कोटा. राजस्थान का सबसे लंबा ब्रिज चंबल नदी पर स्थित है. यह 1562 मीटर लंबा है, लेकिन अब एक और ब्रिज कोटा जिले में प्रस्तावित है. यह बनने का बाद प्रदेश का सबसे लंबा कहलाएगा. इसकी लंबाई 1880 मीटर है और यह चंबल नदी पर ही बनाया जा रहा है. यह झरेल के बालाजी के नजदीक बनेगा. इसके निर्माण से लाखों की आबादी को फायदा होगा, जिसमें कोटा जिले के इटावा, बारां जिला और सवाई माधोपुर के साथ-साथ मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के लोग भी लाभान्वित होंगे.
बता दें कि इन जिलों में बारिश के सीजन के चार महीने में लोग रिश्तेदारी और अन्य कामों के लिए यात्रा नहीं कर पाते. सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता आरके सोनी का कहना है कि इस ब्रिज निर्माण का वर्क ऑर्डर सितंबर महीने में दिया गया था. इसके बाद इसका शिलान्यास भी किया गया. अब निर्माण के लिए संवेदक ने काम शुरू किया है. इससे पहले साइट पर ही कार्य किया जा रहा था, लेकिन ड्राइंग, डिजाइन तैयार होना, मशीनरी का खरीदना और मौके पर इंस्टॉल करना इत्यादि कामों में समय लगता है. अब एक सप्ताह पहले से कार्य शुरू हो गया है. ब्रिज दो साल में बनकर तैयार होगा.
उन्होंने बताया कि चंबल नदी का जलस्तर बारिश के सीजन में बढ़ जाता है और 4 महीने झरेल के बालाजी की वर्तमान रपट वाली पुलिया पर पानी आ जाता है. इसके चलते रास्ता बंद हो जाता है. ऐसा होने से खातौली, इटावा, सवाई माधोपुर, बारां जिले के लोग यहां से रिश्तेदारी में भी आ-जा नहीं पाते हैं. आरके सोनी का कहना है कि वर्तमान में भी बारिश के समय थोड़ा कार्य प्रभावित हो सकता है, लेकिन इसका निर्माण में हमने 18 महीने का समय दिया है, जबकि यह करीब 2 साल में बनकर पूरा तैयार हो जाएगा.
पढ़ें : एड्स छूने या साथ रहने से नहीं होता, 18 साल से सुशीला फैला रही जागरूकता
शुरू हो गई पिलर की खुदाई : आरके सोनी ने बताया कि ब्रिज को प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति 165 करोड़ की है, लेकिन टेंडर 111 करोड़ का हुआ है. इसके अलावा फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए पैसा लगा है. अथॉरिटी इंजीनियर व लैंड एक्विजिशन का पैसा है. सब मिला कर 165 करोड़ की लागत ब्रिज बनाने में आएगी. ज्योति बिल्डर एन्ड आरके जैन (जेबी) की टीम के पास इसका कॉन्ट्रैक्ट है. इसके अलावा मशीनरी के जरिए अन्य पाइल की भी खुदाई की जा रही है. इस ब्रिज के लिए 48 पिलर खड़े किए जाएंगे, जिन पर 47 स्पान होंगे.
सैकड़ों किमी की दूरी होगी कम : ब्रिज का सबसे ज्यादा फायदा बारां जिले के लोगों को मिलेगा. वो सीधे सवाई माधोपुर से जुड़ जाएंगे. बारां के लोग कोटा होकर सवाई माधोपुर जाते है, जिससे उनको 200 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. पुलिया के शुरू होने के बाद केवल 135 किलोमीटर की दूरी ही उन्हें तय करनी होगी. साथ ही बारिश के 4 महीनों में ज्यादातर लोग एमपी के श्योपुर होकर ही सवाई माधोपुर जाते थे. यहां भी पार्वती नदी की पुलिया पर पानी आ जाने के चलते नहीं जा पाते थे. इससे भी उन्हें निजात मिलेगी.
खातौली वालों के लिए नजदीक होगा सवाई माधोपुर : खातौली से कोटा आने में 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. ऐसे में इस ब्रिज का निर्माण हो जाने के बाद यहां के निवासी छोटे-मोटे कार्य के लिए कोटा न जाकर सवाई माधोपुर जाना पसंद करेंगे. यह दूरी महज 60 किमी है. दूसरी तरफ इस इलाके से जयपुर जाना भी काफी नजदीक हो जाएगा. वहीं, मध्य प्रदेश के श्योपुर से भी जयपुर जाने वाले वाहन इस सड़क मार्ग का उपयोग कर सकेंगे.