कोटा. जवाहर नगर थाना इलाके के हॉस्टल में रह रहे पश्चिम बंगाल के स्टूडेंट 19 वर्षीय ईशानांशु भट्टाचार्य की मौत हॉस्टल की छठी मंजिल से गिरने से गत 2 फरवरी को हो गई थी. मृतक छात्र के पिता का आरोप है कि हॉस्टल की जाली कमजोर थी, जिसके कारण हादसा हुआ.
शनिवार को मृतक छात्र के पिता और परिवार कोटा आए. पुलिस ने पोस्टमार्टम करवा छात्र के शव को परिजनों को सौंप दिया. परिजन शव को लेकर पश्चिम बंगाल के लिए रवाना हो गए. इससे पहले मीडिया से बातचीत करते हुए मृतक के पिता देबाजीत भट्टाचार्य ने कहा कि जिस जगह से उनका बेटा गिरा था. वहां पर जाली कमजोर थी, जिसके चलते ही हादसा हुआ है. साथ ही उन्होंने कहा कि हॉस्टल की मॉनिटरिंग भी कमजोर थी. रात के 11:30 बजे तक स्टूडेंट वहां पर मौजूद थे. इसके बावजूद भी उन्हें नहीं रोका टोका गया.
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उन्होंने कहा कि हॉस्टल की कमजोर जालियां उनके बेटे की मौत की वजह बनी, लेकिन आगे और हादसे नहीं हों. सभी हॉस्टलों में ऐसी जालियों को मजबूत करना चाहिए. इसके लिए जिला प्रशासन और हॉस्टल संचालकों को कदम उठाने चाहिए. हम बच्चों से काफी दूर रहते हैं, लेकिन कोटा का एडमिनिस्ट्रेशन यहीं रहता है. ऐसे में देश भर से आने वाले बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखना भी उनकी जिम्मेदारी है.
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'सीसीटीवी देखने का साहस नहीं कर पाया': देबोजित भट्टाचार्य का कहना है कि ईशानांशु के गिरने का सीसीटीवी फुटेज मेरे साथ आए लोगों ने देखा है. मैं उस सीसीटीवी फुटेज को देखने का साहस नहीं कर पाया हूं. मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है कि इस तरह का बेटे की मौत का वीडियो देख पाऊं. दूसरी तरफ इस मसले पर हॉस्टल संचालक राजीव शर्मा का कहना है कि वह मॉनिटरिंग रखते हैं. ईशानांशु चौथे माले पर रहता था, लेकिन वह अपने दोस्तों के साथ छठे माले पर गया हुआ था. इस हादसे के बाद वह हॉस्टल की सारी फ्रेम को दुरुस्त करवाने के बात कह रहे हैं. जाली का फ्रेम खुलता नहीं, लेकिन पूरा वजन फ्रेम पर चला गया. इसके चलते ही ईशानांशु ऊपर से नीचे गिरा.
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पढ़ाई में अच्छा था: देबोजित भट्टाचार्य का कहना है कि हम लोग पढ़ाइ को लेकर स्ट्रिक्ट नहीं थे. वह कोटा अपनी मर्जी से ही पढ़ाई करने के लिए आया था. इसके पहले वह सिलीगुड़ी में पढ़ाई कर रहा था. वह कोटा में खुश था. अगस्त 2022 से वह कोटा में था. बीच में 2 बार घर पर गया था व 3 बार हम भी यहां आए हैं. बीते साल 1 दिसंबर को उसका बर्थडे था. हम यहां परिवार के साथ आए थे. इसके बाद वह साथ में घर आया था. इसके बाद दोबारा 17 दिसंबर को वापस आकर पढ़ाई में जुट गया था.
नीट नहीं तो जेईई क्लियर कर लेता: देबोजित भट्टाचार्य ने कहा कि ईशानांशु कोटा में मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी करने आया था. एमबीबीएस की कोशिश पूरी तरह से कर रहा था, लेकिन एमबीएस में नहीं होता तो वह इंजीनियरिंग में चला जाता. उसने 1 फरवरी को आयोजित हुई जेईईमेन की परीक्षा भी दी है. इसके अलावा देश की सभी बड़ी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में उसने आवेदन किया हुआ है. ईशानांशु नीट को क्लियर नहीं कर पाता, तब जेईई को क्लियर कर इंजीनियरिंग में भी चला जाता. क्योंकि उसकी मैथमेटिक्स भी काफी अच्छी थी. ईशानांशु की मां और एमबीबीएस कर चुकी बहन भी कोटा उसके परिजनों के साथ पहुंची थी.