथ नजर आना शुरू हो जाता है.

वहीं, नाक और आंख पर सूजन आ जाती है. साथ ही दर्द भी रहता है, इस स्टेज तक हालांकि सुधार नहीं आता है. ये लक्षण नजर आते ही यदि मरीज डॉक्टर के पास पहुंचा जाता है तो इसके आंख में प्रवेश करने से पहले ठीक किया जा सकता है. यदि एक बार आंख में यह पांव पसार लेता है तो फिर आंख को बचा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. शुरुआत में डायबिटीज मरीजों को खास ध्यान रखना चाहिए कि यदि वो घर या अस्पताल में ऑक्सीजन ले रहे हैं तो हर 24 घंटे के भीतर ही ह्यूमिडिफायर को अच्छे से साफ कर उसका पानी बदले.

ब्लैक फंगस महामारी घोषित

ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के बाद राजस्थान की गहलोत सरकार ने इसके इलाज के लिए निजी अस्पतालों के लिए कुछ प्रोटोकॉल और दरें निर्धारित कर दी है. ताकि इस बीमारी का इलाज करवाने वाले मरीजों से निजी अस्पतालों में ज्यादा पैसा नहीं वसूल किया जा सके. कोरोना महामारी की तर्ज पर सरकार ने इस बीमारी के इलाज के लिए पहले चरण में प्रदेश के 20 अस्पतालों को इसके लिए अधिकृत किया है. अब निजी अस्पताल संचालक ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज से आईसीयू विद वेंटिलेटर बेड के 9900 रुपए से ज्यादा चार्ज नहीं ले सकेंगे. आईसीयू बेड के 8250 रुपए की दर निर्धारित की गई है. हालांकि इन बेड के अलावा अन्य चार्जेज डॉक्टर का परामर्श शुल्क, नर्सिंग चार्ज, मरीज को देने होंगे. साथ ही दवाइयां, जांच सहित तमाम शुल्क अलग से देने होंगे.

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