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करौलीः मानसून की बेरुखी से बांधों में पानी की स्थिति डगमगाई - Water Resources Department

करौली जिले में इस बार सूखे मानसून से सावन और भादो माह के आधे से ज्यादा दिन निकलने के बाद भी जिले के नदी नालों से लेकर बड़े बांध तक सुखे रह गए. जलसंसाधन विभाग के मुताबिक अबतक पिछले साल की तुलना में औसत से भी कम बरसात दर्ज की गई है.

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Published : Aug 31, 2019, 8:50 PM IST

करौली. प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश से भले ही बाढ़ के हालात बने हों. लेकिन जिले में मानसून की बेरुखी से अभी तक अच्छी बारिश को तरस रहा हैं. सावन में भी अधूरी रही आस के बाद अब भादो में पूरा होने की लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं.

करौली में बांधों में पानी की स्थिति डगमगाई

मानसून की बेरुखी का ही नतीजा है की जिले का एक भी बांध-तालाब अभी तक जल हिलोरों को तरस रहा है. प्रदेश के पिछड़े जिलों में शुमार करौली जिला इस बार मानसून में भी पिछड़ गया है. स्थिति यह है की सावन बीतने के बाद भादो माह के आधे दिन निकलने के बाद भी जिले में औसत बारिश तक नहीं हुई हैं. जल संसाधन विभाग सूत्रों के अनुसार जिले मे औसत बारिश से भी कम वर्षा हुई है.

पढ़ेंः करौलीः एक सितंबर से होगा मतदाता सत्यापन कार्यक्रम का आयोजन, निर्वाचन विभाग ने तैयारियां की शुरू

जल संसाधन विभाग के अधीन जिले में छोटे-बड़े कुल 13 बांध है. लेकिन एक भी बांध लबालब तो दूर पूर्ण क्षमता के आसपास तक नहीं पहुंचा हैं. जिले का प्रमुख पांचना बांध अभी भी अपनी भराव क्षमता से करीब पांच मीटर दूर है. कुल 258.62 मीटर की भराव क्षमता का पांचना बांध का जलस्तर अभी 253.25 मीटर पर हैं. अन्य बड़े बांधों की बात करें तो 17 फीट की भराव क्षमता का नींदर बांध में भी अभी 7.7 फीट पानी है. इन सबसे बुरी स्थिति हिण्डौन इलाके के सबसे बड़े जगर बांध की हैं. कुल 30 फीट भराव क्षमता के जगर में महज 11 फीट पानी हैं. यही स्थिति मामचारी बांध की हैं. कुल 19 फीट भराव क्षमता के जगर में महज 5.4 फीट पानी हैं. इसी प्रकार बांधवा, बेरुंडा नींदर, बिशनसंमद, मोहनपुरा, फतेहसागर, भूमेन्द् सागर,खिरखिरी बांध की है. जल संसाधन विभाग के अधिकारी सुशील गुर्जर ने बताया की अभी मानसुन का दौर शेष हैं. ऐसे में उम्मीद है की आगामी दिनों में पानी आ सकता हैं.

करौली. प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश से भले ही बाढ़ के हालात बने हों. लेकिन जिले में मानसून की बेरुखी से अभी तक अच्छी बारिश को तरस रहा हैं. सावन में भी अधूरी रही आस के बाद अब भादो में पूरा होने की लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं.

करौली में बांधों में पानी की स्थिति डगमगाई

मानसून की बेरुखी का ही नतीजा है की जिले का एक भी बांध-तालाब अभी तक जल हिलोरों को तरस रहा है. प्रदेश के पिछड़े जिलों में शुमार करौली जिला इस बार मानसून में भी पिछड़ गया है. स्थिति यह है की सावन बीतने के बाद भादो माह के आधे दिन निकलने के बाद भी जिले में औसत बारिश तक नहीं हुई हैं. जल संसाधन विभाग सूत्रों के अनुसार जिले मे औसत बारिश से भी कम वर्षा हुई है.

पढ़ेंः करौलीः एक सितंबर से होगा मतदाता सत्यापन कार्यक्रम का आयोजन, निर्वाचन विभाग ने तैयारियां की शुरू

जल संसाधन विभाग के अधीन जिले में छोटे-बड़े कुल 13 बांध है. लेकिन एक भी बांध लबालब तो दूर पूर्ण क्षमता के आसपास तक नहीं पहुंचा हैं. जिले का प्रमुख पांचना बांध अभी भी अपनी भराव क्षमता से करीब पांच मीटर दूर है. कुल 258.62 मीटर की भराव क्षमता का पांचना बांध का जलस्तर अभी 253.25 मीटर पर हैं. अन्य बड़े बांधों की बात करें तो 17 फीट की भराव क्षमता का नींदर बांध में भी अभी 7.7 फीट पानी है. इन सबसे बुरी स्थिति हिण्डौन इलाके के सबसे बड़े जगर बांध की हैं. कुल 30 फीट भराव क्षमता के जगर में महज 11 फीट पानी हैं. यही स्थिति मामचारी बांध की हैं. कुल 19 फीट भराव क्षमता के जगर में महज 5.4 फीट पानी हैं. इसी प्रकार बांधवा, बेरुंडा नींदर, बिशनसंमद, मोहनपुरा, फतेहसागर, भूमेन्द् सागर,खिरखिरी बांध की है. जल संसाधन विभाग के अधिकारी सुशील गुर्जर ने बताया की अभी मानसुन का दौर शेष हैं. ऐसे में उम्मीद है की आगामी दिनों में पानी आ सकता हैं.

Intro:कहते हैं की जब सावन आता है तो हर तरफ हरियाली छा जाती है... सूखी नदियां भी कलकल बहने लगती हैं... लेकिन इस बार सूखे मानसून से सावन माह और भादो माह के आधे से दिन निकलने के बाद भी जिले के नदी नालों से लेकर बड़े बांध तक सुखे रह गए... जलसंसाधन विभाग के मुताबिक अबतक पिछले साल की तुलना में ओसत से भी कम बरसात दर्ज की गई है...


Body:करौली मे मानसून की बेरुखी से बांधों में पानी की स्थिति डगमगाई, रिते रह गए बांध,

करौली

प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश से भले ही बाढ़ के हालात बने हों... लबालब होकर बांध-तालाब छलक उठे हों.. लेकिन करौली जिला मानसून की बेरुखी से अभी तक अच्छी बारिश को तरस रहा है.. सावन में भी अधूरी रही आस के बाद अब भादो में पूरा होने की आमजन उम्मीद लगाए बैठे हैं..मानसून की बेरुखी का ही नतीजा है की जिले का एक भी बांध-तालाब अभी तक जल हिलोरों को तरस रहा है.. बांध-तालाबों में जलतरंगें देखने को लालयित जिलेवासी ईश्वर से इलाके में अच्छी बारिश की कामना कर रहे हैं.. लेकिन बदरा केवल बूंदाबांदी करके तरसा रहे हैं..प्रदेश के पिछड़े जिलों में शुमार करौली जिला इस बार मानसून में भी पिछड़ गया है.. स्थिति यह है की सावन बीतने के बाद भादो.माह के आधे दिन निकलने के बाद भी जिले में औसत बारिश तक नहीं हुई है.. जल संसाधन विभाग सूत्रों के अनुसार जिले मे औसत बारिश से भी कम बर्षा हुई है..


रह गये बांध खाली,

जल संसाधन विभाग के अधीन जिले में छोटे-बड़े कुल 13 बांध है, लेकिन एक भी बांध लबालब तो दूर पूर्ण क्षमता के आसपास तक नहीं पहुंचा है..जिले का प्रमुख पांचना बांध अभी भी अपनी भराव क्षमता से करीब पांच मीटर दूर है.. कुल 258.62 मीटर की भराव क्षमता का पांचना बांध का जलस्तर अभी 253.25 मीटर पर है.. अन्य बड़े बांधों की बात करें तो 17 फीट की भराव क्षमता का नींदर बांध में भी अभी 7.7 फीट पानी है.. इन सबसे बुरी स्थिति हिण्डौन इलाके के सबसे बड़े जगर बांध की है, जिसका पेटा पूरी तरह पानी को तरस रहा है..कुल 30 फीट भराव क्षमता के जगर में महज 11 फीट पानी है.. कमोबेश यही स्थिति मामचारी बांध की है..कुल 19 फीट भराव क्षमता के जगर में महज 5.4 फीट पानी है.. इसी प्रकार बांधवा, बेरुंडा नींदर, बिशनसंमद, मोहनपुरा, फतेहसागर, भूमेन्द् सागर,खिरखिरी बांध की है..

जल संसाधन विभाग के अधिकारी सुशील गुर्जर ने बताया की अभी मानसुन का दौर शेष है.. ऐसे में उम्मीद है की आगामी दिनों में पानी आ सकता है.. जिले के सपोटरा में अच्छी बारिश के कारण सिर्फ कालीसिल बांध में पानी की आवक हुई है.. बाकी जिले के सभी बांध खाली पड़ी हुए हैं..अगर यह स्थिति रही तो हम किसानों को भी पानी उपलब्ध नहीं करा पाएंगे..

वाईट---सुशील गुर्जर जल संसाधन विभाग अधिकारी


Conclusion:
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