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न्हाण लोकोत्सव 2020 : कोटा में राजसी ठाठ-बाठ से निकली बादशाह की सवारी - कोटा हिंदी खबर

वैसे तो होली को देशभर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, लेकिन सांगोद का न्हाण लोकोत्सव इन सब में अलग है. 5 दिनों तक चलने वाले न्हाण लोकोत्सव में रंग गुलाल नहीं होता, फिर भी लोग होली की मस्ती में सरोबार रहते हैं. न्याण लोकोत्सव के दूसरे दिन राजसी ठाठ-बाठ से बादशाह की सवारी निकाली गई.

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राजसी ठाठ-बाठ से निकली बादशाह की सवारी
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Published : Mar 15, 2020, 12:36 PM IST

Updated : Mar 15, 2020, 2:25 PM IST

सांगोद (कोटा). सांगोद में राजसी ठाठ-बाठ से निकली बादशाह की सवारी के साथ ही न्हाण महोत्सव का समापन हुआ. सवारी में इस बार कई नए स्वांगों ने लोगों को खूब हंसाया, तो बच्चों में भी स्वांग लाने को लेकर खासा उत्साह दिखा. पारंम्परिक लोकगीतों की आवाज भी सुनाई दी, किंतु डीजे पर बजते आधुनिक संगीत के शोर में पारंपरिक गीतों की आवाज खोई-खोई सी नजर आई.

राजसी ठाठ-बाठ से निकली बादशाह की सवारी

न्हाण लोकोत्सव के दौरान बजने वाले परम्परागत संगीत बोल शंकर्या रे, नगीनों म्हारों घुम ग्यों रे, जैसे लोकगीत सिर्फ बैंडबाजे तक सीमित रहे. देर शाम साढ़े पांच बजे नावघाट स्थित रंगजी मंदिर से शुरू हुई बादशाह की सवारी पुराना बाजार, खाड़ा, गढ़ चौक होते हुए लक्ष्मीनाथ के चौक में पहुंची.

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विभिन्न वेशभूषाओं में सजे लोग

यह भी पढ़ें- सीकर में दूल्हा-दुल्हन की साथ में निकली बिंदोरी, 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का दिया संदेश

बादशाह की सवारी में भी नावघाट से खाड़े तक जगह-जगह मकानों और दुकानों की छतें लोगों से ठसाठस भरी नजर आई. आसपास के गांवों के लोग भी न्हाण का लुत्फ लेने सांगोद पहुंचे. न्हाण मार्ग पर जगह जगह पुलिसकर्मी तैनात रहे. किन्नर भी आधुनिकता की चकाचौंध में रंगे नजर आए. किन्नरों के नृत्य ने भी लोगों को गीतों पर झूमने को मजबूर कर दिया. बड़ी संख्या में युवक किन्नरों के साथ ठुमके लगाते नजर आए.

सांगोद (कोटा). सांगोद में राजसी ठाठ-बाठ से निकली बादशाह की सवारी के साथ ही न्हाण महोत्सव का समापन हुआ. सवारी में इस बार कई नए स्वांगों ने लोगों को खूब हंसाया, तो बच्चों में भी स्वांग लाने को लेकर खासा उत्साह दिखा. पारंम्परिक लोकगीतों की आवाज भी सुनाई दी, किंतु डीजे पर बजते आधुनिक संगीत के शोर में पारंपरिक गीतों की आवाज खोई-खोई सी नजर आई.

राजसी ठाठ-बाठ से निकली बादशाह की सवारी

न्हाण लोकोत्सव के दौरान बजने वाले परम्परागत संगीत बोल शंकर्या रे, नगीनों म्हारों घुम ग्यों रे, जैसे लोकगीत सिर्फ बैंडबाजे तक सीमित रहे. देर शाम साढ़े पांच बजे नावघाट स्थित रंगजी मंदिर से शुरू हुई बादशाह की सवारी पुराना बाजार, खाड़ा, गढ़ चौक होते हुए लक्ष्मीनाथ के चौक में पहुंची.

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बादशाह की सवारी में भी नावघाट से खाड़े तक जगह-जगह मकानों और दुकानों की छतें लोगों से ठसाठस भरी नजर आई. आसपास के गांवों के लोग भी न्हाण का लुत्फ लेने सांगोद पहुंचे. न्हाण मार्ग पर जगह जगह पुलिसकर्मी तैनात रहे. किन्नर भी आधुनिकता की चकाचौंध में रंगे नजर आए. किन्नरों के नृत्य ने भी लोगों को गीतों पर झूमने को मजबूर कर दिया. बड़ी संख्या में युवक किन्नरों के साथ ठुमके लगाते नजर आए.

Last Updated : Mar 15, 2020, 2:25 PM IST
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