अलवर: आज के समय में स्कूल में बच्चों को किताबी ज्ञान दिया जाता है, लेकिन प्रैक्टिकल ज्ञान के अभाव में बच्चे उस टॉपिक को अच्छे से नहीं समझ पाते, जबकि आज बच्चों को प्रैक्टिकल व थियोरेटिकल दोनों का ही ज्ञान होना आवश्यक है. अलवर शहर के कुछ टीचरों की टीम ने बीते कुछ वर्षों में बच्चों में प्रैक्टिकल नॉलेज का अभाव देखा, जिसके चलते उन्होंने अलवर में एक ऐसी जगह बनाने की योजना बनाई, जिसमें बच्चों को प्रैक्टिकल ज्ञान दिया जा सके. करीब 8 साल की मेहनत के बाद अलवर जिले में पहला साइंस म्यूजियम शुरू किया गया है, जिसमें छात्रों को विज्ञान की विभिन्न गतिविधियों और विकास की जानकारी मिल सकेगी. इस म्यूजियम में 250 से अधिक साइंस के मॉडल रखे गए हैं. यह साइंस म्यूजियम अलवर शहर के स्कीम नंबर 2 में संचालित है.
दी एजुकेशनल इन्नोवेटर ग्रुप के सीईओ निशांत शर्मा ने बताया कि वे पिछले 18 वर्षों से एजुकेशन फील्ड में हैं. बच्चों को पढ़ते समय उन्होंने यह महसूस किया कि बच्चों को थियोरेटिकल के साथ स्किल डेवलपमेंट व प्रैक्टिकल नॉलेज की भी आवश्यकता रहती है. वर्तमान के समय में बच्चों में इसका अभाव है. समय की मांग व बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए एक ऐसा स्थान जरूरी था, जहां उन्हें यह सब चीजें मिल सके. इसी को देखते हुए अलवर में पहला साइंस म्यूजियम शुरू किया गया है. इस साइंस म्यूजियम में अलग-अलग तरह की लैब स्थापित की गई है, जिनके माध्यम से आदिम काल से अंतरिक्ष युग के विकास के बारे में जानकारी मिल सकती है. उन्होंने बताया कि यहां पर घरों में आमतौर पर पाए जाने वाले साइंस आधारित उपकरणों की जानकारी भी मिल सकेगी.
एक ही जगह पर मिलेगी सभी जानकारी, अलग-अलग बनाए जोन : सीईओ निशांत शर्मा ने बताया कि यह आने वाले छात्रों को एक ही छत के नीचे सभी तरह की जानकारियां मिल सकेंगीं. इसके लिए अलग-अलग जोन बनाए गए हैं, जिसमें स्टेम लैब, मिनी साइंस सेंटर, मिनी साइंस म्यूजियम व एस्टोनॉमी लैब बनाई गई हैं. इन लैब में रखे उपकरणों व मॉडल्स से बच्चा प्रैक्टिकल करके जानकारी ले सकता है. उन्होंने बताया कि साइंस म्यूजियम में स्टूडेंट, स्टूडेंट ग्रुप, फैमिली ग्रुप, स्कूल ग्रुप, कॉलेज ग्रुप सहित जो भी व्यक्ति कुछ नई चीज सीखना चाहता है, वह साइंस म्यूजियम में आ सकता है. निशांत शर्मा ने बताया कि इसके लिए स्टूडेंट के लिए शुल्क 150 रुपए व 18 से अधिक उम्र के लोगों के लिए 200 रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है.
8 साल की मेहनत के बाद शुरू हुआ साइंस म्यूजियम : सीईओ निशांत शर्मा ने कहा कि अलवर में साइंस म्यूजियम की शुरुआत के लिए करीब 8 सालों पहले खयाल आया. इसके बाद से समय के साथ-साथ साइंस लैब के लिए चीज उपलब्ध होती गई. आज करीब 8 साल बाद अलवर में साइंस म्यूजियम को शुरू किया गया है.
सीईओ निशांत शर्मा ने बताया कि साइंस म्यूजियम में इसरो द्वारा हासिल किए गए अचीवमेंट भी बताए गए हैं. इसके लिए वहां जो मॉडल प्रदर्शित किए गए हैं, वह लगभग उसी डायमेंशन के हैं, जिस तरह के रॉकेट इसरो ने काम में लिए. इसके लिए पूरी तरह से उसे अंतरिक्ष का रूप दिया गया है, जिससे आने वाले स्टूडेंट व व्यक्ति को लगे कि वह अंतरिक्ष में किसी लैब में मौजूद है. साथ ही एस्ट्रोनॉमी लैब में छात्रों को अंतरिक्ष की विशालता और रहस्यों का अध्ययन करने का अवसर मिलेगा. इस लैब के माध्यम से बच्चे तारे, ग्रह व अंतरिक्ष की घटनाओं की जानकारी ले सकेंगे.