कोटा. देश के विभिन्न शिव मंदिरों में हर दिन भक्त पूजा-अर्चना करते हैं. कई मंदिर ऐसे भी हैं जो कि केवल एक बार महाशिवरात्रि पर खुलते हैं और इसी दिन भक्त अपने भगवान के दर्शन कर पाते हैं. इसी तरह का एक मंदिर कोटा में भी है, जो कि साल में केवल एक बार ही खोला जाता है. हालांकि इसका कारण सांप्रदायिक तनाव है. इसके चलते ही यह मंदिर साल भर बंद रहता है और केवल एक दिन के लिए ही खुलता है. मामला कोटा के विज्ञान नगर थाना इलाके की अमन कॉलोनी में स्थित अमलेश्वर महादेव मंदिर का है. जिसमें बीते 7 सालों से केवल महाशिवरात्रि के दिन ही पूजा अर्चना की जाती है. इस एरिया में तनाव नहीं बढ़े इसको लेकर भारी पुलिस सुरक्षा भी रखी जाती है. इस बार भी अमलेश्वर महादेव समिति की तरफ से आयोजन किया जा रहा है और इसकी तैयारियां जोर शोर से चल रही है.
भक्तों की मांग सामान्य रूप से खुले मंदिरः संजय नगर निवासी गायत्री राठौर का कहना है कि मंदिर की समय अवधि बढ़ानी चाहिए. इसे महीने में एक बार या भगवान शिव के आयोजनों व सावन के माह में जरूर खोलना चाहिए, ताकि मंदिर की साफ-सफाई और भगवान शिव का अभिषेक लोग कर सकें. हालांकि मसला सांप्रदायिक होने के चलते प्रशासन इसकी अनुमति नहीं देता है. संजय नगर निवासी पुष्प दयाल मालव का कहना है कि मंदिर साल में एक बार खुलता है, लेकिन लोगों की आस्था है कि मंदिर का यह समय अवधि बढ़ाना चाहिए. हर साल इस मंदिर के दर्शन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है.
मंदिर पर अतिक्रमण का भी आरोपः मंदिर से जुड़े विश्व हिंदू परिषद के सहप्रांत मंत्री योगेश रेनवाल का कहना है कि मंदिर 50 गुना 80 फीट का है. लेकिन स्थानीय लोगों ने मंदिर की जगह पर अतिक्रमण कर लिया. अब केवल 6 गुना 6 की ही जगह बची हुई है. ऐसे में इस मंदिर को भी अतिक्रमण मुक्त करवाना चाहिए. हालांकि 100 साल पुराने इस मंदिर की पूजा अर्चना बंद हो गई. करीब दो दशक से यहां पर पूजा-अर्चना बंद थी, यह 2015-16 में दोबारा शुरू हुई है.
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चूने भट्टे वालों ने बनाया था मंदिरः योगेश रेनवाल ने बताया कि अमलेश्वर महादेव का मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है. इस जगह पर 100 साल पहले चूने की भट्टियां थी. यहां काम करने वाले लोगों ने ही मंदिर बनाया था. इस दौरान यहां पर दूसरे लोग जाने से भी कतराते थे. क्योंकि इन ईट भट्टों के आगे डकनिया तलाव था और उसके आगे पूरा जंगल था. धीरे-धीरे यहां से चूने की भट्टियां खत्म हो गई. इसके बाद यह लोग यहां से पलायन कर गए और दूसरे लोगों को अपनी जमीन बेच दी. इसके बाद इस मंदिर की पूजा अर्चना बंद हो गई.
बग्गी और झांकियों के साथ इस बार 18 को होगा आयोजनः मंदिर पर हो रहे आयोजन के संयोजक राजू सुमन ने बताया कि मंदिर में साल में एक ही बार महाशिवरात्रि पर्व के दिन ही जलाभिषेक होता है. यह आयोजन बीते 7 सालों से चल रहा है. इस बार 18 फरवरी को विज्ञान नगर स्थित चमत्कारी हनुमान मंदिर के नजदीक श्रद्धालु एकत्रित होंगे. जहां से वह कावड़ यात्रा और शिव बारात लेकर अमलेश्वर धाम पहुंचेंगे. अमलेश्वर महादेव मंदिर पर पहुंचकर जलाभिषेक करेंगे. इसमें बग्गी और झांकियां भी मौजूद रहेगी. साथ ही कोटा शहर के कई संत भी इसमें शामिल रहेंगे.
पुलिस ही करवाती है पुताई और सफाईः पुलिस भी विवाद की स्थिति को देखते हुए महाशिवरात्रि के अलावा अन्य दिनों में इस मंदिर के आसपास किसी को भी नहीं जाने देती है. ऐसे में महाशिवरात्रि के पहले हिंदू संगठन इस मंदिर की पुताई और सफाई की बात करते हैं. जिस पर पुलिस ही खुद सफाई और पुताई यहां पर करवाती है. साथ ही मंदिर की चाबी भी पुलिस अपने पास ही रखती है और उस मंदिर को साल में एक बार ही खोला जाता है. महाशिवरात्रि के दिन जब सभी श्रद्धालु दर्शन कर लौट जाते हैं. तब तक वहां पर पुलिस जाप्ता मौजूद रहता है और वापस रात्रि के समय ताला लगाकर चाबी विज्ञान नगर थाने में जमा करवा दी जाती है.