कोटा. शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून की विसंगतियों को लेकर निजी स्कूल संचालक विरोध पर उतर आए हैं. इसके चलते वह एक दिवसीय हड़ताल 6 अप्रैल को कोटा में करने जा रहे हैं. इस कारण गुरुवार को कोटा संभाग के करीब 2500 निजी स्कूल बंद रहेंगे. इस बंदी में छोटे गांव, ढाणियों से लेकर कस्बे और शहरों के स्कूल भी शामिल हैं. इसके चलते करीब 20 लाख बच्चों का गुरुवार को अवकाश रखा गया है.
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बूंदी, कोटा, बारां व झालावाड़ जिलों के स्कूल बंद रहेंगेः दूसरी तरफ, आंदोलनरत हाड़ौती प्राइवेट स्कूल्स संघर्ष समिति ने भी बंद को सफल रखने के लिए अपनी टीमें तैनात कर दी गई है, जो कि गांव, ढाणी से लेकर शहरों तक के स्कूलों पर नजर रखेंगी. इस दौरान कोटा, बूंदी, बारां व झालावाड़ चारों जिलों के स्कूल बंद रहेंगे. निजी स्कूल संचालकों की सभी एसोसिएशन ने मिलकर हाड़ौती प्राइवेट स्कूल्स संघर्ष समिति बनाई है. इसके जरिए ही आंदोलन की पूरी रूपरेखा भी इन्होंने तैयार की है. समिति का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं मानी, तब आगे जाकर यह पूर्णतया बंद भी रखना पड़ेगा तो रखेंगे. समिति के सदस्य संजय शर्मा ने बताया कि उनकी तीन प्रमुख मांगों में आरटीई एक्ट के तहत आ रही परेशानी मुख्य है. संजय शर्मा ने बताया कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत पुनर्भरण राशि का 65 फीसदी सेंट्रल और 35 फीसदी स्टेट वहन करता है. राज्य सरकार ने बीते सालों से प्री प्राइमरी कक्षाओं का पुनर्भरण बंद कर कक्षा एक से प्रवेश मान्य कर दिया था.
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पुनर्भरण से इंकार कर रही सरकारः इसके बाद न्यायालय ने भी सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी और दोबारा से आरटीई में प्रवेश दिए गए. हालांकि राज्य सरकार बीते शैक्षणिक सत्र 2022-23 की राशि का पुनर्भरण नहीं कर रही है. इसके साथ ही वर्तमान में कक्षा एक से नीचे की तीन छोटी क्लासों में भी प्रवेश RTE के तहत हो रहा है, लेकिन राज्य सरकार इनके पुनर्भरण के लिए इंकार कर रही है. इसीलिए हमें हड़ताल पर उतरना पड़ा है. संजय शर्मा ने आगे बताया कि निजी स्कूल विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन उन पर यूडी टैक्स लगाया जा रहा है. इसका भी हम विरोध कर रहे हैं. दूसरी तरफ कई हॉस्टल पर घरेलू बिजली मानकर बिल आ रहा है. जबकि स्कूलों पर कामर्शियल दर से पैसा लिया जा रहा है. इसका भी हम विरोध कर रहे हैं. हड़ताल के दौरान सभी जिलों में स्कूल संचालक रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपेंगे.