करौली. गहलोत सरकार की महत्वाकांक्षी राइट टू हेल्थ बिल भले ही राजस्थान विधानसभा में पास हो गई हो, लेकिन इस बिल का अब भी सड़क पर विरोध जारी है. शुक्रवार को करौली में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन के चिकित्सक सड़क पर उतर आए. इस दौरान जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे प्रदर्शनकारी चिकित्सकों ने राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही डीएम अंकित कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपकर बिल वापस लेने की मांग की.
चिकित्सकों ने बताया कि जब तक बिल वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक अस्पतालों को अनिश्चितकाल के लिए बंद रखने का निर्णय लिया गया है. इधर, जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने भी निजी अस्पताल के चिकित्सकों के समर्थन में सुबह 9 बजे से 11 बजे तक दो घंटे तक कार्य बहिष्कार किया. इस दौरान मरीज बेहद परेशान नजर आए. प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. भरत लाल मीणा ने बताया कि सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल को जनता को गुमराह करने के लिए लागू किया है. इससे किसी को फायदा होने वाला नहीं है.
इसे भी पढ़ें - Doctors Strike Effect: जिला अस्पताल में व्यवस्था चरमराई, ओपीडी में लंबी कतार...मरीज परेशान
वहीं, एसोसिएशन के सचिव डॉ. जेपी गुप्ता ने सरकार के इस बिल को मरीज और डॉक्टरों के बीच हाथापाई करवाने वाला बताया है. एसोसिएशन के चिकित्सकों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के बाद बताया कि राजस्थान सरकार ने विधानसभा में जो राइट टू हेल्थ बिल को पास करा कानून की शक्ल देने की कोशिश की है, उसे हम किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि यह चिकित्सक और मरीजों के बीच खाई को बढ़ाने का काम करेगा. जिससे चिकित्सक अपना चिकित्सकीय धर्म भलीभांति निभा पाने में असमर्थ होंगे.
उन्होंने कहा कि चिकित्सक अपनी संस्था में कार्य करते हुए मानसिक व शारीरिक रूप से भयभीत रहेंगे. जिसका सीधा असर आमजन के स्वास्थ्य पर पड़ेगा. चिकित्सकों ने राज्यव्यापी आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि जब तक राइट टू हेल्थ बिल को सरकार वापस नहीं लेगी, तब तक सभी निजी अस्पताल बंद रखने का निर्णय लिया गया है.