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करौली: फसलों में फड़का रोग लगने से किसान चिंतित - करौली जिले के किसान परेशान

करौली जिले के किसान फसलों में फड़का रोग लगने की चिंतित है. वहीं, किसानों की चिंता को कृषि विभाग ने गंभीरता से ले रहें है. अधिकारी फड़का रोग पर नियंत्रण लगाने के प्रयासों में जुटें है. फसलों में यह फड़का रोग फड़का नामक कीट से होता है जिसे कतरा नाम से भी जाना जाता है. वहीं, कीटनाशक के छिड़काव से फसलों को बचाया जा सकता है.

crop disease in karauli, फसलों में फड़का रोग
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Published : Sep 4, 2019, 5:23 PM IST


करौली. जिले में किसानों को पकी फसलों में फड़का रोग लगने से किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है. वहीं, किसानों की समस्या को कृषि विभाग के अधिकारी भी गंभीरता से ले रहें है. विभाग के अधिकारी फड़का रोग पर नियंत्रण लगाने के प्रयासों में जुट गए हैं. वहीं, जिले के किसान इससे पहले मानसून की बेरुखी से परेशान थें, तो अब इस फड़का रोग की परेशानी खड़ी हो गई है.

कृषि विभाग के अधिकारी चेतराम मीना ने बताया की खेतो में बरसात के शुरु होते ही से फडका कीट दिखाई देने लगते है. ये कीट शिशु और प्रोढ फसलो की पत्तियां, फूलो, भुटटों के दानो को खाकर सम्पूर्ण फसल को नष्ट करने की क्षमता रखते है.ये कीट शुरु से ही खेतो के आस पास उगी हुई वनस्पितियों को खाकर अपना जीवन निर्वाह करता है. इस कीट का प्रभाव खरीफ फसलों बाजरा, ज्वार, मक्का और दलहनी फसलों पर ज्यादा दिखाता है. अधिकारी ने बताया की फड़का कीट को कतरा नाम से भी जाना जाता है.

फसलों में रोग लगने से किसान परेशान

ये पढ़ें:करौलीः वैश्य महिला मंडल ने डेम्परोड पर सर्किल बनाने को लेकर सौंपा गया ज्ञापन

ऐसे बचें किसान फड़का कीट के प्रभाव से

फड़का कीट के प्रभाव को रोकने के लिये खेत की मेंढो पर और खेतो में गैस लालटेन या बिजली का बल्व जलाने और उसके नीचे मिटटी के तेल मिले पानी की परात रखने से फड़का रोशनी पर आकर्षित होकर मिटटी के तेल में मिले पानी में गिरकर नष्ट हो जाते है. इसके अतिरिक्त मिथाईल पैराथियॉन 2 प्रतिशत चूर्ण या क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण या कार्वेरिल 5 प्रतिशत चूर्ण का 25 किग्रा प्रति हेक्टर अथवा फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत चूर्ण 20किग्रा प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करें

ये पढ़ें: करौली: कैलादेवी धर्मशाला में लगी आग, श्रद्धालुओं में मची अफरा-तफरी

वहीं, किसानों को कीटनाशक दवाईयो का छिडकाव या भुरकाव करते समय मास्क लगाये और शान्त हवा की स्थिति में सुबह या शाम को ही करना चाहिए. साथ ही उस खेत के चारे को पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए.


करौली. जिले में किसानों को पकी फसलों में फड़का रोग लगने से किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है. वहीं, किसानों की समस्या को कृषि विभाग के अधिकारी भी गंभीरता से ले रहें है. विभाग के अधिकारी फड़का रोग पर नियंत्रण लगाने के प्रयासों में जुट गए हैं. वहीं, जिले के किसान इससे पहले मानसून की बेरुखी से परेशान थें, तो अब इस फड़का रोग की परेशानी खड़ी हो गई है.

कृषि विभाग के अधिकारी चेतराम मीना ने बताया की खेतो में बरसात के शुरु होते ही से फडका कीट दिखाई देने लगते है. ये कीट शिशु और प्रोढ फसलो की पत्तियां, फूलो, भुटटों के दानो को खाकर सम्पूर्ण फसल को नष्ट करने की क्षमता रखते है.ये कीट शुरु से ही खेतो के आस पास उगी हुई वनस्पितियों को खाकर अपना जीवन निर्वाह करता है. इस कीट का प्रभाव खरीफ फसलों बाजरा, ज्वार, मक्का और दलहनी फसलों पर ज्यादा दिखाता है. अधिकारी ने बताया की फड़का कीट को कतरा नाम से भी जाना जाता है.

फसलों में रोग लगने से किसान परेशान

ये पढ़ें:करौलीः वैश्य महिला मंडल ने डेम्परोड पर सर्किल बनाने को लेकर सौंपा गया ज्ञापन

ऐसे बचें किसान फड़का कीट के प्रभाव से

फड़का कीट के प्रभाव को रोकने के लिये खेत की मेंढो पर और खेतो में गैस लालटेन या बिजली का बल्व जलाने और उसके नीचे मिटटी के तेल मिले पानी की परात रखने से फड़का रोशनी पर आकर्षित होकर मिटटी के तेल में मिले पानी में गिरकर नष्ट हो जाते है. इसके अतिरिक्त मिथाईल पैराथियॉन 2 प्रतिशत चूर्ण या क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण या कार्वेरिल 5 प्रतिशत चूर्ण का 25 किग्रा प्रति हेक्टर अथवा फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत चूर्ण 20किग्रा प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करें

ये पढ़ें: करौली: कैलादेवी धर्मशाला में लगी आग, श्रद्धालुओं में मची अफरा-तफरी

वहीं, किसानों को कीटनाशक दवाईयो का छिडकाव या भुरकाव करते समय मास्क लगाये और शान्त हवा की स्थिति में सुबह या शाम को ही करना चाहिए. साथ ही उस खेत के चारे को पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए.

Intro:जहां जिले के किसान मानसून की बेरुखी से चिंतित थे तो वहीं दूसरी ओर अब किसानों को पकी-पखाई फसलों में फडका रोग लगने की चिंता सताने लगी है... किसानों की चिंता से गंभीर होकर कृषि विभाग के अधिकारी भी फडका रोग पर नियंत्रण लगाने के प्रयासों में जुट गए हैं...



Body:मानसून की बेरुखी के बाद फसलों में फडका कीट लगने से किसान हुए चिंतित,
कृषि विभाग जुटा निंयत्रण करने के प्रयास मे,

करौली, 


जहां जिले के किसान मानसून की बेरुखी से चिंतित थे तो वहीं दूसरी ओर अब किसानों को पकी-पखाई फसलों में फडका रोग लगने की चिंता सताने लगी है... किसानों की चिंता से गंभीर होकर कृषि विभाग के अधिकारी भी फडका रोग पर नियंत्रण लगाने के प्रयासों में जुट गए हैं...

कृषि विभाग के अधिकारी चेतराम मीना ने बताया की खेतो में वर्षा ऋतु के प्रारंभ होने से फडका कीट दिखाई देने लगता है.. जिससे शिशु एवं प्रोढ फसलो की पत्तियां, फूलो, भुटटों के दानो को खाकर सम्पूर्ण फसल को नष्ट करने की क्षमता रखता है.. यह प्रारंभ से ही खेतो के आस पास उगी हुई वनस्पितियों को खाकर अपना जीवन निर्वाह करता है.. यह खरीफ फसलों बाजरा, ज्वार, मक्का एवं दलहनी फसलो पर ज्यादा प्रभाव दिखाता है...

अधिकारी ने बताया की इसके प्रभाव को रोकने के लिये खेत की मेंढो पर एवं  खेतो में गैस लालटेन या बिजली का बल्व जलाने तथा उसके नीचे मिटटी के तेल मिले पानी की परात रखने से फडका रोशनी पर आकर्षित होकर मिटटी के तेल में मिले पानी में गिरकर नष्ट हो जाते है... इसके अतिरिक्त मिथाईल पैराथियॉन 2 प्रतिशत चूर्ण या क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण या कार्वेरिल 5 प्रतिशत चूर्ण का 25 किग्रा प्रति हेक्टर अथवा फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत चूर्ण 20किग्रा प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करे..

उन्होने बताया की कृषक कीटनाशक दवाईयो का छिडकाव या भुरकाव करते समय मास्क लगाये और शान्त हवा की स्थिति में प्रातः या सायंकाल ही छिडकाव या भुरकाव करें.. साथ ही उस खेत के चारे को पशुओं को नही खिलाए.. अधिकारी ने बताया की फडका कीट को कतरा नाम से भी जाना जाता है...

वाईट----चेतराम मीना कृषि विस्तार अधिकारी,


Conclusion:
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