कोटा. सांगोद विधायक भरत सिंह ने नहरों में खरीफ की फसल के लिए पानी छोड़ने का मुद्दा उठाया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि साल 2012 में नहर संचालन और इसके मरम्मत से जुड़े सारे अधिकार कमिश्नर सीएडी से छीनकर जयपुर चीफ इंजीनियर को दे दिए गए, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ गया. इस सेंट्रलाइज व्यवस्था के चलते भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला और कमिश्नर पंगु जैसे हालात में हैं. वह नहर संचालन का फैसला भी नहीं ले सकते हैं. इसी के चलते खरीफ की फसल के लिए किसानों को नहर का पानी मिलना बंद हो गया है.
भरत सिंह ने बताया कि किसानों की जमीन की सीमा भी इसीलिए तय की गई थी कि उन्हें नहर का पानी दे रहे हैं. इस नहरी पानी के चलते ही उनकी जमीनों को सीलिंग में ले लिया गया. उन्हें कहा गया कि पर्याप्त पानी होने के चलते आपको कम एरिया में भी अच्छी पैदावार मिलेगी और मुनाफा भी बढ़ जाएगा. जबकि खरीफ की फसल में किसानों को पानी मुहैया नहीं कराया जा रहा है. यह एक तरह से किसानों के साथ धोखा हुआ है.
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नॉन कमांड एरिया में कमांड एरिया से ज्यादा फसल धान कीः भरत सिंह ने कहा कि दोनों नहरों से कोटा, बारां व बूंदी जिले के किसान भी जुड़े हुए हैं. यहां के किसानों को फायदा मिलता है. यहां के पानी को व्यर्थ बैराज के जरिए चंबल नदी में बहा दिया जाता है. जबकि नहरों में पानी छोड़ा जाए, तो किसान धान की फसल अच्छे से कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि हमारे सांगोद इलाके में किसान बिजली के जरिए नलकूपों से पानी निकालकर धान की पैदावार कर रहा है. यह नॉन कमांड एरिया में कमांड एरिया से ज्यादा धान की फसल होने लगी है.
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सेंट्रलाइज व्यवस्था से बढ़ गया भ्रष्टाचारः भरत सिंह का कहना है कि जयपुर में बैठे इंजीनियरों ने अपने हित को ध्यान में रखते हुए किसान का अहित कर दिया है. खरीफ में पानी नहीं दिया जा रहा है और हर बार कोई बहाना बना दिया जाता है. सरकार उसको गंभीरता से नहीं ले रही है. इसके पहले वाली सरकार के साथ भी ऐसा ही रहा है. सरकारें आती-जाती रही है, लेकिन व्यवस्था यही रखी जा रही है.
उनका कहना है कि प्रदेश में बूंद बूंद सिंचाई की परवन परियोजना पर काम चल रहा है. यहां पर बैराज के जरिए लाखों क्यूसेक पानी बहा दिया जा रहा है. यह शर्मनाक घटना है. यह पानी समुद्र में पहुंच जाता है. जितने भी टेंडर और फैसले हैं, वे जयपुर में लिए जा रहे हैं. यह सेंट्रलाइज व्यवस्था भ्रष्टाचार ही है. जितना डिसेंट्रलाइज होगा, उतना ही भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम रहेगी. सेंट्रलाइज से भ्रष्टाचार व कमीशन बढ़ रहा है. सीएडी में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है, नहरों की मरम्मत और निर्माण में गुणवत्ता को लेकर मांग उठती है. भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों के इलाकों में हालात और ज्यादा खराब हैं.
जयपुर में बैठने वाले अधिकारी लाट साहब, नहीं आते मीटिंग मेंः भरत सिंह का कहना है कि कमांड एरिया डेवलपमेंट की समिति काडा की बैठकों में जयपुर के अधिकारी नहीं आते हैं. उनका कहना है कि इस समिति में कई विभागों के सेक्रेटरी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी को जोड़ा हुआ है. जयपुर में बैठने वाले अधिकारी अपने आप को लाट साहब समझते हैं. उन्हें इस मीटिंग से कोई लेना-देना नहीं होता है. सीएडी कमीशन सक्षम है. हमने प्रस्ताव दिया है कि जयपुर में बैठने वाले सभी अधिकारियों को इस समिति से हटा दिया जाए. इनके आने का कोई औचित्य नहीं है. विभाग के मंत्री को इस बैठक में जरूर आना चाहिए, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण बैठक होती है.
तालाब का भविष्य खत्म, नहर बन गई गटरः भरत सिंह का कहना है कि तालाब का तो भविष्य खत्म हो चुका है, नहरें कचरा पात्र बन गई हैं. तालाब की जमीनों को भर दिया जाएगा और इन पर अतिक्रमण हो जाएगा. दूसरी तरफ नहर एक गटर बन चुकी है. सारा कचरा इसमें डालते हैं. उन्होंने कहा कि किशोर सागर तालाब में पानी छोड़ने का मतलब यही है कि नहर की गंदगी को आगे बहा दिया जाए. ताकि नहर और तालाब साफ लगे. यहां का पानी साफ सुथरा दिखे, तब सब ठीक रहता है, लेकिन कोई गंभीरता से नहीं लेता है.