करौली. शहर के एक निजी रिसोर्ट में मंगलवार को यूएनएफपीए की ओर से आयोजित दो दिवसीय डिलेवरी पांइट को लेकर कार्यशाला का समापन हुआ. कार्यशाला में लेबररूम प्रोटोकॉल, मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवा, नवजात शिशु की देखभाल और प्रसव के दौरान खतरे के लक्षणों के बारे में चर्चा की गई.
कार्यशाला मे जिले के डिलीवरी प्वाइंटों के इंचार्जो को संबोधित करते हुए सीएमएचओ डॉ. दिनेश चंद मीना ने कहा की प्रशिक्षण के दौरान बताये गये लेबर रूम प्रोटोकॉल का शत-प्रतिशत पालन करते हुए मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं मे प्रगती की जाये. सीएमएचओ ने डिलेवरी रूम को अपडेट करने एवं संस्थाओं पर बीएमडब्ल्यू रूल्स-2016 का अनुसरण किये की बात रखते हुए सरलीकृत पार्टोग्राफ में संलग्न बिन्दुओं पर अत्याधिक ध्यान की जरूरत जताई.
पढ़ें- जयपुर : दूसरे दिन भी सचिवालय में समय पर नहीं पहुंचे अधिकारी और कर्मचारी
कार्यशाला में डिलीवरी प्वाइंट इंचार्जो को डॉक्टर जी. डी. लड्डा और डॉ. सोनिका ने प्रसूताओं एवं नवजातों की गुणवत्ता पूर्ण सेवाओं का प्रशिक्षण दिया. जिसमें नवजातों शिशुओं की देखभाल और नवजातों को प्रसव दौरान खतरे के लक्षणों से बचाने के लिए भारत सरकार की नवीन अनुसंधानों के बारे में जानकारी दी. प्रसूताओं और नवजातों को मृत्यु के जोखिम बचाने के लिए पार्टोग्राफ भरे जाने की सरल प्रक्रिया से अवगत कराया.
प्रशिक्षक डॉ. सोनिका ने डिलेवरी पाइंटों पर नवजातों को प्रथम आहार के रूप में मां का दूध पिलाये जाने को अति महत्वपूर्ण बताते हुए कमजोर पाइंटों को मॉनीटर किये जाने की संस्थान प्रभारी से अपेक्षा जताई. इस दौरान डीपीएम आशुतोष पांडेय, शहरी कार्यक्रम प्रबंधक मेहूल जैन, संस्थान प्रभारी और लेबर रूम प्रभारी मौजूद रहे.