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मदर मिल्क बैंक की बिल्डिंग तैयार, उपकरण के अभाव में नहीं हुआ शुरू, फ्री मिलेगा मां का दूध

कोटा के एमबीएस अस्पताल परिसर में मदर मिल्क बैंक का भवन 84 लाख से बनकर तैयार हुआ है. इस बिल्डिंग को जेके लोन अस्पताल को हैंडओवर किया जा चुका (Mother milk bank in JK Loan Kota Hospital) है. इसके लिए कुछ जरूरी उपकरण मंगवाए गए हैं, लेकिन उनकी आपूर्ति होना बाकी है. ऐसे में इसे शुरू नहीं किया जा सका है.

Mother milk bank in JK Loan Kota Hospital waiting for instruments to start operations
मदर मिल्क बैंक की बिल्डिंग तैयार, उपकरण के अभाव में नहीं हुआ शुरू, फ्री मिलेगा मां का दूध
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Published : Dec 1, 2022, 5:24 PM IST

कोटा. एमबीएस अस्पताल परिसर में जेके लोन अस्पताल के लिए बने मदर मिल्क बैंक का निर्माण पूरा हो गया है. इस मदर मिल्क बैंक की स्थापना 2017 में होनी थी, लेकिन यह काम शुरू नहीं हो पाया था. बीते साल नवंबर महीने में यह काम शुरू किया गया और करीब 10 माह में बिल्डिंग बन कर तैयार हुई है. हालांकि उपकरणों के अभाव में मिल्क बैंक का सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाया (Instruments awaited in Mother Milk Bank) है.

जेके लोन के उप अधीक्षक डॉ गोपी किशन शर्मा ने बताया कि इसे कंप्रिहेंसिव लेक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (CLMC) कहते हैं और आम बोलचाल की भाषा में इसे मदर मिल्क बैंक भी कहा जाता है. डॉ शर्मा के अनुसार मदर मिल्क बैंक का भवन 84 लाख रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ है. इस बिल्डिंग का हैंडओवर भी जेके लोन अस्पताल प्रबंधन ने ले लिया है. इसके लिए कुछ उपकरण मंगवाए भी गए हैं, लेकिन नेशनल हेल्थ मिशन जयपुर से कुछ संसाधन आने बाकी हैं. जिनके अभाव में ही इसे शुरू नहीं किया जा सका है. जल्द ही इसे शुरू किया जाएगा.

अब तक क्यों नहीं शुरू हो पाया कोटा का मदर मिल्क बैंक

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: भरतपुर की मदर मिल्क बैंक बनी 'जीवनदायिनी', दो साल में 4413 नवजात हुए लाभान्वित

सीधा जेकेलोन से जुड़ा है मदर मिल्क बैंक को: इस मदर मिल्क बैंक को सीधा जेके लोन अस्पताल से जोड़ दिया गया है. वार्ड से भी इसे सीढ़ियों के जरिए सीधा जोड़ा गया है, ताकि वहां पर भर्ती माताएं यहां पर आकर मिल्क डोनेट कर सकेंगी. ऐसी माताएं जो स्वेच्छा से मिल्क देना चाहती हैं, उनका मिल्क स्टोर किया जाएगा. जेके लोन अस्पताल में हाड़ौती संभाग की सबसे ज्यादा प्रसव होते हैं. ऐसे में यहां पर सीरियस बच्चे भी बड़ी संख्या में आते हैं, जो कि एनआईसीयू में एडमिट होते हैं. इन शिशुओं को दूध नहीं दिया जाता है. ऐसे में उनकी मां दूध को डोनेट कर सकती है.

डोनेशन पर ही तय होगा कितनी मिलेगी सुविधा: माताओं पर निर्भर होगा कि कितना दूध डोनेट करती हैं और कितना बच्चों तक इसकी सप्लाई पहुंचा सकते हैं. कोई भी माता बच्चों को दूध पिला सकती है. जिस माता के दूध बन रहा है, वे डोनेट कर सकते हैं. अपने बच्चे को पिलाने के बाद अतिरिक्त बच रहा है, तो उसे डोनेट कर सकती हैं. बच्चा बीमार है या फिर अन्य कारण से बच्चे को दूध नहीं दिया जा सकता है, तो दूध बन रहा है, उसे भी डोनेट किया जा सकता है. किसी कारण से बच्चा नहीं है या दुर्भाग्यवश बच्चे की मौत हो गई है. ऐसी कंडीशन में भी दूध बनता है, तो मिल्क डोनेट करके दूसरे बच्चे की जान माताएं बचा सकती हैं.

पढ़ें: SPECIAL : अनाथ बच्चों को पालने वाले नवजीवन संस्थान ने शुरू किया जोधपुर का पहला मदर मिल्क बैंक, बच्चों को मिलेगा मां का शुद्ध दूध

मदर मिल्क से अच्छा ऑप्शन नहीं: डॉ शर्मा का कहना है कि जेके लोन अस्पताल को यह एमडीआर मिल्क बैंक मदद करेगा. मां के दूध का कोई ऑप्शन नहीं है. वर्तमान में अगर मां का दूध के अन्य ऑप्शन हैं, लेकिन वह इतने अच्छे व पर्याप्त नहीं होते हैं. मदर मिल्क बैंक को सबसे अच्छा इलाज और थैरेपी भी बताया जाता है. यह शिशु के सरवाइवल व विकास में फायदेमंद होता है. साथ ही डॉ शर्मा का कहना है कि 95 फीसद माताओं के जन्म के आधे घंटे बाद दूध नहीं आता है और इसी आधे घंटे में बच्चे को दूध पिलाना जरूरी होता है. यह उसके विकास को प्रभावित करता है.

पढ़ें: Special: मां के संक्रमित होने पर भी नवजात को कराया जा सकता है स्तनपान...

फ्री मिलेगा मां का दूध: मदर मिल्क बैंक में एक समय में 500 से 700 शिशुओं को दूध उपलब्ध करवाने का स्टोरेज रहेगा. साथ ही यहां पर जो मशीनरी स्थापित होगी और जिस तरह के डीप फ्रीजर लगेंगे, उनमें इस दूध को 3 महीने तक प्रिजर्व रखा जा सकेगा. जेके लोन अस्पताल में भर्ती शिशुओं को यह दूध प्राथमिकता पर उपलब्ध करवाया जाएगा. अगर अतिरिक्त मदर मिल्क बचता है, तो दूसरे अस्पतालों को भी यह उपलब्ध कराया जाएगा. यह सेवा पूरी तरह से निशुल्क रहेगी. इसमें किसी तरह का कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा.

कोटा. एमबीएस अस्पताल परिसर में जेके लोन अस्पताल के लिए बने मदर मिल्क बैंक का निर्माण पूरा हो गया है. इस मदर मिल्क बैंक की स्थापना 2017 में होनी थी, लेकिन यह काम शुरू नहीं हो पाया था. बीते साल नवंबर महीने में यह काम शुरू किया गया और करीब 10 माह में बिल्डिंग बन कर तैयार हुई है. हालांकि उपकरणों के अभाव में मिल्क बैंक का सुचारू रूप से शुरू नहीं हो पाया (Instruments awaited in Mother Milk Bank) है.

जेके लोन के उप अधीक्षक डॉ गोपी किशन शर्मा ने बताया कि इसे कंप्रिहेंसिव लेक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (CLMC) कहते हैं और आम बोलचाल की भाषा में इसे मदर मिल्क बैंक भी कहा जाता है. डॉ शर्मा के अनुसार मदर मिल्क बैंक का भवन 84 लाख रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ है. इस बिल्डिंग का हैंडओवर भी जेके लोन अस्पताल प्रबंधन ने ले लिया है. इसके लिए कुछ उपकरण मंगवाए भी गए हैं, लेकिन नेशनल हेल्थ मिशन जयपुर से कुछ संसाधन आने बाकी हैं. जिनके अभाव में ही इसे शुरू नहीं किया जा सका है. जल्द ही इसे शुरू किया जाएगा.

अब तक क्यों नहीं शुरू हो पाया कोटा का मदर मिल्क बैंक

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सीधा जेकेलोन से जुड़ा है मदर मिल्क बैंक को: इस मदर मिल्क बैंक को सीधा जेके लोन अस्पताल से जोड़ दिया गया है. वार्ड से भी इसे सीढ़ियों के जरिए सीधा जोड़ा गया है, ताकि वहां पर भर्ती माताएं यहां पर आकर मिल्क डोनेट कर सकेंगी. ऐसी माताएं जो स्वेच्छा से मिल्क देना चाहती हैं, उनका मिल्क स्टोर किया जाएगा. जेके लोन अस्पताल में हाड़ौती संभाग की सबसे ज्यादा प्रसव होते हैं. ऐसे में यहां पर सीरियस बच्चे भी बड़ी संख्या में आते हैं, जो कि एनआईसीयू में एडमिट होते हैं. इन शिशुओं को दूध नहीं दिया जाता है. ऐसे में उनकी मां दूध को डोनेट कर सकती है.

डोनेशन पर ही तय होगा कितनी मिलेगी सुविधा: माताओं पर निर्भर होगा कि कितना दूध डोनेट करती हैं और कितना बच्चों तक इसकी सप्लाई पहुंचा सकते हैं. कोई भी माता बच्चों को दूध पिला सकती है. जिस माता के दूध बन रहा है, वे डोनेट कर सकते हैं. अपने बच्चे को पिलाने के बाद अतिरिक्त बच रहा है, तो उसे डोनेट कर सकती हैं. बच्चा बीमार है या फिर अन्य कारण से बच्चे को दूध नहीं दिया जा सकता है, तो दूध बन रहा है, उसे भी डोनेट किया जा सकता है. किसी कारण से बच्चा नहीं है या दुर्भाग्यवश बच्चे की मौत हो गई है. ऐसी कंडीशन में भी दूध बनता है, तो मिल्क डोनेट करके दूसरे बच्चे की जान माताएं बचा सकती हैं.

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मदर मिल्क से अच्छा ऑप्शन नहीं: डॉ शर्मा का कहना है कि जेके लोन अस्पताल को यह एमडीआर मिल्क बैंक मदद करेगा. मां के दूध का कोई ऑप्शन नहीं है. वर्तमान में अगर मां का दूध के अन्य ऑप्शन हैं, लेकिन वह इतने अच्छे व पर्याप्त नहीं होते हैं. मदर मिल्क बैंक को सबसे अच्छा इलाज और थैरेपी भी बताया जाता है. यह शिशु के सरवाइवल व विकास में फायदेमंद होता है. साथ ही डॉ शर्मा का कहना है कि 95 फीसद माताओं के जन्म के आधे घंटे बाद दूध नहीं आता है और इसी आधे घंटे में बच्चे को दूध पिलाना जरूरी होता है. यह उसके विकास को प्रभावित करता है.

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फ्री मिलेगा मां का दूध: मदर मिल्क बैंक में एक समय में 500 से 700 शिशुओं को दूध उपलब्ध करवाने का स्टोरेज रहेगा. साथ ही यहां पर जो मशीनरी स्थापित होगी और जिस तरह के डीप फ्रीजर लगेंगे, उनमें इस दूध को 3 महीने तक प्रिजर्व रखा जा सकेगा. जेके लोन अस्पताल में भर्ती शिशुओं को यह दूध प्राथमिकता पर उपलब्ध करवाया जाएगा. अगर अतिरिक्त मदर मिल्क बचता है, तो दूसरे अस्पतालों को भी यह उपलब्ध कराया जाएगा. यह सेवा पूरी तरह से निशुल्क रहेगी. इसमें किसी तरह का कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा.

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