करौली. जिले में किसानों को पकी फसलों में फड़का रोग लगने से किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है. वहीं, किसानों की समस्या को कृषि विभाग के अधिकारी भी गंभीरता से ले रहें है. विभाग के अधिकारी फड़का रोग पर नियंत्रण लगाने के प्रयासों में जुट गए हैं. वहीं, जिले के किसान इससे पहले मानसून की बेरुखी से परेशान थें, तो अब इस फड़का रोग की परेशानी खड़ी हो गई है.
कृषि विभाग के अधिकारी चेतराम मीना ने बताया की खेतो में बरसात के शुरु होते ही से फडका कीट दिखाई देने लगते है. ये कीट शिशु और प्रोढ फसलो की पत्तियां, फूलो, भुटटों के दानो को खाकर सम्पूर्ण फसल को नष्ट करने की क्षमता रखते है.ये कीट शुरु से ही खेतो के आस पास उगी हुई वनस्पितियों को खाकर अपना जीवन निर्वाह करता है. इस कीट का प्रभाव खरीफ फसलों बाजरा, ज्वार, मक्का और दलहनी फसलों पर ज्यादा दिखाता है. अधिकारी ने बताया की फड़का कीट को कतरा नाम से भी जाना जाता है.
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ऐसे बचें किसान फड़का कीट के प्रभाव से
फड़का कीट के प्रभाव को रोकने के लिये खेत की मेंढो पर और खेतो में गैस लालटेन या बिजली का बल्व जलाने और उसके नीचे मिटटी के तेल मिले पानी की परात रखने से फड़का रोशनी पर आकर्षित होकर मिटटी के तेल में मिले पानी में गिरकर नष्ट हो जाते है. इसके अतिरिक्त मिथाईल पैराथियॉन 2 प्रतिशत चूर्ण या क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण या कार्वेरिल 5 प्रतिशत चूर्ण का 25 किग्रा प्रति हेक्टर अथवा फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत चूर्ण 20किग्रा प्रति हेक्टर की दर से भुरकाव करें
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वहीं, किसानों को कीटनाशक दवाईयो का छिडकाव या भुरकाव करते समय मास्क लगाये और शान्त हवा की स्थिति में सुबह या शाम को ही करना चाहिए. साथ ही उस खेत के चारे को पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए.