कोटा. शहर के रायपुरा थेगड़ा रोड पर देवस्थान विभाग की करीब 30 बीघा भूमि अतिक्रमण की चपेट में आ गई है. अब देवस्थान विभाग की आंख खुली है और वे इसका सीमा ज्ञान करवाने में जुटे हुए हैं कि कौन सी जमीन उनकी है और कौन सी पर अतिक्रमण कर लिया गया है. प्रारंभिक तौर पर सामने आ रहा है कि भू माफियाओं ने इस जमीन पर रास्ते बना दिए हैं. वहीं, कई अवैध कॉलोनी भी बसा दी है.
बता दें कि इससे भी बड़ी बात ये है कि भू माफियाओं ने रायपुरा थेगड़ा मेन रोड पर 10 दुकानें हाल ही में बनवाकर तैयार करवा दी है. अब देवस्थान विभाग जागा है और वह इस जमीन को वापस अपने कब्जे में लेने के लिए प्रयास कर रहा है. देवस्थान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वह सीमा ज्ञान करवा रहे हैं. जल्द ही इस मामले की एफआईआर भी उद्योगनगर थाने में करवाएंगे.
30 बीघा जमीन 26 खसरों में
देवस्थान विभाग के अधीन कर्णेश्वर महादेव मंदिर कंसुआ की करीब 30 बीघा जमीन है. यह 26 खसरों में बंटी हुई है. जिनमें खसरा नंबर 71, 124, 125, 126, 149, 171, 175, 176, 178, 189, 180, 183, 184, 252, 253, 261, 263, 264, 265, 266, 267, 268, 270, 271, 275 और 296 में शामिल है.
करोड़ों की जमीन पर है कब्जा
पुलिस को साथ लेकर जब देवस्थान विभाग की टीम पहुंची तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. अतिकर्मी रोज नए-नए अतिक्रमण यहां पर कर रहे हैं और अधिकांश ने अपने मकान भी बना लिए हैं. ऐसे में यह मकान कुछ दिनों में तो नहीं बने हैं. लगातार इस जमीन पर अतिक्रमण किया जा रहा है और विभाग के अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे थे. वहीं, इस जमीन की कीमत करोड़ों रुपए में आंकी जा रही है.
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एफआईआर दर्ज करवाएंगे
देवस्थान विभाग की असिस्टेंट कमिश्नर ऋचा गर्ग का कहना है कि कर्णेश्वर महादेव मंदिर की जमीन पर पुलिस की मौजूदगी में सीमा ज्ञान करवाया है. इसमें सामने आया है कि मंदिर की खातेदारी की जमीन पर कुछ लोगों ने प्लॉट काट कर बेच दिया है. जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए हैं.
यह जानकारी नहीं कि कब से हुआ अतिक्रमण
निरीक्षक बृजेश कुमार का कहना है कि सीमाज्ञान पूरी तरह से नहीं हुआ है. क्योंकि भूअभिलेख निरीक्षक का कहना है कि पूरी तरह से सीमा ज्ञान ईटीएस तकनीक से होगा. फिर भी मौके पर कुछ अतिक्रमण उन्होंने चिन्हित करवाए हैं. जिनमें 10 दुकानें चयनित हुई है. वहीं यह जमीन 26 खसरो में अलग-अलग जगह बंटी हुई है. ऐसे में हम यह जानकारी नहीं दे पाएंगे कि अतिक्रमण कब से हो रहा है.