कोटा. दशहरा मैदान में रावण बनाने का काम शुरू कर दिया है. इस बार 75 फीट का रावण और 55-55 फीट के कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बनाए जा रहे हैं, लेकिन अन्य तरह तैयारी न के बराबर होना सामने आ रहा है. ऐसे में जहां पर 10 दिन अलग-अलग 10 आयोजन किए जाते हैं, यह सब कुछ तय नहीं हुआ है. मेला शुरू होने में महज 15 दिन शेष है. ऐसे में इस बार कहीं राष्ट्रीय दशहरे मेले की भव्यता पर इस साल दाग नहीं लग जाए, क्योंकि न तो इसमें जनप्रतिनिधि रूचि दिखा रहे हैं और दूसरी तरफ अधिकारी भी कोई इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं.
दरअसल, राष्ट्रीय दशहरा मेला 24 अक्टूबर से शुरू होने वाला है. दशहरा मैदान में रावण बनाने का काम शुरू कर दिया है. इस बार 75 फीट का रावण और 55-55 फीट के कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बनाए जा रहे हैं, लेकिन अन्य तरह तैयारी न के बराबर होना सामने आ रहा है. ऐसे में जहां पर 10 दिन अलग-अलग 10 आयोजन किए जाते हैं. वहीं, सिने संध्या से लेकर पंजाबी व भोजपुरी नाइट और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित होता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग उनको सुनने आते हैं. यह सब कुछ तय नहीं हुआ है और मेला शुरू होने में महज 15 दिन शेष हैं. ऐसे में इस बार कहीं राष्ट्रीय दशहरे मेले की भव्यता पर दाग नहीं लग जाए, क्योंकि आने वाले समय में चुनाव हैं. ऐसे में नेताओं को डर है कि चुनाव होने से अधिकारी ही मेले को भरवाएंगे, तब उनकी सुनवाई नहीं होगी, साथ ही अधिकारी भी आचार संहिता लगने का इंतजार कर रहे हैं.
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मीटिंग होने पर देता हूं सुझाव, लेकिन जानकारी नहीं : कोटा दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल का कहना है कि जब भी मेला समिति की मीटिंग होती है, वह अपने सुझाव देते हैं और मुख्य रूप से शामिल भी होते हैं, लेकिन मेले की अध्यक्ष कोटा उत्तर की महापौर मंजू मेहरा हैं. साथ ही मेला अधिकारी भी कोटा उत्तम नगर निगम के आयुक्त अनुराग भार्गव हैं. ऐसे में सब कुछ वही बता सकते हैं कि क्या चल रहा है. मुझे ज्यादा जानकारी बिल्कुल भी नहीं है. मेला भरवाने के लिए 4 करोड़ की मांग की गई थी, लेकिन पार्षदों ने मुझे लिख कर दिया है कि यह नियमों के अनुसार नहीं दिया जा सकता, इसीलिए हमने आयुक्त को इसके लिए पत्र लिखा है.
1 दिन में 8 से 10 करोड़ क्यों हो गया मेले का खर्च ? नेता प्रतिपक्ष कोटा दक्षिण विवेक राजवंशी ने सवाल उठाया है कि पहले मेले का बजट 8 करोड़ रखा गया. जिसमें से चार-चार करोड़ दोनों नगर निगम को देना था. अब यह 10 करोड़ कर दिया गया है. ऐसे में 10 करोड़ रुपये कहां पर खर्च होंगे, यह तो जानकारी मेला अध्यक्ष और मेला अधिकारी को देनी होगी. लेकिन दोनों ही यह बात सामने नहीं रखते हैं. हम बिल्कुल भी कोटा दक्षिण नगर निगम से पैसा नहीं देने देंगे. पहले यह उन्हें बताना होगा कि क्या बजट है और राशि कहां-कहां खर्च होगी. ऐसे में कोटा दक्षिण नगर निगम के कांग्रेसी पार्षदों को भी हमारी बात माननी चाहिए. वह नहीं मानते हैं तो जनता को जवाब उन्हें ही देना होगा.
हमारा फोकस पट्टा बनवाने पर, मेला की तैयारी भी हो जाएगी : कोटा उत्तर के महापौर और मेल अध्यक्ष मंजू मेहरा का कहना है कि अपरिहार्य कर्म से बीती मीटिंग में नहीं आई थी, लेकिन तैयारी चल रही है. वर्तमान में हमारा फोकस ज्यादा से ज्यादा पट्टे वितरण का है, उसी में हम लगे हुए हैं. क्योंकि आने वाले दिनों में आचार संहिता लग जाने पर लोगों के पट्टे नहीं बन पाएंग. मेले की तैयारी भी हम कर रहे हैं, यह काम तो आचार संहिता के बाद भी हो जाएगा. मेले को लेकर मीटिंग कब होगी, यह भी वह नहीं बता पा रही हैं.
आचार संहिता लगने पर ही कुछ बता पाऊंगा : इधर, मेला अधिकारी अनुराग भार्गव का कहना है कि आचार संहिता के बाद ही में कुछ बता पाएंगे. वर्तमान में मेला अध्यक्ष सब कुछ डील कर रही हैं. आचार संहिता लग जाएगी, तब भी दुकानों का अलॉटमेंट और जगह की नीलामी करवा देंगे. उन्होंने यहां तक दावा कर दिया कि बीते सालों में जैसा मेला भरा था, वैसा ही इस बार भी भरवाया जाएगा.
मेला समिति में सैकड़ों काम होने हैं : मेला समिति को मेले में लगने वाली दुकानों के आवंटन से लेकर प्रदर्शनी और जोड़ों की जगह चिन्हित करनी है. इसके अलावा सभी की रसीद काटनी है. पुरानी रसीद के आधार पर उन्हें दुकान भी अलॉट करने की जिम्मेदारी है. यह कार्य भी शुरू होना है. इसके साथ ही स्थाई और अस्थाई तौर पर लगने वाली दुकानों के लिए भी जगह निश्चित करनी है. साथ ही कई एम्यूजमेंट के स्थान आते हैं, सब कार्य करने हैं. यह दुकान आवंटन से लेकर प्रदर्शनी और झूलों की जगह चिन्हित करने तक का कार्य करना है. इसके साथ ही करोड़ों रुपये का टेंट यहां पर लगाया जाता है. वहीं, रंगमंच की तैयारी, लाइटिंग और अन्य कई तरह के टेंडर भी निकल जाने हैं. निगम ने टेंट का टेंडर जरुर निकाला है, लेकिन शेष कार्य अभी शुरू नहीं हुए हैं. मेले की समिति में लगने वाले कर्मचारियों को भी पट्टे के काम में लगाया हुआ है.
3 महीने पहले शुरू होती थी तैयारी : 10 दिन तक भरने वाला कोटा का राष्ट्रीय दशहरा मेला देखने के लिए कोटा संभाग के अलावा मध्य प्रदेश से भी लोग यहां पर पहुंचते हैं और यह राष्ट्रीय दशहरा मेला काफी प्रसिद्ध भी है. ऐसे में इसकी तैयारी जहां तीन से चार महीने पहले नगर निगम आमतौर पर शुरू कर देता था, लेकिन इस बार यह तैयारी शुरू नहीं हो पाई है. अधिकारी आचार संहिता लगने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, जनप्रतिनिधि भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. इधर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि अंदर खाने सब कुछ तय कर लिया गया है.
विपक्ष का बंदर बांट का आरोप : दूसरी तरफ, नेता प्रतिपक्ष विवेक राजवंशी ने आरोप लगाया है कि सब कुछ बंदर बांट कर अंदर खाने किया जा रहा है. जैसे ही आचार संहिता लगेगी, वैसे ही यह एक-दो दिन में सब कुछ कर देंगे. ऐसा नहीं है कि इन्होंने तैयारी नहीं की है. सब गुप्त मंत्रणाओं के जरिए तैयारी कर ली है. इस बार मेला समिति की भी बैठक महज 10 मिनट में खत्म कर देते हैं. केवल औपचारिक बैठक कर रहे हैं. वहीं, एक बैठक तो अभी हाल में एन मौके पर रद्द कर दी गई थी. इसी से साबित है कि यह लोग गड़बड़झाला कर रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो वह इस संबंध में शिकायत कर जांच भी करवाएंगे.