कोटा. डैम रिहैबिलिटेशन इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट (DRIP) के जरिए चंबल वैली के तीन बांधों के पुनरुद्धार का कार्य शुरू होना था. इसके लिए स्वीकृति 2 साल बाद मिली, लेकिन अब भी कार्य आचार संहिता के चलते अटकने का अंदेशा बढ़ गया है. इसके टेंडर 14 अगस्त को जारी किए गए हैं और आगामी 12 सितंबर को टेक्निकल बिड खोली जाएगी. इसके बाद टेंडर अप्रूवल के लिए राज्य सरकार और वहां से सेंट्रल वाटर कमीशन और वर्ल्ड बैंक भी जाएंगे. यह अनुमति 2 महीने में आना संभव नहीं है. ऐसे में आचार संहिता होने के चलते वर्क ऑर्डर जारी नहीं हो पाएंगे. डैम के जीर्णोद्धार का कार्य अगले साल होने की उम्मीद है. इस कार्य के लिए फाइनल अप्रूवल भी बजट घोषणा के 3 साल बाद हुई है. कोटा बैराज के प्रभारी और जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी का कहना है कि बांध के सिविल स्ट्रक्चर की रोबोटिक जांच करवाई थी. रोबोट ने पानी के अंदर सिविल स्ट्रक्चर की पूरी वीडियो ग्राफी व अंडर वाटर सर्वे किया था. इसकी पूरी रिपोर्ट भी बाद में सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार की गई थी. इसके बाद ही बांधों पर क्या-क्या काम होने हैं, इसका खाका तैयार किया गया.
122 करोड़ के जारी किए हैं टेंडर : डब्ल्यूआरडी विभाग के अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी ने बताया कि ड्रिप प्रोजेक्ट के तहत चंबल वैली के राणा प्रताप सागर बांध रावतभाटा, जवाहर सागर बांध बूंदी और कोटा बैराज का रोबोटिक अंडरग्राउंड वॉटर सर्वे और कंप्यूटराइज्ड जांच करवाई थी. इसके बाद तीनो डैम में 182.78 करोड़ रुपए से हाइड्रो मैकेनिकल, सिविल और इंस्ट्रूमेंट के कार्य होने हैं. इसमें 122.39 करोड़ के वर्क टेंडर अप्रूवल के बाद निविदा जारी की हैं. इनमें हाइड्रो मैकेनिकल वर्क के लिए 40.21 करोड़ आरपीएस, 22.09 जेएस व 32.05 कोटा बैराज के लिए जारी हुए हैं. इसी तरह से सिविल वर्क में आरपीएस डैम के 20.93 व कोटा बैराज के 7.11 करोड़ रुपए के टेंडर अनुमति के बाद लगा दिए हैं. इसमें जेएस डैम में सिविल वर्क के टेंडर 50.13 करोड़ का अनुमति के लिए गया हुआ है, टेंडर अप्रूवल होते ही निविदा जारी कर दी जाएगी.
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तीन साल से था इंतजार, अब आचार संहिता का डर : राजस्थान में चंबल नदी पर बने तीनों बांध को 50 साल से ज्यादा हो गए हैं. इनकी मरम्मत की दरकरार थी. इसी के चलते राजस्थान सरकार ने साल 2020 -21 में अपने बजट में जीर्णोद्धार की घोषणा की थी. जिसकी फाइल बांधों के सहायक अभियंता से लेकर जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता राजस्थान के स्टेट प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट (SPMU), केंद्र सरकार के केंद्रीय जल आयोग (CWC), सेंट्रल प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट (CPMU) और वर्ल्ड बैंक (WORLD BANK) के चक्कर पिछले 3 सालों से लगा रही थी. अब सब तरह की अनुमति मिलने के बाद टेंडर जारी हो गए हैं, लेकिन इस टेंडर को भी अप्रूवल कराना होगा इसमें भी समय लग सकता है. इसमें आचार संहिता का डर भी जुड़ गया है.
बांधों के गेट से लेकर स्काडा मॉनिटरिंग तक के कम : जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता भारत रत्न गौड़ का कहना है कि बांधों के गेट बदले जाने हैं. गैंट्री क्रेन बदलने के साथ प्रोटेक्शन दीवार भी डैम के लिए बनाई जाएंगी. ब्रिज की सेफ्टी वॉल, बांधों में पिचिंग, राउटिंग, रिटेनिंग वॉल, प्रोटक्शन वॉल पेंटिंग के काम करवाए जाएंगे. साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे, ताकि बांधों की मॉनिटरिंग हो सके. वहीं, रबर सील बदली जाएगी. लाइटिंग, इलेक्ट्रिफिकेशन, एक्स्ट्रा पंप, जनरेटर, लैंडस्लाइडिंग रोकने के लिए प्रोटेक्शन दीवार, गैलरी निर्माण व बंद पड़े उपकरणों का काम होगा. इसके साथ ही स्काडा मॉनिटरिंग के कार्य भी होंगे. तीनों बांधों के गेट की मरम्मत करने के लिए लगे स्टॉप लोग गेट की भी मरम्मत भी होगी. डैम की सुरक्षा दीवार की ऊंचाई व लंबाई को बढ़ाया जाना है. इसके साथ ही आसपास की सड़कों को भी दुरुस्त किया जाएगा.