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सांगोद विधायक का मुख्यमंत्री को पत्र, गिरते जल स्तर को बनाये रखने के लिए भवंरासा बांध से पानी छोड़ने की मांग की

सांगोद विधायक भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. जिसमें कालीसिंध नदी पर बनी कोटड़ी पेयजल योजना के गिरते जल स्तर को बनाये रखने के लिए कालीसिंध नदी पर बने भवंरासा बांध से पानी छोड़ने की मांग की है. जिससे क्षेत्र की जनता को इसका लाभ मिल सके.

सांगोद विधायक का पत्र, Sangod MLA letter
सांगोद विधायक ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
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Published : Jun 1, 2021, 9:08 PM IST

सांगोद (कोटा). विधायक ने एक बार फिर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में बताया है कि इस गर्मी के मौसम में सांगोद कस्बे को कालीसिंध नदी पर बनी कोटड़ी पेयजल योजना के गिरते जल स्तर को बनाये रखने के लिए मेने भवंरासा बांध से पानी छोड़ने हेतु मुख्य अभियन्ता सिंचाई विभाग कोटा मांग की थी. जिसका उत्तर मिला कि सांगोद और कोटा जिले के लिए पानी नही है.

पढ़ेंः जीएसटी परिषद में कांग्रेस को नहीं किया शामिल, सीएम गहलोत ने केंद्र सरकार पर बोला हमला

आगे पत्र में उन्होंने बताया कि इस संबंध में समय-समय पर आपको पत्र के माध्यम से अवगत कराता रहता हुं. साल 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से सिंचाई मंत्री का पद लगातार रिक्त है. ऐसे में मेरे पत्रों के उत्तर तो मुझे मिल जाते हैं, लेकिन समस्या के समाधान पर कोई अमल नहीं होता. कालीसिंध नदी सांगोद की जीवन रेखा है और इसके पानी पर सांगोद व कोटा जिले का उतना ही अधिकार है जीतना की झालावाड़ जिले का.

किसी भी नदी के पानी पर बने बांध के डाउन स्टीम में लोगो का भी राइपेरियन अधिकार होता है आगे लिखा कि भाजपा के शासन में साल 2008 में भवंरासा बांध के प्रथम चरण का कार्य कालीसिंध थर्मल पावर के डिपॉजिट मद से शुरू करवाया गया था. सम्पूर्ण राशि वहन करने के नाते भवंरासा सिंचाई बांध को भाजपा सरकार ने थर्मल पावर प्लान्ट को गिरवी रख दिया. विधायक ने आगे लिखा कि भवंरासा बांध के प्रथम चरण का कार्य साल 2013 में पूरा कर लिया गया था, लेकिन द्वित्तीय चरण का कार्य 8 साल बाद भी चालू नहीं हो सका.

पढ़ेंः परिवहन मंत्री प्रताप सिंह देंगे अपनी 6 महीने की सैलरी, कोरोना में मां बाप को खो चुके बच्चों के लिए बनवाएंगे किड्स वेलफेयर फंड

विडम्बना तो ये है सरकार का इस काम की ओर कोई ध्यान नहीं है उन्होंने राज्य सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि कालीसिंध नदी पर भवंरासा बांध के द्वितीय चरण पर सरकार 1000 रूपए खर्च नही कर सकी वहीं दूसरी ओर इसी नदी पर नवनेरा बैराज का निर्माण पर 1500 करोड़ रुपए की राशि खर्च कर निर्माण कार्य करवाया जा रहा है. इस पर रोके गए पानी का उपयोग 10 साल तक नहीं हो सकेगा. विद्यायक ने आगे लिखा कि उच्च पद पर आसीन नेता भवंरासा बांध से पानी नहो देकर सांगोद और कोटा जिले की जनता के साथ अन्याय कर रहे हैं.

साथ ही बताया कि यह विश्व की पहली सिंचाई परियोजना है. जहां एक छोटी परवन नदी का पानी लिफ्ट कर बड़ी नदी कालीसिंध में डालकर सिंचाई करना प्रतावित है. यह पानी सहजता से बिना पम्प करे भवंरासा बांध से कालीसिंध नदी में छोड़ा जा सकता था. जिसमे किसी इंजीनियरिंग की नही कॉमनसेंस की ज्यादा आवश्यकता है उन्होंने सिंचाई विभाग से थर्मल की खर्च राशि लौटकर स्वामित्व प्राप्त कर भवंरासाबांध का द्वितीय चरण का कार्य चालू करने की बात कही है.

सांगोद (कोटा). विधायक ने एक बार फिर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में बताया है कि इस गर्मी के मौसम में सांगोद कस्बे को कालीसिंध नदी पर बनी कोटड़ी पेयजल योजना के गिरते जल स्तर को बनाये रखने के लिए मेने भवंरासा बांध से पानी छोड़ने हेतु मुख्य अभियन्ता सिंचाई विभाग कोटा मांग की थी. जिसका उत्तर मिला कि सांगोद और कोटा जिले के लिए पानी नही है.

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आगे पत्र में उन्होंने बताया कि इस संबंध में समय-समय पर आपको पत्र के माध्यम से अवगत कराता रहता हुं. साल 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से सिंचाई मंत्री का पद लगातार रिक्त है. ऐसे में मेरे पत्रों के उत्तर तो मुझे मिल जाते हैं, लेकिन समस्या के समाधान पर कोई अमल नहीं होता. कालीसिंध नदी सांगोद की जीवन रेखा है और इसके पानी पर सांगोद व कोटा जिले का उतना ही अधिकार है जीतना की झालावाड़ जिले का.

किसी भी नदी के पानी पर बने बांध के डाउन स्टीम में लोगो का भी राइपेरियन अधिकार होता है आगे लिखा कि भाजपा के शासन में साल 2008 में भवंरासा बांध के प्रथम चरण का कार्य कालीसिंध थर्मल पावर के डिपॉजिट मद से शुरू करवाया गया था. सम्पूर्ण राशि वहन करने के नाते भवंरासा सिंचाई बांध को भाजपा सरकार ने थर्मल पावर प्लान्ट को गिरवी रख दिया. विधायक ने आगे लिखा कि भवंरासा बांध के प्रथम चरण का कार्य साल 2013 में पूरा कर लिया गया था, लेकिन द्वित्तीय चरण का कार्य 8 साल बाद भी चालू नहीं हो सका.

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साथ ही बताया कि यह विश्व की पहली सिंचाई परियोजना है. जहां एक छोटी परवन नदी का पानी लिफ्ट कर बड़ी नदी कालीसिंध में डालकर सिंचाई करना प्रतावित है. यह पानी सहजता से बिना पम्प करे भवंरासा बांध से कालीसिंध नदी में छोड़ा जा सकता था. जिसमे किसी इंजीनियरिंग की नही कॉमनसेंस की ज्यादा आवश्यकता है उन्होंने सिंचाई विभाग से थर्मल की खर्च राशि लौटकर स्वामित्व प्राप्त कर भवंरासाबांध का द्वितीय चरण का कार्य चालू करने की बात कही है.

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