करौली. प्रदेश का करौली जिला प्राकृतिक सौंदर्य समेटे हुए है. यह इलाका घना जंगल होने के कारण डांग क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. जप-तप के लिए डांग क्षेत्र साधु-संतों का भी पसंदीदा स्थान था. जिस घने जंगल में जहां कभी लोग आने की सोचते भी नहीं थे वहां आज सैलालियों का रेला लगा रहता है. पिछले कुछ सालों में यह स्थान अब पिकनिक स्पॉट बन गया है. ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे ही एक पिकनिक स्पॉट का जायजा लिया और सैलानियों से उनके अनुभव जाने. पेश है एक रिपोर्ट...
करौली जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंडरायल इलाके में टपका की खोह वर्तमान समय में प्राकृतिक और मोहक जगह है. जहां आज भी मानो वह दृश्य दिखाई देता है, जहां पहले एक ओर डकैत निवास करते थे तो दूसरी ओर ऋषि मुनि तपस्या कर ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे.
ईटीवी भारत की टीम जब मंडरायल क्षेत्र में स्थित टपका की खोह पहुंची तो वहां का नजारा अद्भुत था. मंडरायल कस्बे से महज 18 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों में स्थित टपका की खोह में पहले डकैतों का डेरा रहता था. लोग वहां जाना तो दूर नाम सुनकर ही कांप जाते थे. वह स्थान अब लोगों के लिए पसंदीदा पर्यटन स्थल बन चुका है. जहां पर वर्तमान में एक ओर सिद्ध बाबा का स्थान है तो दूसरी ओर कलकल बहता झरना. जिसका मोहक दृश्य हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है.
साथ ही खोह के अंदर पहुंचते ही आज भी डकैतों की कहानियां और प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों के द्वारा की गई तपस्या की यादें ताजा होती है. बता दें कि सिद्ध बाबा के स्थान पर आज भी संत महात्मा तपस्या में लीन नजर आते हैं. वहीं दूसरी ओर बारिश के दिनों में रोजाना हजारों की तादाद में दर्शनार्थी सिद्ध बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
दूर-दूर से आते हैं सैलानी
टपका की खोह में ऊंचाई से बहने वाले झरने को देखने के लिए सैलानी बड़ी दूर-दूर से यात्राएं कर पहुंचते हैं. सैलानी झरने पर स्नान का आनंद लेने से अपने आप को रोक नहीं पाते हैं. दिनभर झरने के नीचे सैलानियों का जमावड़ा रहता है. वे सिद्ध बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद पाते हैं. झरने की खास बात यह है कि बारिश हो या अकाल लेकिन बारह मास कलकल करता हुआ ये झरना बहता है. जिसमें साल भर लोग झरने का लुप्त उठाते है लेकिन बारिश के समय में सैलानियों की रेलमपेल बहुत ज्यादा देखने को मिलती है.
सैलानियों के लिए बना पिकनिक स्पॉट
टपका की खोह पर रहने वाले महात्मा मुरारी दास से ईटीवी भारत की टीम ने जब बात की तो मुरारी दास ने कहा कि टपका की खोह मंडरायल क्षेत्र का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है. यहां पर बारिश के दिनों में हजारों की तादाद में दर्शनार्थी सिद्ध बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यहां पर आने वाला हर भक्त यहां पर ऊंचाई से बहने वाले झरने का आनंद लेने के लिए झरने के नीचे नहाता है. इस झरने का दृश्य देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
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वर्तमान समय में यहां पर सैलानी बड़ी भारी संख्या में आने लगे हैं. सैलानी यहां पर आकर मनपसंद पकवान बनाकर खाने का आनंद लेते हैं. हर रोज सैलानियों की पार्टी और रसोई का आयोजन होता है. टपका की खोह पर बहने वाले झरने को देखने के लिए लोग दूरदराज के गांवों सहित मध्य प्रदेश के ग्वालियर और राजस्थान के विभिन्न जिलों सहित जयपुर तक के दर्शनार्थी प्रसिद्ध सिद्ध बाबा के मंदिर पर दर्शन करने पहुंचते हैं.
बाबा की भभूति से हर भक्त की मनोकामना होती है पूरी
यहां पर एक ओर बजरंगबली का स्थान है तो दूसरी और भोले बाबा का भी स्थान है. इसके अलावा मुख्य स्थान जो सिद्ध बाबा के नाम से यहां प्रसिद्ध है, वह सदियों पुराना है. बुजुर्ग लोगों और यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि सिद्ध बाबा की भभूति से ही यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है.
डकैतों की रही है शरणस्थली
यह स्थान घने जंगल में होने के कारण बड़ा ही मोहक और सुंदर है. यहां आकर इंसान को शांति और सुकून की अनुभूति होती है. यहां प्राचीन समय में काफी संख्या में जंगली जानवर पाए जाते थे. कई ऋषि-मुनियों ने यहां पर साधना भी की थी. यहां झरने से निरंतर जल धारा बहती रहती है. डांग क्षेत्र के डकैतों के लिए यह स्थान शरण स्थली के रूप में उपयुक्त रहा है.
इस कारण यहां पर अधिकतर डकैतों ने भी शरण लेकर लंबा समय यहां पर व्यतीत किया था लेकिन वर्तमान समय में सैलानियों और लोगों की आवाजाही बनी रहने के कारण धीरे-धीरे यह स्थान पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित होता जा रहा है और पर्यटन का रूप लेता जा रहा है.