करौली. हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस धूमधाम से मनाया जाता है. इसकी शुरूआत बाघों को सुरक्षित रखने और उनकी संख्या में इजाफा करने के लिए की गई थी. इस कड़ी में जिले के मंडरायल इलाके में बुधवार को वन्य जीव अभ्यारण के कार्मिको ने दसवां अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए मनाया.
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर वन विभाग के कार्मिकों ने वन्यजीव की रक्षा करने ओर उन्हें बचाने का संकल्प भी लिया. साथ ही लोगों से वन्यजीवों की रक्षा करने की अपील की. इस दौरान रेंजर प्रदीप शर्मा ने बताया कि दुनिया से बाघों की प्रजातियां धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है.
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बाघों की घटती संख्या और इसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. वन्यजीव अभयारण्य बाघों की धरोहर और शान है. बाघ की वजह से ही जंगल खुश नजर आता है. जिले के मंडरायल इलाके के जंगलों में आज भी बाघ T-72, T-80, और उनका एक शावक सहित सियाघौस, साभर, लोमड़ी, पैंथर, हिरण, चिंकारा जैसे अनेक जानवर डांग इलाके में विचरण कर रहे हैं. इस दौरान कार्मिको ने वन्यजीवों की रक्षा करने और उनको बचाने का संकल्प भी लिया.
बता दें कि बाघों की घटती संख्या और इसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के मुताबिक 2014 में आखिरी बार हुई गणना के अनुसार भारत में 2226 बाघ हैं, जो कि 2010 की गणना की तुलना में काफी ज्यादा हैं. 2010 में बाघों की संख्या 1706 थी. नए आंकड़ों के मुताबिक, देश में बाघों की संख्या 2967 पहुंच गई हैं.