नागौर. साइकिल पर अपनी जरूरत का सामान लादकर नागौर के जायल से छह मजदूर 43 डिग्री तापमान और लू के थपेड़ों के बीच करीब 1200 किलोमीटर के सफर पर निकले हैं. उत्तरप्रदेश के वाराणसी और कुंडा इनकी मंजिल है. इनका सफर सरकार और प्रशासन के उन तमाम दावों को आइना दिखा रहा है, जिनमें दावा किया जा रहा है कि प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाया जा रहा.
बता दें, कि उत्तरप्रदेश के ये 6 मजदूर अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए लंबे समय से केराप गांव के पास एक चूना भट्टे पर काम कर रहे थे. लॉकडाउन हुआ तो काम बंद हो गया और पगार भी. इन मजदूरों ने जल्दी हालात सामान्य होने और फिर से काम मिलने की उम्मीद में दो महीने काट दिए. इस बीच बचत के रूप पैसे भी खत्म हो गए और किराना दुकानदार का उधार भी बढ़ गया.
घर वालों को फोन करके इधर-उधर से रुपए मंगवाए और किराना का बकाया पैसा चुकता कर दिया. चार हजार रुपए खर्च कर नई साइकिल खरीदी और उसी पर अपनी जरूरत का सामान लादकर करीब 1200 किमी के सफर पर निकल पड़े.
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इन मजदूरों का कहना है कि दो महीने में सरकार से किसी तरह की मदद नहीं मिली. बस और ट्रेन से अपने घर जाने के लिए अधिकारियों से बात की, लेकिन बात नहीं बनी तो अब साइकिल लेकर घर के लिए निकल पड़े हैं. हाइवे की काली सड़क तपती धूप में आग उगलती है. ऊपर से 43 डिग्री के तापमान में हवा भी लू के थपेड़ों में तब्दील हो जाती है.
ऐसे में साइकिल का सफर कितना परेशानी भरा होता है, इसे ये मजदूर ही बयां कर सकते हैं. फिलहाल इन्हें पता नहीं, कि अपने घर पहुंचने के लिए इन्हें कितने दिन इसी तरह साइकिल के पैंडल पर पैर मारने पड़ेंगे. अब चिंता केवल इसी बात की है कि जैसे-तैसे अपने गांव पहुंच जाए.