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International Science Olympiad : कोटा के स्टूडेंट्स ने लहराया परचम, अब तक 34 गोल्ड जीते

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 15, 2023, 9:00 AM IST

Updated : Dec 15, 2023, 12:01 PM IST

इंजीनियरिंग और मेडिकल एग्जाम की तर्ज पर कोटा के विद्यार्थी इंटरनेशनल लेवल पर होने वाले ओलंपियाड में भी बाजी मार रहे हैं. हाल ही में बैंकॉक में संपन्न हुए इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड में भारत के 5 स्टूडेंट्स ने गोल्ड और एक ने सिल्वर मेडल हासिल किया. सभी छह स्टूडेंट्स का संबंध कोटा से है.

kota students in Science Olympiad
इंटरनेशनल साइंस ओलिंपियाड में कोटा के स्टूडेंट्स ने लहराया परचम
इंटरनेशनल साइंस ओलिंपियाड में कोटा के स्टूडेंट्स ने जीते पदक

कोटा. इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस के लिए कोटा की बड़ी पहचान है. यहां के स्टूडेंट्स ने देश-दुनिया में नाम कमाया है. इस बीच थाईलैंड में आयोजित इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड में भारत ने 5 गोल्ड सहित 6 पदक जीते हैं. खास बात यह है कि ये सभी छह पदकधारी स्टूडेंट्स कोटा की कोचिंग से जुड़े हुए हैं.

क्या है साइंस ओलंपियाड ? : जिस तरह से खेलों के लिए ओलंपिक आयोजित किए जाते हैं, उसी तरह हर साल विद्यार्थियों के लिए भी पढ़ाई के सब्जेक्ट्स में ओलंपिक भी आयोजित किए जाते हैं, जिनमें उन विषयों पर प्रतियोगिताएं होती है. इन्हीं में शामिल है आइजेएसओ यानी इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड, जिसके 20वें संस्करण का आयोजन 1 से 9 दिसंबर तक थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में किया गया. इसमें 54 देशों के 300 स्टूडेंट्स शामिल हुए. इस प्रतियोगिता में भारत के 5 स्टूडेंट्स ने गोल्ड और एक ने सिल्वर मेडल हासिल किया है. ये सभी छह स्टूडेंट्स कोटा के कोचिंग संस्थान से जुड़े हैं, जिन्हें भारत का प्रतिनिधित्व कराने के लिए कोटा के कोचिंग संस्थानों ने पहले खास ट्रेनिंग दी.

कोटा के निजी कोचिंग संस्थान के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पंकज बिरला का कहना है कि उनके संस्थान के सोहम पेडणेकर, रूद्र पेठाणी, महरूफ, दिव्य अग्रवाल व कनिष्क जैन गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं, जबकि अर्चित बालोदिया को सिल्वर मेडल मिला है. यह प्रेस्टीज एग्जाम है. जो भी बच्चे इसमें पार्टिसिपेट करते हैं, उनका कॉन्फिडेंस बढ़ाया जाता हैं. कोई छात्र इसमें अच्छा भी नहीं भी कर पाता, तो भी उसे समझ आ जाता है कि कहां पर गलती हुई है, जिससे सेल्फ इवोल्यूशन भी हो जाता है. इसमें कक्षा और उम्र का क्राइटेरिया रहता है. इसीलिए बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स इसमें पार्टिसिपेट करते हैं. जैसे-जैसे स्टेज बढ़ती है, स्क्रीनिंग होकर वो आगे चले जाते हैं.

पढ़ें : कोटा में UP की छात्रा ने की खुदकुशी, 3 दिन में दूसरी घटना

अब तक 34 स्टूडेंट ला चुके हैं गोल्ड : पंकज बिरला का कहना है कि कोटा की बात करें तो यहां बहुत मेहनती स्टूडेंट्स हैं. साथ ही फैकल्टी की मेहनत का नतीजा है कि आईजीएसओ में छात्रों के अच्छे अंक आए. इन छह पदकधारी स्टूडेंट्स में पांच हमारे रेगुलर क्लासरूम के और एक वर्कशॉप का स्टूडेंट्स है. 2015 से अब तक की बात करें तो 34 गोल्ड मेडल और छह सिल्वर मेडल अब तक इस प्रतिस्पर्धा में आ चुके हैं.

पढ़ें : राजस्थान के सबसे लंबे ब्रिज का निर्माण शुरू, इन जिलों को होगा फायदा

10th के स्टूडेंट्स भी करते हैं सीनियर कक्षाओं के सवाल सॉल्व : कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने के लिए कम उम्र में ही बच्चे आ जाते हैं. वो कक्षा 9 से भी अपनी तैयारी शुरू करते हैं. विद्यार्थियों को फैकल्टी जज करती है और उन्हें साइंस ओलंपियाड के लिए चयनित करती है. इन बच्चों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. एनसीईआरटी के कोर्स भी करवाए जाते है. आइसो एग्जाम में 11वीं व 12वीं स्टैंडर्ड के भी प्रश्न पूछे जाते हैं. ऐसे में दसवीं में पढ़ रहे स्टूडेंट्स भी ये सवाल हल कर लेते हैं.

इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई में करता है हेल्प : पंकज बिरला का मानना है कि अल्टीमेटली बच्चों का गोल डॉक्टर या इंजीनियर बनना है. उसी से इनका कॅरियर बनता है. इस प्रक्रिया में यह दसवीं तक के बच्चों के लिए बहुत बड़ा एग्जाम है. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है, जिसके चार चरण होते हैं. पहले तीन चरणों में सरकार इसे देश में आयोजित करती है. इसके बाद क्वालीफाई स्टूडेंट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भेजा जाता है. यह इतना कठिन कंपटीशन होता है, जिसमें विदेशी विद्यार्थियों के साथ सीधी चुनौती होती है. आखिर में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को फायदा मिलता है.

पढ़ें : राज्य सरकार का प्रयोग असफल! 1 फीसदी किसान भी नहीं कर पाए एप के जरिए गिरदावरी

35 में से 6 बच्चों को चयन करके भेजती है सरकार : पंकज बिरला का कहना है कि पहले स्टेट लेवल पर यह एग्जाम आयोजित होता है. इसमें चयनित बच्चों के लिए नेशनल लेवल पर परीक्षा आयोजित की जाती है. इसके बाद नेशनल लेवल पर बच्चों के लिए एक वर्कशाप आयोजित की जाती है. इसमें 35 बच्चों का चयन होता है और बाद में उनमें से महज 6 बच्चों को चयनित करके इंटरनेशनल लेवल पर भेजा जाता है. सवालों में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के सवाल होते हैं. प्रैक्टिकल भी इसमें लिए जाते हैं. फाइनल कैंप व इंटर्नशिप में भी प्रेक्टिकल होते हैं. पंकज बिरला का कहना है कि स्टूडेंट्स को स्टेट वाइज अलग-अलग जगह तैयारी कराई जाती है. इसके बाद फाइनली जब 35 बच्चे कैंप के लिए जाते हैं, तो सबको एक जगह एकत्रित करके उनको ट्रेनिंग दी जाती है.

साल 2015 के बाद आईजेएसओ में मिले पदक :

साल 2014-152015-162016-172017-182018-192020-212021-222022-23
गोल्ड 24 44 6 4 5 5
सिल्वर10210001

इंटरनेशनल साइंस ओलिंपियाड में कोटा के स्टूडेंट्स ने जीते पदक

कोटा. इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस के लिए कोटा की बड़ी पहचान है. यहां के स्टूडेंट्स ने देश-दुनिया में नाम कमाया है. इस बीच थाईलैंड में आयोजित इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड में भारत ने 5 गोल्ड सहित 6 पदक जीते हैं. खास बात यह है कि ये सभी छह पदकधारी स्टूडेंट्स कोटा की कोचिंग से जुड़े हुए हैं.

क्या है साइंस ओलंपियाड ? : जिस तरह से खेलों के लिए ओलंपिक आयोजित किए जाते हैं, उसी तरह हर साल विद्यार्थियों के लिए भी पढ़ाई के सब्जेक्ट्स में ओलंपिक भी आयोजित किए जाते हैं, जिनमें उन विषयों पर प्रतियोगिताएं होती है. इन्हीं में शामिल है आइजेएसओ यानी इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड, जिसके 20वें संस्करण का आयोजन 1 से 9 दिसंबर तक थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में किया गया. इसमें 54 देशों के 300 स्टूडेंट्स शामिल हुए. इस प्रतियोगिता में भारत के 5 स्टूडेंट्स ने गोल्ड और एक ने सिल्वर मेडल हासिल किया है. ये सभी छह स्टूडेंट्स कोटा के कोचिंग संस्थान से जुड़े हैं, जिन्हें भारत का प्रतिनिधित्व कराने के लिए कोटा के कोचिंग संस्थानों ने पहले खास ट्रेनिंग दी.

कोटा के निजी कोचिंग संस्थान के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पंकज बिरला का कहना है कि उनके संस्थान के सोहम पेडणेकर, रूद्र पेठाणी, महरूफ, दिव्य अग्रवाल व कनिष्क जैन गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं, जबकि अर्चित बालोदिया को सिल्वर मेडल मिला है. यह प्रेस्टीज एग्जाम है. जो भी बच्चे इसमें पार्टिसिपेट करते हैं, उनका कॉन्फिडेंस बढ़ाया जाता हैं. कोई छात्र इसमें अच्छा भी नहीं भी कर पाता, तो भी उसे समझ आ जाता है कि कहां पर गलती हुई है, जिससे सेल्फ इवोल्यूशन भी हो जाता है. इसमें कक्षा और उम्र का क्राइटेरिया रहता है. इसीलिए बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स इसमें पार्टिसिपेट करते हैं. जैसे-जैसे स्टेज बढ़ती है, स्क्रीनिंग होकर वो आगे चले जाते हैं.

पढ़ें : कोटा में UP की छात्रा ने की खुदकुशी, 3 दिन में दूसरी घटना

अब तक 34 स्टूडेंट ला चुके हैं गोल्ड : पंकज बिरला का कहना है कि कोटा की बात करें तो यहां बहुत मेहनती स्टूडेंट्स हैं. साथ ही फैकल्टी की मेहनत का नतीजा है कि आईजीएसओ में छात्रों के अच्छे अंक आए. इन छह पदकधारी स्टूडेंट्स में पांच हमारे रेगुलर क्लासरूम के और एक वर्कशॉप का स्टूडेंट्स है. 2015 से अब तक की बात करें तो 34 गोल्ड मेडल और छह सिल्वर मेडल अब तक इस प्रतिस्पर्धा में आ चुके हैं.

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10th के स्टूडेंट्स भी करते हैं सीनियर कक्षाओं के सवाल सॉल्व : कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने के लिए कम उम्र में ही बच्चे आ जाते हैं. वो कक्षा 9 से भी अपनी तैयारी शुरू करते हैं. विद्यार्थियों को फैकल्टी जज करती है और उन्हें साइंस ओलंपियाड के लिए चयनित करती है. इन बच्चों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. एनसीईआरटी के कोर्स भी करवाए जाते है. आइसो एग्जाम में 11वीं व 12वीं स्टैंडर्ड के भी प्रश्न पूछे जाते हैं. ऐसे में दसवीं में पढ़ रहे स्टूडेंट्स भी ये सवाल हल कर लेते हैं.

इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई में करता है हेल्प : पंकज बिरला का मानना है कि अल्टीमेटली बच्चों का गोल डॉक्टर या इंजीनियर बनना है. उसी से इनका कॅरियर बनता है. इस प्रक्रिया में यह दसवीं तक के बच्चों के लिए बहुत बड़ा एग्जाम है. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है, जिसके चार चरण होते हैं. पहले तीन चरणों में सरकार इसे देश में आयोजित करती है. इसके बाद क्वालीफाई स्टूडेंट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भेजा जाता है. यह इतना कठिन कंपटीशन होता है, जिसमें विदेशी विद्यार्थियों के साथ सीधी चुनौती होती है. आखिर में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को फायदा मिलता है.

पढ़ें : राज्य सरकार का प्रयोग असफल! 1 फीसदी किसान भी नहीं कर पाए एप के जरिए गिरदावरी

35 में से 6 बच्चों को चयन करके भेजती है सरकार : पंकज बिरला का कहना है कि पहले स्टेट लेवल पर यह एग्जाम आयोजित होता है. इसमें चयनित बच्चों के लिए नेशनल लेवल पर परीक्षा आयोजित की जाती है. इसके बाद नेशनल लेवल पर बच्चों के लिए एक वर्कशाप आयोजित की जाती है. इसमें 35 बच्चों का चयन होता है और बाद में उनमें से महज 6 बच्चों को चयनित करके इंटरनेशनल लेवल पर भेजा जाता है. सवालों में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के सवाल होते हैं. प्रैक्टिकल भी इसमें लिए जाते हैं. फाइनल कैंप व इंटर्नशिप में भी प्रेक्टिकल होते हैं. पंकज बिरला का कहना है कि स्टूडेंट्स को स्टेट वाइज अलग-अलग जगह तैयारी कराई जाती है. इसके बाद फाइनली जब 35 बच्चे कैंप के लिए जाते हैं, तो सबको एक जगह एकत्रित करके उनको ट्रेनिंग दी जाती है.

साल 2015 के बाद आईजेएसओ में मिले पदक :

साल 2014-152015-162016-172017-182018-192020-212021-222022-23
गोल्ड 24 44 6 4 5 5
सिल्वर10210001
Last Updated : Dec 15, 2023, 12:01 PM IST
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