कोटा. ACB ने एक कांग्रेस के पार्षद और उसके प्राइवेट मुंशी को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपियों ने नगर निगम के वार्ड नंबर 10 में लगे सफाई कर्मी से 5000 रुपए की रिश्वत ली थी. यह राशि सफाई कर्मी को ड्यूटी पर लगाने की एवज में ली गई थी, जो कि हर महीने लिया जाना तय किया जा रहा था.
कोटा एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ठाकुर चंद्रशील कुमार ने बताया कि परिवादी कुणाल जुलाई 2018 में नगर निगम में सफाई कर्मी के पद पर कार्यरत है. उसकी तबीयत 2019 से जून 2020 तक खराब रही. वह मेडिकल पर रहा, बाद में नगर निगम आयुक्त के निर्देश पर सितंबर 2020 से उसने ड्यूटी जॉइन कर ली. उसे वार्ड नंबर 10 में सेक्टर 5 के काम में लगा दिया गया था, लेकिन वहां के जमादार रामलाल ने पार्षद कमल मीणा का हवाला देकर ड्यूटी पर से लेने के मना कर दिया. साथ ही कहा कि ड्यूटी पर लेने के लिए 5 हजार रुपए देने होंगे. साथ ही हर महीने इस तरह की राशि बतौर बंधी ली.
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10 हजार रुपए देने पर ही काम पर वापस लौटने की बात कही
सेक्टर के जमादार रामलाल टांक ने कुणाल को ड्यूटी पर 26 जून 2021 से लेने से मना कर दिया. साथ ही जब उसने पार्षद कमल मीणा से बात की तो, उन्होंने ने 2 महीने का बकाया 10 हजार रुपए मिलने के बाद ही काम पर वापस लेने की बात कही. ऐसे में कुणाल को 10 जुलाई के पहले ही रिश्वत की राशि देने के लिए आगाह किया गया था. जिसके बाद उसने ACB को इसकी शिकायत की. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की टीम ने शिकायत मिलते ही इस घटना का सत्यापन कराया.
ACB के ट्रैप में फंसे पार्षद और मुंशी
1 जुलाई को पार्षद कमल मीणा और उसके निजी मुंशी सुनील गोचर ने हर महीने 5 हजार रुपए के हिसाब से रिश्वत की मांग की. इस पर एसीबी ने ट्रैप की कार्रवाई की. पार्षद कमल मीणा और सुनील गोचर अनंतपुरा यात्री प्रतिक्षालय पर परिवादी से मिलने पहुंचे, जहां पर उन्होंने रिश्वत की राशि ली इसके बाद एसीबी ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही कार्रवाई जारी है.
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सफाई कर्मियों के ड्यूटी रजिस्टर को पार्षद रखता था
एसीबी को दी गई शिकायत में कुणाल ने यह भी बताया है कि पार्षद कमल मीणा खुद सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी का रजिस्टर अपने पास रखता है. कमल मीणा के कहने पर ही जमादार रामलाल टांक ने सफाई कर्मियों को ड्यूटी पर लेता है. यहां तक कि सफाई कर्मियों की हाजिरी भी पार्षद के प्राइवेट मुंशी सुनील गोचर के कहने पर ही भरी जाती है. साथ ही सुनील गोचर पार्षद के लिए सभी लेनदेन की कार्य करता है.
सैलरी का आधा रिश्वत में मांगा, 10 माह से वह भी नहीं मिली
परिवादी कुणाल सरसिया का कहना है कि उसे 11 हजार रुपए ही अभी सैलरी मिलनी है. जिसमें पार्षद कमल मीणा आधे पैसे 5000 रुपए बतौर रिश्वत मांग रहा था. जब कि मुझे 10 महीने से मेडिकल लीव पर होने के चलते सैलरी ही नहीं मिली है. मेरे मेडिकल लीव के कागज को जयपुर भेजा गया है, जहां से वापस आने के बाद ही मुझे सैलरी मिलेगी. ऐसे में मैंने कहा था कि मैं बाद में पैसे दे दूंगा लेकिन इन्होंने एक भी नहीं मानी. इन लोगों ने मुझे 26 तारीख से रोज अनुपस्थित करना शुरू कर दिया. मेरे बीमार होने पर छुट्टियां लेने के समय की सैलरी दिलाने के लिए पार्षद कमल मीणा 5000 रुपए की मांग कर रहा था.