कोटा. दीगोद में तैनात तहसीलदार दिलीप सिंह प्रजापति ने एक विवादित प्रेस नोट जारी किया था. इस संबंध में उन्होंने राखी के दिन अपनी बहनों से हक त्यागने के लिए कहा था. जिससे जमीनी विवादों में होने वाले फैसलों में समझौता हो सके. हालांकि, यह प्रेस नोट उनके गले की फांस बन गया. अब इसी के चलते राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया है.
तहसीलदार के प्रेस नोट के खिलाफ महिला यूनियन विरोध में उतर गई थी. इन महिलाओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन देते हुए इस प्रेस नोट को रद्द करवाने और कार्रवाई की मांग की थी. निलंबन काल में तहसीलदार दिलीप सिंह प्रजापति का मुख्यालय राजस्व मंडल अजमेर होगा. मामले के अनुसार दीगोद के तहसीलदार दिलीप सिंह प्रजापति ने रक्षाबंधन को यादगार बनाने के लिए त्याग करवाने के लिए प्रेस नोट जारी किया था. जिसमें बताया था कि किसी भी खातेदार की मृत्यु हो जाने पर उसके प्राकृतिक अधिकारियों के रूप में पुत्र और पुत्री और पत्नी के नाम को जगह हो जाती है. कई धर्मों में पीढ़ियों से बहन-बेटी परंपरागत खाते की जमीन और अचल संपत्ति नहीं लेती है.
यह भी पढ़ें. दीया कुमारी ने महिला अत्याचार पर गहलोत को घेरा, कहा- जब सांसद सुरक्षित नहीं तो जनता का क्या होगा?
तहसीलदार के अनुसार वे अपने ससुराल में अपना हक लेती है लेकिन लापरवाह खातेदार और किसान हक त्याग नहीं करवाते हैं. ऐसे में लोक कल्याणकारी सरकार में कई कल्याणकारी योजनाओं और जमीन अवाप्ति के बाद खातेदार के मुआवजे के चेक बहन-बेटियों के नाम से जारी होते हैं. ऐसी परिस्थितियां पाप पैदा करती है और कुछ बहन बेटी चेक की राशि अपने भाइयों को नहीं लौटती और जिंदगी भर दोनों भाई बहन अन-बोले ही स्वर्ग सिधार जाते हैं.
यह भी पढ़ें. अलवर के किशनगढ़बास में पुलिस पर हमला, अपहरण केस की जांच करने पहुंची थी टीम
प्रेस नोट में यह भी बताया गया कि यही नहीं शादीशुदा बहन बेटी की मृत्यु होने पर ससुराल में भी उसके पति और संतानों के नाम खाते की जमीन दर्ज हो जाती है. परिवार को जोड़ने वाली तो मर चुकी होती है लेकिन जमाई औने-पौने दाम में जमीन बेच जाता है. यह तो मात्र उदाहरण है. ऐसे कारण जिंदगी भर लड़ाई-झगड़ा और मुकदमे बाजी और खून खराबे भी होते हैं. इसीलिए तहसीलदार ने अपील की थी कि अपनी बहनों से स्वैच्छिक हक त्याग करवाएं. इसके बाद ही विवाद बढ़ गया था और काफी आलोचना भी इस प्रेस नोट की हो रही थी. इसके अलावा वीमेन ऑर्गेनाइजेशन ने भी इस संबंध में आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि यह भारतीय संविधान के द्वारा बनाए गए कानून का उल्लंघन कर रहा है. इसके बाद भी राज्य सरकार ने आदेश देते हुए तत्काल प्रभाव से दीगोद के तहसीलदार दिलीप सिंह प्रजापति को निलंबित कर दिया है.
पहले भी आईएएस इंद्र सिंह राव पर लगाए आरोप
इससे पहले भी दिलीप सिंह प्रजापति सुर्खियों में रहे थे. तब वह बारां जिले के छबड़ा में तहसीलदार थे. उन्होंने बारां जिले के बीजेपी और कांग्रेस से जुड़े बड़े नेताओं पर ही आरोप लगा दिए थे. साथ ही कहा था कि भाजपा और कांग्रेस के नेता सांठगांठ करते हैं. इसके साथ ही बारां के पूर्व कलेक्टर निलंबित आईएएस इंद्र सिंह राव पर भी आरोप लगाते हुए 26 पेज का पत्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखा था.