कोटा. जिले के इटावा और रामगंजमंडी नगर पालिका में 11 दिसंबर को चुनाव होने हैं. इसके लिए अधिसूचना भी जारी हो चुकी है. यहां के वार्डों का परिसीमन भी इस बार ही हुआ है. हालांकि परिसीमन के बाद जो वार्ड बनाए गए हैं, वह काफी छोटे हो गए हैं. वहीं दूसरी तरफ कई वार्डों की जनसंख्या ज्यादा भी हैं. कोटा के इटावा की बात की जाए तो वहां पर 153 और 168 वोटर्स के भी वार्ड बन गए हैं. ऐसे में इन वार्डों में महज 70 से 80 वोटर ही जीत हार तय कर देंगे.
इसी तरह से रामगंजमंडी में 266 और 278 वार्ड मतदाताओं के ही वार्ड हैं. वहीं दूसरी तरफ 1125 और 1086 भी कुछ वार्डों में वोटर हैं. इटावा में इस बार 18192 लोग नगर पालिका चुनाव में मतदान करेंगे. इनमें 9380 पुरुष और 8812 महिलाएं शामिल होंगी. इसी तरह से रामगंजमंडी के 40 वार्डों में 28487 कुल वोटर हैं इनमें पुरुष 14571 और महिलाएं 13916 हैं.
दोनों नगर पालिकाओं में 10-10 वार्ड बड़े
इटावा और रामगंजमंडी दोनों नगर पालिकाओं में 10-10 वार्ड परिसीमन के बाद बढ़ाए गए हैं. इटावा नगर पालिका में पहली बार चुनाव पिछले साल 2019 में हुए थे और नया परिसीमन हुआ था. इसमें 25 वार्ड थे. लेकिन गहलोत सरकार आने के बाद अब इस परिसीमन में कांग्रेस सरकार ने परिवर्तन करते हुए 10 वार्ड बढ़ा दिए हैं और यहां पर 35 वार्ड बना दिए गए हैं.
वहीं रामगंजमंडी की बात की जाए तो यहां पर 30 वार्ड थे जिन्हें बढ़ाकर 10 वार्ड कर दिया गया है अब यहां कुल 40 वार्ड हो गए है.
भाजपा नेताओं ने जताई आपत्ति
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस परिसीमन पर आपत्ति जताई है. बीजेपी का कहना है कि प्रदेश की गहलोत सरकार नए परिसीमन के जरिए चुनाव जीतना चाहती है. अपनी मनमर्जी से ही परिसीमन करवाने का आरोप है. भाजपा का कहना है कि परिसीमन की जरूरत नहीं थी कुछ वार्ड तो इतने छोटे हैं जिनमें महज 160 के आस-पास ही वोटर हैं. यहां रहने वाले सभी लोग कम्युनिटी से हैं ऐसे में इसका फायदा उठाने के लिए कांग्रेस ऐसा कर रही है.
पार्षदों पर भी होगा ज्यादा खर्चा
भाजपा देहात के जिला अध्यक्ष मुकुट नागर का कहना है कि परिसीमन की आवश्यकता नहीं होने के बावजूद परिसीमन किया गया. राज्य सरकार ने सिर्फ अपने फायदे के लिए ऐसा किया है. नागार ने कहा कि वार्ड बनाने के लिए कोई क्राइटेरिया तो तय होना चाहिए था ताकि निश्चित संख्या से कम वोटर का वार्ड नहीं हो.
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इटावा और रामगंजमंडी दोनों से के वार्डों की असमानता काफी ज्यादा है. नागार ने कहा कि वार्डों की संख्या बढ़ा देने से पार्षदों की भी संख्या ज्यादा होगी यही नहीं इसकी वजह से सरकार का खर्च भी बढ़ेगा लेकिन व्यक्तिगत फायदे के लिए इसे किया जा रहा है. बतादें ऐसा पहली बार नहीं है की परिसीमन का विरोध हो रहा है. भाजपा लगातार इसका विरोध कर रही है और ऐसे ही आरोपी की बौछार राजस्थान भाजपा के बड़े से लेकर छोटे नेता करते आए हैं.