करौली. राजस्थान के करौली जिले के हिंडौन उपखंड के गांव महू इब्राहिमपुर का लाल जोगेंद्र सिंह जम्मू कश्मीर के तंगधार में आतंकवादियों की ओर से किए ग्रेनेड ब्लास्ट के हमले में शहीद हो गया. शहीद के पिता सुरेश सिंह सोलंकी ने कहा कि हमारे देश की सुरक्षा पर हमला करने वालों को करारा जवाब मिलना चाहिए. मेरे बेटे ने देश के लिए जान न्योछावर कर दी, उसकी शहादत पर मुझे गर्व है.
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के तंगधार में शनिवार को हुए आतंकी हमले में जाट बटालियन-2 के नायक जोगेंद्र सिंह शहीद हो गए. जिसके बाद उनके पैतृक गांव महू इब्राहिमपुर में सन्नाटा छाया हुआ है. 33 वर्षीय शहीद जोगेंद्र सिंह सोलंकी की वर्ष 2004 में सेना में नौकरी लगी थी और जनवरी 2021 वो सेवानिवृत्त होने वाले थे.
शहीद के पिता सुरेश सिंह सोलंकी भी सेना में 18 साल सेवा देकर सेवानिवृत्त हो चुके हैं. शहीद जोगेंद्र सिंह की पत्नी का नाम सविता है, जो गृहणी है. शहीद के दो बेटे हैं बड़ा बेटा प्रवीण नवोदय विद्यालय में नौवीं क्लास पास करके दसवीं में पहुंचे हैं और छोटा पुत्र नवीन कुमार सोलंकी 7वीं कक्षा में है.
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गांव में हर जगह पाकिस्तान के खिलाफ चर्चा हो रही है. लोग पाकिस्तान के कायराना हमले से काफी आक्रोशित हैं. जिसने सुना शहीद के परिजनों को सांत्वना देने पहुंच गया. सुबह से ही लोग उनके घर जाकर उनके परिजनों से मुलाकात कर रहे हैं. घर में चीख पुकार से सांत्वना देने वालों का भी दिल भर आता है.
आंखों में आंसू हैं, लेकिन अपने बेटे की शहादत पर लोग गर्व भी महसूस कर रहे हैं. शहीद के बड़े बेटे प्रवीण कुमार सोलंकी ने बताया कि मेरे पिता की शहादत पर मुझे गर्व है. मैं भी बड़ा होकर सेना में जाऊंगा और आतंकियों को करारा जवाब देकर. पिता की शहादत का बदला लूंगा. यह कहते हुए बेटे की आंखों में आंसू भर आए.
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शहादत की खबर सुनते ही मची चीख पुकार
शहीद जोगेंद्र सिंह की शहादत की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया है. शहीद की पत्नी सविता का रो-रो कर बुरा हाल है. शहीद को याद करते हुए वो बार-बार बेहोश हो रही है. परिजन और पड़ोसी सांत्वना देने में लगे हुए हैं. शहीद के माता-पिता बच्चों और भाई का भी रो-रो कर बुरा हाल बना हुआ है.
गांव में सबके लाडले थे जोगेंद्र
ग्रामीणों ने बताया कि शहीद जोगेंद्र सिंह अच्छे व्यक्तित्व के धनी थे. जब भी गांव आते थे सबसे अच्छे से मिलते थे बोलते और बातचीत करते थे. सादगीपूर्ण तरीके से रहने वाले जोगेंद्र गांव में सबके लाडले थे. ग्रामीण बताते हैं कि उनका परिवार भी सज्जन है. उनके शहीद होने पर पूरे गांव को एक ओर जहां गम है. वहीं, उनके शहादत पर गर्व भी है.