ETV Bharat / state

Exclusive: अस्पताल हाउसफुल होने जा रहा है, लोग नहीं संभले तो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से भी ज्यादा भयावह होंगे हालात: डॉ. सीएस सुशील - Kota Medical College to be full of beds

आज एक बार फिर 1049 मरीज कोरोना के सामने आए हैं. साथ ही सरकारी आंकड़े के अनुसार एक मरीज की मौत भी अस्पताल में उपचार के दौरान हुई है. जबकि मेडिकल कॉलेज का अस्पताल पूरी तरह से हाउसफुल स्थिति में पहुंचने वाला है. अस्पताल में 750 बेड की क्षमता है लेकिन अभी 590 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. जिनमें से आधे कोविड-19 सस्पेक्टेड है. ईटीवी भारत में कोटा मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील से बातचीत की. इस दौरान डॉ. सुशील ने कहा कि ऑक्सीजन पर 367 मरीज भर्ती हैं.

Kota Medical College, कोटा न्यूज
डॉ. सीएस सुशील से खास बातचीत
author img

By

Published : Apr 18, 2021, 9:35 AM IST

कोटा. जिले में आज एक बार फिर 1049 मरीज कोरोना के सामने आए हैं. साथ ही सरकारी आंकड़े के अनुसार एक मरीज की मौत भी अस्पताल में उपचार के दौरान हुई है. जबकि मेडिकल कॉलेज का अस्पताल पूरी तरह से हाउसफुल स्थिति में पहुंचने वाला है. अस्पताल में 750 बेड की क्षमता है, लेकिन अभी 590 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. जिनमें से आधे कोविड-19 सस्पेक्टेड है. ईटीवी भारत में मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील से बातचीत की.

डॉ. सीएस सुशील से खास बातचीत पार्ट 1

इस दौरान डॉ. सुशील ने कहा कि ऑक्सीजन पर 367 मरीज भर्ती हैं. साथ ही बाइपेप मशीन पर 32 और वेंटिलेटर पर एक मरीज है. डॉ. सुशील ने लोगों से अपील की है कि वह लोग घरों में कैद हो जाएं. घरों से बाहर अनावश्यक काम के लिए नहीं निकले, तब ही संक्रमण उन तक नहीं पहुंचेगा. यहां तक कि घर में रहने वाले कोई व्यक्ति जो रोज बाहर जा रहे हैं, उनसे भी दूरी बनाकर रखें और घर में भी अगर मास्क का प्रयोग करें, तो ज्यादा अच्छा होगा. हमारे देश के अन्य राज्य महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में हालात भयानक है. वैसी प्रॉब्लम राजस्थान में भी हो जाएगी. यहां तक कि वहां श्मशान घाट में भी लाइन अभी लगी हुई है.

यह भी पढ़ें. राजस्थान में कोरोना का कहर, आज कोविड रिव्यू मीटिंग में सीएम गहलोत ले सकते हैं कड़े फैसले

मरीजों की रिकवरी दर भी हुई कम

डॉ. सुशील ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि पहले जहां रिकवरी रेट कोविड-19 की 98 फीसदी तक पहुंच गई थी. अब यह 90 के आसपास ही रह गई है. पिछली बार जहां 1 सप्ताह बाद फेफड़ों में संक्रमण बढ़ता था. अब 3 से 4 दिनों में ही सीटी स्कैन का स्कोर 15 से 20 के बीच पहुंच रहा है. साथ ही कम उम्र के लोगों में भी घातक संक्रमण देखने को मिल रहा है. इससे युवाओं की मौत भी हो रही है. जिला प्रशासन अन्य रेलवे या ईएसआई अस्पताल को अधिकृत करने का काम ही करेगा. साथ ही प्राइवेट हॉस्पिटल भी फूल है, वहां भी एक एक वार्ड में कोविड 19 का इलाज किया जा रहा है. डेथ का आंकड़ा भी काफी ज्यादा है. पिछली बार जो मरीजों की मौत हो रही थी, उनसे ज्यादा मौतें इस बार की लहर में हो रही है.

500 ऑक्सीजन पॉइंट, उसके बाद सिलेंडर से देनी होगी

डॉ. सुशील ने कहा कि वे लगातार व्यवस्थाएं जुटा रहे हैं. नए आईसीयू को भी उन्होंने 1 दिन में तैयार करवाया है. जहां पर नए 11 मॉनिटर लगाए गए हैं. सरकार के निर्देश पर आगे से आगे सुविधाएं जुटा रहे हैं लेकिन अस्पताल में ही आईसीयू बनाया जा सकता है. बाहर आईसीयू नहीं बन सकता है. इसी के चलते डे केयर सेंटर को एग्जामिनेशन हॉल में एक-दो दिन में शिफ्ट किया जाएगा. अस्पताल में करीब 500 दिन पॉइंट है. जिनका उपयोग किया जा सकता है. इसके बाद अगर मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत होगी, तो उस सिलेंडर के साथ ही उसे देनी होगी.

डॉ. सीएस सुशील से खास बातचीत पार्ट 2

डॉक्टर सुशील ने रेमडेसीविर इंजेक्शन की शॉर्टेज पर कहा कि अभी यह बनी हुई है, लेकिन हम रोज गाड़ी जयपुर भेजकर मंगा रहे हैं. वहां भी जैसे इंजेक्शन आते हैं, वह 33 जिलों का सप्लाई करते हैं. उसी के अनुसार कोटा के लिए को भी आवंटित कर देते हैं. अगले 15 दिनों में इस स्थिति में सुधार हो सकता है, क्योंकि पहले एक ही कंपनी इसे बना रही थी, प्रोडक्शन भी ज्यादा नहीं था. कोरोना की वजह से उसने प्रोडक्शन बढ़ाया था, अब जब देश में कोरोना वायरस के केस कम हो गए, तो उसमें बाहर निर्यात करना शुरू कर दिया था.

यह भी पढ़ें. गहलोत सरकार का बड़ा फैसला, निजी लैब में अब 350 रुपए में होगा कोरोना टेस्ट

पहले प्रदेश में 50000 के आसपास मरीज आ रहे थे, लेकिन अब यह संख्या ढाई लाख के आसपास बन गई है. ऐसे में यहां भी सीरियस मरीजों की संख्या बढ़ने से इंजेक्शन की मांग ज्यादा हो गई है. भारत सरकार ने भी नई कंपनियों को लाइसेंस दिया है. ऐसे में उनकी सप्लाई सुचारू होने पर स्थिति कंट्रोल में आएगी.

बोर्ड तय करता है इंजेक्शन किसे लगे

रेमडेसीविर इंजेक्शन किस मरीज को लगना है और बिना आवश्यकता के मरीजों को तो नहीं लग जाए. इसके लिए भी अब प्रबंधन ने सख्त रुख अपना लिया है. शॉर्टेज को देखते हुए इंजेक्शन किस मरीज को लगना है. उसके लिए एक मेडिकल बोर्ड बनाया गया. जिसमें 3 चिकित्सकों की कमेटी की पूरा फैसला करेगी कि किस व्यक्ति के इंजेक्शन लगना आवश्यक है. उसके बाद ही इंजेक्शन लगवाया जाएगा.

स्टाफ की कमी से भी जूझ रहा है अस्पताल

डॉ. सुशील का कहना है कि स्टाफ की शॉर्टेज भी अभी बनी हुई है, पहले तो आधे स्टाफ को क्वॉरेंटाइन भी किया जाता था लेकिन अब ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है और समय भी ऐसा नहीं है. इसीलिए पूरे स्टाफ को लगा दिया गया है. यहां तक कि उनकी पीएल, सीएल और डे ऑफ भी बंद कर दिए गए हैं. जिला कलेक्टर ने अनुमति दी है कि 80 नर्सिंग कर्मियों को संविदा पर लगाया जाए. इसके लिए भी हम काम करना शुरू कर दिया गया है. साथ ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और वार्ड बॉय को संविदा पर नियुक्ति देने के निर्देश भी दिए गए हैं. अभी नया डे केयर सेंटर एग्जामिनेशन हॉल में शुरू करना है. उसके लिए नर्सिंग स्टाफ की आवश्यकता होगी.

कोटा. जिले में आज एक बार फिर 1049 मरीज कोरोना के सामने आए हैं. साथ ही सरकारी आंकड़े के अनुसार एक मरीज की मौत भी अस्पताल में उपचार के दौरान हुई है. जबकि मेडिकल कॉलेज का अस्पताल पूरी तरह से हाउसफुल स्थिति में पहुंचने वाला है. अस्पताल में 750 बेड की क्षमता है, लेकिन अभी 590 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. जिनमें से आधे कोविड-19 सस्पेक्टेड है. ईटीवी भारत में मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील से बातचीत की.

डॉ. सीएस सुशील से खास बातचीत पार्ट 1

इस दौरान डॉ. सुशील ने कहा कि ऑक्सीजन पर 367 मरीज भर्ती हैं. साथ ही बाइपेप मशीन पर 32 और वेंटिलेटर पर एक मरीज है. डॉ. सुशील ने लोगों से अपील की है कि वह लोग घरों में कैद हो जाएं. घरों से बाहर अनावश्यक काम के लिए नहीं निकले, तब ही संक्रमण उन तक नहीं पहुंचेगा. यहां तक कि घर में रहने वाले कोई व्यक्ति जो रोज बाहर जा रहे हैं, उनसे भी दूरी बनाकर रखें और घर में भी अगर मास्क का प्रयोग करें, तो ज्यादा अच्छा होगा. हमारे देश के अन्य राज्य महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में हालात भयानक है. वैसी प्रॉब्लम राजस्थान में भी हो जाएगी. यहां तक कि वहां श्मशान घाट में भी लाइन अभी लगी हुई है.

यह भी पढ़ें. राजस्थान में कोरोना का कहर, आज कोविड रिव्यू मीटिंग में सीएम गहलोत ले सकते हैं कड़े फैसले

मरीजों की रिकवरी दर भी हुई कम

डॉ. सुशील ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि पहले जहां रिकवरी रेट कोविड-19 की 98 फीसदी तक पहुंच गई थी. अब यह 90 के आसपास ही रह गई है. पिछली बार जहां 1 सप्ताह बाद फेफड़ों में संक्रमण बढ़ता था. अब 3 से 4 दिनों में ही सीटी स्कैन का स्कोर 15 से 20 के बीच पहुंच रहा है. साथ ही कम उम्र के लोगों में भी घातक संक्रमण देखने को मिल रहा है. इससे युवाओं की मौत भी हो रही है. जिला प्रशासन अन्य रेलवे या ईएसआई अस्पताल को अधिकृत करने का काम ही करेगा. साथ ही प्राइवेट हॉस्पिटल भी फूल है, वहां भी एक एक वार्ड में कोविड 19 का इलाज किया जा रहा है. डेथ का आंकड़ा भी काफी ज्यादा है. पिछली बार जो मरीजों की मौत हो रही थी, उनसे ज्यादा मौतें इस बार की लहर में हो रही है.

500 ऑक्सीजन पॉइंट, उसके बाद सिलेंडर से देनी होगी

डॉ. सुशील ने कहा कि वे लगातार व्यवस्थाएं जुटा रहे हैं. नए आईसीयू को भी उन्होंने 1 दिन में तैयार करवाया है. जहां पर नए 11 मॉनिटर लगाए गए हैं. सरकार के निर्देश पर आगे से आगे सुविधाएं जुटा रहे हैं लेकिन अस्पताल में ही आईसीयू बनाया जा सकता है. बाहर आईसीयू नहीं बन सकता है. इसी के चलते डे केयर सेंटर को एग्जामिनेशन हॉल में एक-दो दिन में शिफ्ट किया जाएगा. अस्पताल में करीब 500 दिन पॉइंट है. जिनका उपयोग किया जा सकता है. इसके बाद अगर मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत होगी, तो उस सिलेंडर के साथ ही उसे देनी होगी.

डॉ. सीएस सुशील से खास बातचीत पार्ट 2

डॉक्टर सुशील ने रेमडेसीविर इंजेक्शन की शॉर्टेज पर कहा कि अभी यह बनी हुई है, लेकिन हम रोज गाड़ी जयपुर भेजकर मंगा रहे हैं. वहां भी जैसे इंजेक्शन आते हैं, वह 33 जिलों का सप्लाई करते हैं. उसी के अनुसार कोटा के लिए को भी आवंटित कर देते हैं. अगले 15 दिनों में इस स्थिति में सुधार हो सकता है, क्योंकि पहले एक ही कंपनी इसे बना रही थी, प्रोडक्शन भी ज्यादा नहीं था. कोरोना की वजह से उसने प्रोडक्शन बढ़ाया था, अब जब देश में कोरोना वायरस के केस कम हो गए, तो उसमें बाहर निर्यात करना शुरू कर दिया था.

यह भी पढ़ें. गहलोत सरकार का बड़ा फैसला, निजी लैब में अब 350 रुपए में होगा कोरोना टेस्ट

पहले प्रदेश में 50000 के आसपास मरीज आ रहे थे, लेकिन अब यह संख्या ढाई लाख के आसपास बन गई है. ऐसे में यहां भी सीरियस मरीजों की संख्या बढ़ने से इंजेक्शन की मांग ज्यादा हो गई है. भारत सरकार ने भी नई कंपनियों को लाइसेंस दिया है. ऐसे में उनकी सप्लाई सुचारू होने पर स्थिति कंट्रोल में आएगी.

बोर्ड तय करता है इंजेक्शन किसे लगे

रेमडेसीविर इंजेक्शन किस मरीज को लगना है और बिना आवश्यकता के मरीजों को तो नहीं लग जाए. इसके लिए भी अब प्रबंधन ने सख्त रुख अपना लिया है. शॉर्टेज को देखते हुए इंजेक्शन किस मरीज को लगना है. उसके लिए एक मेडिकल बोर्ड बनाया गया. जिसमें 3 चिकित्सकों की कमेटी की पूरा फैसला करेगी कि किस व्यक्ति के इंजेक्शन लगना आवश्यक है. उसके बाद ही इंजेक्शन लगवाया जाएगा.

स्टाफ की कमी से भी जूझ रहा है अस्पताल

डॉ. सुशील का कहना है कि स्टाफ की शॉर्टेज भी अभी बनी हुई है, पहले तो आधे स्टाफ को क्वॉरेंटाइन भी किया जाता था लेकिन अब ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है और समय भी ऐसा नहीं है. इसीलिए पूरे स्टाफ को लगा दिया गया है. यहां तक कि उनकी पीएल, सीएल और डे ऑफ भी बंद कर दिए गए हैं. जिला कलेक्टर ने अनुमति दी है कि 80 नर्सिंग कर्मियों को संविदा पर लगाया जाए. इसके लिए भी हम काम करना शुरू कर दिया गया है. साथ ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और वार्ड बॉय को संविदा पर नियुक्ति देने के निर्देश भी दिए गए हैं. अभी नया डे केयर सेंटर एग्जामिनेशन हॉल में शुरू करना है. उसके लिए नर्सिंग स्टाफ की आवश्यकता होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.