कोटा. हाड़ौती के किसानों का लहसुन बीते 1 साल से 2 से लेकर 10 रुपए किलो तक बिक रहा है. हालांकि कुछ किसानों को लहसुन अच्छी क्वालिटी (Garlic Production in Kota) का है, वह 30 से 40 रुपए किलो भी पहुंचा है. वहीं, औसत भाव 10 रुपए किलो के आसपास ही रहे हैं. इसके चलते लहसुन उत्पादक किसानों की रुचि अब लहसुन में कम रही है, लेकिन किसानों को उम्मीद रहती है कि एक बार नुकसान होने से अगली बार फायदा हो सकता है. इसलिए लहसुन के रकबे में गिरावट तो हुई है. उम्मीद के मुताबिक गिरावट भी नहीं हुई है. लहसुन का रकबा कोटा संभाग में जहां बीते साल 2021 में 115000 हेक्टेयर था. अब यह गिरकर 2022 में 79 हजार हो गया है. यह गिरावट करीब 30 फीसदी के आसपास है. जबकि इस साल के लक्ष्य 93 हजार हेक्टेयर का 85 फीसदी बुवाई किसानों ने की है.
![Garlic acreage reduced in Kota division](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17246791_garlic1.jpg)
झालावाड़ में सबसे ज्यादा 40 फीसदी कम हुआ एरिया: संभाग में सबसे ज्यादा रकबा झालावाड़ जिले में कम हुआ है. बीते साल जहां पर करीब 50 हजार हेक्टेयर के आसपास रकबा (Garlic Production in Kota) था. यह 29 हजार के आसपास रह गया है. करीब 20,000 की कमी हुई है. हालांकि लक्ष्य के मुताबिक ही बुआई यहां पर हुई है. इसके बाद करीब 10500 हेक्टेयर एरिया कोटा जिले में कम हुआ है. बीते साल जहां 27500 में बुवाई हुई थी. इस बार यह 17000 के आसपास रह गया. लक्ष्य से भी 8000 हेक्टेयर रकबा कम हुआ है. बूंदी जिले में लक्ष्य से 2100 हेक्टेयर कम और बारां जिले में बीते साल से 4260 हेक्टेयर में कम बुवाई हुई है.
![Garlic acreage reduced in Kota division](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17246791_garlic2.jpg)
किसानों को उम्मीद है कि इस बार डिमांड आएगी: बीते साल जिन किसानों ने 10 से 15 बीघा में लहसुन (Garlic Production in Kota) किया था. उन्होंने भी रकबा कम कर दिया है. कई छोटे किसानों ने तो लहसुन का उत्पादन भी नहीं किया है. उन्होंने खेतों में लहसुन की जगह दूसरी फसल की बुवाई कर दी है. ज्यादातर जोर चने की बुवाई पर रहा है. इसके बावजूद भी किसानों को उम्मीद है कि इस बार लहसुन की डिमांड आएगी. जिसके बाद उनकी फसल के दाम अच्छे मिलेंगे और बीते साल का घाटा भी पूरा हो जाएगा. कई किसानों का यह भी मानना है कि घाटे से उबरने का तरीका भी लहसुन ही हो सकता है, क्योंकि इस साल उत्पादन कम होगा तो दाम सुधर सकते हैं.
![Garlic acreage reduced in Kota division](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17246791_garlic3.jpg)
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व्यापार, डिमांड और क्वालिटी पर निर्भर करेगा भाव: हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के ज्वाइंट डायरेक्टर पीके गुप्ता का मानना है कि बुवाई कम हुई है, जिससे उत्पादन भी कम होगा. बीते साल कमजोर क्वालिटी और उत्पादन ज्यादा होने से भाव कम रहे थे. इस बार के भाव भी व्यापारियों पर निर्भर करेंगे कि किस तरह की डिमांड कोटा संभाग के बाहर से आ रही है. साथ ही क्वालिटी अच्छी रहती है, तब यह भाव बढ़ सकते हैं. इसी उम्मीद में किसानों ने भी रखबे में ज्यादा कमी नहीं की है. खेड़ा रसूलपुर के किसान देवी शंकर गुर्जर का मानना है कि किसान को उम्मीद रहती है कि भाव गिरने के बाद बढ़ जाते हैं, ऐसे में इस बार भी किसानों ने लहसुन का उत्पादन किया है, लेकिन थोड़ा रकबा कम कर दिया है.
ज्यादा मुनाफे के बाद घाटे का इतिहास, फिर गिरता रकबा: लहसुन उत्पादक किसान कुछ साल ज्यादा मुनाफे से प्रभावित होकर उत्पादन बढ़ा देते हैं. फिर कम डिमांड, घटिया क्वालिटी और ज्यादा उत्पादन के चलते दाम गिरते है. साल 2014 से लेकर 2017 तक 3 साल किसानों को लहसुन का अच्छा दाम मिला था. इसके चलते 2017 में 109000 हेक्टेयर में 7 लाख 25 हजार मीट्रिक टन उत्पादन किया. इस बंपर उत्पादन से भाव धड़ाम से गिर गए. किसानों को औने पौने दाम पर भी लहसुन बेचना पड़ा. इसके बाद 2018 में रकबा गिरकर 77000 हेक्टेयर रह गया. दामों में सुधार होने के बाद 2019 से लेकर 2021 तीन साल फिर किसानों को अच्छे दाम मिले, लेकिन साल 2022 में 2018 जैसे हालात बन गए और अब फिर रकबा गिर गया हैं.