कोटा. देश का सबसे बड़ी मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम राष्ट्रीय सह-पात्रता परीक्षा (नीट यूजी 2023) का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी करवाती है. वर्तमान समय में पेपर लीक की घटनाएं कई जगह पर हो रही हैं. मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में पहले भी पेपर लीक हुए हैं. पेपर लीक की घटनाएं और नकल रोकने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने पूरा मेकैनिज्म बनाया है. इसमें प्रश्नपत्र शहरों तक पहुंचाने के लिए कोड की व्यवस्था की जाती. यहां तक रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम के डिजिटल लॉक तक का प्रबंध करती है.
दिल्ली में बनता है कंट्रोल रूमः इसके अलावा अत्याधुनिक जैमर, मेटल डिटेक्टर, फ्रिस्किंग, बॉयोमेट्रिक और पुलिस सुरक्षा का प्रबंध परीक्षा केंद्र पर भी किया जाता है. दूसरी तरफ दिल्ली में नीट यूजी परीक्षा के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है. इस कंट्रोल रूम में सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग होगी. सभी परीक्षा केंद्रों पर इंटरनेट बेस्ड सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं. इसके साथ ही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का दिल्ली से फ्लाइंग स्क्वायड भी कई जिलों में जाकर परीक्षा केंद्रों की जांच करता है. पेपर को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों में रखा जाता है. इसके साथ ही वितरण से लेकर परीक्षा करवाने का भी एक पूरा मैकेनिज्म है. जिसके तहत विद्यार्थी को 3 दिन पहले यह नहीं पता होता है कि उसे कौन से परीक्षा केंद्र पर एग्जाम देना है.
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आरएफआईडी सिस्टम से लैस होते हैं बक्सेः नेशनल टेस्टिंग एजेंसी NEET UG परीक्षा के प्रश्न पत्रों को रखने के लिए रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन (RFID) सिस्टम का उपयोग करती है. जिन बक्सों में यह पेपर भेजे जाते हैं, उन्हें आरएफआईडी सिस्टम वाले लॉक लगाकर भेजा जाता है. इन डिजिटल लॉक में किसी भी तरह का कोई गड़बड़झाला होने पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को सीधा पता चल जाता है. ये इंटरनेट से भी जुड़े होते हैं, जिसके चलते नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के दिल्ली ऑफिस में भी मॉनिटर किया जाता है.
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बैंक में रखवाए जाते हैं प्रश्न पत्रः नेशनल टेस्टिंग एजेंसी इन प्रश्न पत्रों की छपाई करवाकर उन्हें प्रत्येक विद्यार्थी की ओएमआर शीट नंबर के अनुसार जमा कराया जाता है. साथ ही विद्यार्थी के लिए पैकेट तैयार किया जाता है. जिसमें ओएमआर शीट, कार्बन कॉपी और प्रश्नपत्र होता है. इन्हें लिफाफे में डाल कर तैयार कर दिया जाता है. हर लिफाफे पर कोडिंग होती है. जिन्हें सेंटर के अनुसार बक्सों में डालकर दिल्ली से ही संबंधित शहर के बैंक में पहुंचाया जाता है. यह प्रश्न पत्र परीक्षा के एक या दो दिन पहले बैंकों में पहुंच जाते हैं. जिन्हें बैंक से परीक्षा के दिन कुछ घंटे पहले ही जारी किया जाता है. प्रश्न पत्र लेने वाले व्यक्ति को कोड बताना होता है. उसे उसी कोड का प्रश्न पत्रों से भरा हुआ बक्सा उपलब्ध करा दिया जाता है.
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ऑब्जर्वर और सुप्रीटेंडेंट की उपस्थिति में खुलता है लॉकः परीक्षा के दिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी दिल्ली से ही देशभर के सभी परीक्षा केंद्रों पर जारी किए गए डिजिटल लॉक वाले बक्सों का लॉक ओपेन करती है. जिसके बाद यह आरएफआईडी सिस्टम वाला डिजिटल लॉक बीप की आवाज करने लग जाता है. सेंटर आब्जर्वर और सुप्रीटेंडेंट को इसकी जानकारी मिल जाती है. यह लॉक खुलने के बाद रूम के अनुसार लिफाफे वितरित कर दिए जाते हैं. बाद यह प्रश्न पत्र विद्यार्थियों को दिया जाता है.
लैंग्वेज के अनुसार जमा होते हैं प्रश्न पत्रः सेंटर पर एक क्लास रूम में 24 विद्यार्थियों को परीक्षा दिलवाई जाती है. ऐसे में एक ही लैंग्वेज के 24 विद्यार्थियों को एक रूम में बैठाया जाता है. इन्हीं विद्यार्थियों के लिए पूरा एक पैकेट बनता है. जिसमें 24 प्रश्नपत्र का सेट होता है. इनके अनुसार पूरे सेंटर पर परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के डाटा के अनुसार वहां के प्रश्न पत्र तैयार करके ही डिजिटल लॉक वाले बक्से में रखे जाते हैं. सभी परीक्षा केंद्रों व शहर के साथ कोड जारी किया जाता है. इन कोड के अनुसार ही परीक्षा शहरों में प्रश्न पत्र भेज दिए जाते हैं.
कोडिंग और कलर से होगी प्रश्न पत्र की पहचानः दूसरी तरफ नीट यूजी परीक्षा में पूछे जाने वाले 200 प्रश्न एक जैसे ही होते हैं. हालांकि उनका सीरियल बदलकर उनकी कोडिंग भी बदल दी जाती है. यह कोडिंग के अनुसार ही प्रश्न पत्र अलग-अलग राज्यों में भेजे जाते है. इन कोडिंग कोडिंग के अनुसार ही लैंग्वेज का भी होता है. हालांकि इस बार नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बदलाव करते हुए अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के प्रश्नपत्र को अलग कलर में देने का निर्णय लिया है. अंग्रेजी और हिंदी भाषा वाले प्रश्न पत्र सफेद कलर के आएंगे. इसके अलावा रीजनल लैंग्वेज का प्रश्नपत्र पीले रंग का होगा. वहीं उर्दू लैंग्वेज का प्रश्न पत्र हरे रंग का विद्यार्थियों को दिया जाएगा.
पहले कई बार हो चुके हैं पेपर लीकः कोटा के कॅरियर काउंसलिंग एक्सपर्ट पारिजात मिश्रा ने बताया कि नीट यूजी के पहले मेडिकल एंट्रेंस के लिए देशभर के स्तर पर ऑल इंडिया पैरा मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) आयोजित होता था. ऐसे में कई बार एआईपीएमटी के पेपर भी लीक हुए हैं. साल 2004 और 2015 में पेपर लीक हो गए थे. जिसके बाद दोबारा परीक्षा हुई थी. इसके साथ ही कई बार अलग-अलग शहरों में भी गड़बड़झाले सामने आए थे. इसके बाद ही यह पूरी व्यवस्था में बदलाव किया गया है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी इसी के चलते विद्यार्थियों को उनके परीक्षा केंद्र महज 3 दिन पहले ही बताती है, ताकि विद्यार्थी सेंटर संचालक के साथ मिलकर किसी तरह का कोई गड़बड़झाला न कर सकें.
परीक्षा के दौरान मोबाइल प्रतिबंधितः नेशनल टेस्टिंग एजेंसी सरकारी कॉलेजों में तैनात फैकल्टी को इसके लिए ऑब्जर्वर नियुक्त करती है. वर्तमान में परीक्षा केंद्र पर परीक्षार्थियों की संख्या के अनुसार ऑब्जर्वर लगाए गए हैं. कई ऐसे केंद्र है, जहां पर 2 ऑब्जर्वर तैनात किए गए हैं. इसके अलावा पूर्व सैनिकों की मदद भी डिप्टी आब्जर्वर के रूप में ली जाती है. परीक्षा केंद्र पर परीक्षा लेने वाले स्टॉफ का मोबाइल पूरी तरह से बैन होता है. उन्हें भी विद्यार्थियों की तरह बिना जांच के प्रवेश नहीं मिलता है.
जयपुर में 105 सेंटर पर 65984 विद्यार्थी देंगे परीक्षाः नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के जोनल कोऑर्डिनेटर राजस्थान प्रदीप सिंह गौड़ ने बताया प्रदेश में 354 परीक्षा केंद्रों पर 176902 विद्यार्थियों को परीक्षा देनी है. सर्वाधिक केंद्र जयपुर शहर में बनाए गए हैं. जहां पर 65984 विद्यार्थी एग्जाम देंगे. दूसरे नंबर पर राजस्थान के कोटा में 41 सेंटर है. जिनमें 20496 विद्यार्थी परीक्षा देने के लिए पंजीकृत है.